सरसी छंद - विरेन्द्र कुमार साहू "राजिम
संविधान
संविधान ले हवय एकता , हवय देश हा एक।
भले हवय भारत भुँइया मा , भाषा भेष अनेक।।
झन होवय जी कभू देश मा ,कखरो सँग अन्धेर।
एक घाट मा पानी पीयय , गौ माता अउ शेर।।
मरखंडा मन लाहो लेतिन , तेखर बर उपचार।
संविधान हे नाव ग्रंथ के, भारत के आधार।।
पेलयही कर कहिथे कोनों , ते होथस जी कोन।
संविधान तब न्याय बताथे , पीतल हे धुन सोन।।
संविधान रखवार देश के ,संविधान हे प्रान।
रुरहा मुरहा के मितान कस , संविधान ला मान।।
छंदकार : विरेन्द्र कुमार साहू , ग्राम -.बोड़राबाँधा (राजिम),जिला - गरियाबंद(छ.ग.)9993690899
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दोहा छन्द - बोधन राम निषादराज
(भीमराव अम्बेडकर)
नेता बड़े महान गा, भीमराव जी नाम।
ऊँच नीच के भेद ला,पाटिस देख तमाम।।
भारत के कानून ला, हाथ लिए वो देख।
सुग्घर नियम विधान हे,संविधान के लेख।।
समरसता समभाव हे, भारत के वो शान।
भीमराव अम्बेडकर, नेता बने महान।।
जाति पाँति के भेद अउ,मिटा दिए व्यभिचार।
भाई चारा मन बसे, प्रेम भाव संसार।
जन-जन मा कानून के,करिन हवै परचार।
बाबा साहब भीम के,होवय जय जयकार।।
छंदकार - बोधनराम निषादराज
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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दोहा छंद - श्लेष चन्द्राकर
विषय - संविधान दिवस
(1)
करिस बबा अंबेडकर, नीक देश बर काम।
उनकर लेथें सब इहाँ, बड़ इज्जत ले नाम।।
(2)
संविधान निर्माण कर, बनगे बबा महान।
लोकतांत्रिक देश ला, दिहिन नवा पहिचान।।
(3)
संविधान जब ले बनिस, आइस बड़ बदलाव।
हावय सबो समाज मा, अब समता के भाव।।
(4)
संविधान हा दिस हवय, मनखे ला अधिकार।
भीमराव जी के हरे, येहा गा उपहार।।
(5)
दूर होत हे देश मा, ऊँच-नीच के भाव।
आज काकरो साथ मा, होवय नइ अन्याव।।
(6)
अपन धरम सब मानथें, रखथें अपन विचार।
सबला पूजापाठ के, मिले हवय अधिकार।।
(7)
आजादी हर गोठ के, मनखे ला हे आज।
सबो अपन मन के इहाँ, कर सकथें गा काज।।
(8)
देश चलत हे आज गा, संविधान अनुसार।
कभू चुका हम नइ सकन, बाबा के उपकार।।
(9)
रहय देश मा एकता, करव मया व्यवहार।
इही सबो हे जान लौ, संविधान के सार।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
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आल्हा छंद - आशा देशमुख
*संविधान दिवस*
संविधान लिख भीमराव जी, करिन देश बर बड़ उपकार।
रक्षा बर कानून चलत हे,इही देश के हे आधार।1
ऊँच नीच के खाई पाटे, दे हावँय समता अधिकार।
सब झन बर कानून एक हे,राजा हो या सेवादार।2
पारित होइस हवय सभा मा,ये संविधान ह सन उनचास।
दिन छब्बीस नवम्बर के शुभ, हमर देश बर बनगे खास।3
किसम किसम के अनुसूची हे,अबड़ अकन हवय अनुच्छेद।
जाति धरम भाखा कोनो हो,पर मनखे मन मा नइहे भेद।4
ये विधान ला सबझन मानँय,भारत भुइयाँ करय विकास।
सब ला सम अधिकार मिले हे,चारो कोती हवय उजास।5।
संविधान ये बहुत बड़े हे, ,होय विश्व मा अब्बड़ मान।
हमर एकता समता प्रभुता,नित होवत हे जन मन गान ।6
सागर से पर्वत तक जानव, भुइयाँ से जानव आकाश।
अइसे अइसे नियम बने हे,जइसे सुई ल करे तलाश।।7
भीमराव के परसादे मा, फूले शिक्षा अउ व्यापार।
बनगे हे कानून व्यवस्था,नर नारी बर सम अधिकार।8
जगत ऋणी हे तोरे बाबा, भीमराव जी पूज्य महान।
जब तक ये दुनिया हा रइही,बाबा के होही यशगान।9
छन्दकार - आशा देशमुख
एनटीपीसी कोरबा, छत्तीसगढ़
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सार छन्द - उमाकान्त टैगोर
विषय - संविधान दिवस
संविधान के पूजा करबो, गुन ला एकर गाबो ।
एकर रद्दा मा चलबो जी, तब तो सुख ला पाबो ।।
कोनो जात धरम के होवय, सब ये एक बरोबर।
ये सुग्घर संदेशा आवय, पहुँचय बात घरोघर।।
बाबू लइका नोनी लइका, कोनो होवय चाहे।
शिक्षा के अधिकार बरोबर, करना चिंता काहे।।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, सब झन एके भाई।
अब तो जल्दी पाटव संगी, जात-पात के खाई।।
छोट बड़े जी सब झन सुनलव, लूट पुदक झन खावा।
संविधान के गुर ला मानँव, किरिया खा ली आवा।।
संविधान ये रामायण अउ, संविधान ये गीता।
संविधान ले दुनिया हावय, एकर बिन जग रीता।।
छंदकार- उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबन्द, जाँजगीर (छत्तीसगढ़)
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दोहा छन्द---सुधा शर्मा
विषय - संविधान दिवस
भीमराव अंबेडकर,भारत के संतान।
नाव अमर कर दिस अपन,सुग्घर बना विधान।।
सुग्घर साजय रीत गा,किसिम किसिम अधिकार।
जनता सुविधा देख के,करिस ग नावाचार।।
अखंडता अउ एकता,भारत के पहचान।
सबो जात बसथे जिहाँ,सबो धरम के मान।।
हमर विधानी ग्रंथ गा,हावे गुण के खान।
राजा हो या रंक जी, सब हें एक समान।।
मंदिर मस्जिद हा बसे,गिरजा घर गुरुद्वार।
है भारत सबके इहाँ,संविधान के सार।।
देथे नीत अनीत के,फरी फरी संज्ञान।
लागू हावे देश मा,राखव एखर मान।।
भारत के ये शान हे,गुण अलगे पहिचान।
अमर रहे इतिहास मा,जन गण मन के गान।।
छन्दकार - सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
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कुकुभ छंद - द्वारिका प्रसाद लहरे
विषय-संविधान दिवस
समरसता के सरग निसैनी, भीम राव हा लाये जी।
संविधान ला सब मनखे बर, बाबा सुघर बनाये जी।।
सबो अपन हक ला जाने हें, संविधान ला पढ़के गा।
पावन हावय संविधान हा, धरम ग्रंथ ले बढ़के गा।।
हमर एकता भाई चारा, सुमता ला बगराये जी।
समरसता के सरग निसैनी, भीम राव हा लाये जी।।
मानवता ला अमर करे हे, बाबा जुग निरमाता गा।
ऊँच-नीच के खाई पाटे, भारत भाग विधाता गा।
रहिस महानायक भारत के, नवा सुरुज बगराये जी।
समरसता के सरग निसैनी, भीम राव हा लाये जी।।
संविधान हा अमर रहै गा, ये भारत के माटी मा।
जन-जन पढ़लौ संविधान ला, गाँव शहर अउ घाटी मा।।
संविधान के बड़ ताकत हे, बाबा भीम बताये जी।
समरसता के सरग निसैनी, भीम राव हा लाये जी।।
छंदकार - द्वारिका प्रसाद लहरे (व्याख्याता)
शा.उ.मा.वि.इन्दौरी/बायपास रोड़ कवर्धा जिला कबीरधाम छत्तीसगढ़
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दोहा छंद: महेंद्र कुमार बघेल
भीमराव आंबेडकर, महापुरुष विद्वान।
समता मूल समाज बर, सिरजन करिस विधान।।
नीति नियम हे ग्रंथ मा, संविधान हे नाम।
एक बरोबर सब धरम,जाति एक पैगाम।।
शोषित वंचित ला सबो, मिलय सकल अधिकार।
छुआछूत के दोष हा, होवय बंटाधार ।।
संविधान बोलय सदा , सुनले सकल सुजान।
अनेकता मा एकता,हमर हवय पहिचान।।
भेदभाव ला छोड़ के, मौलिक हे अधिकार।
नर नारी सब एक हे, इही ग्रंथ के सार।।
बरनन करत लिखाय हे,सोच समझ अउ जाँच।
महाग्रंथ के आन मा, कभू आय झन आँच।।
सत्तर बरस बिताय हन, बदलिस कतिक समाज।
मिलजुल के सबझन गुनव, मौका हावय आज।।
छंदकार: महेंद्र कुमार बघेल
डोंगरगांव, जिला - राजनांदगांव, छत्तीसगढ़
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चौपाई छंद - श्रीमती आशा आजाद
संविधान के दिन हे आये, शुभ दिन ला सब आज मनाये।
बाबा अम्बेडकर ल जानौ, सब ले बड़का ज्ञानी मानौ।।
जात-पात के भेद मिटाके, सब मनखे ला नित अपनाके।
संविधान ले देश चलावौ, समता के अब भाव जगावौ।।
संविधान भारत के जानौ, कर्म ल अपने सुग्घर जानौ।
मत डारे के हक दिलवाए, मनखे-मनखे गुन ला गाये।।
नारी के सम्मान बढ़े जी, संविधान मा जेन गढ़े जी।
ऊँच-नीच ला झन अपनावौ, भाईचारा मन मा लावौ।।
भीमराव जी राहिन हीरा,दीन हीन के समझिन पीरा।
बाबा बौद्ध धरम अपनाके,पीर हरिन माटी मा जाके।।
संविधान ले सुमता आही, जात पात नइ राहै काही।
सुग्घर भारत अपने होही, शिक्षा के सब बीज ल बोही।।
विश्व म सबले बड़के ज्ञानी, अइसन कर दिन आज सयानी।
हिरदे मा सत्कार भरे हे, भारत के उद्धार करे हे।।
छंदकार - श्रीमती आशा आजाद
पता - मानिकपुर, कोरबा छत्तीसगढ़
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संविधान दिवस के उपलक्ष्य मा एक ले बढ़के एक रचना ।बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबाबा अम्बेडकर जी ला अंतस ले नमन हे,आज संविधान दिवस मा बाबा साहेब ला सुग्घर छंद रचना समर्पित करे गे हे।
ReplyDeleteआप जम्मो छंदकार मन ला ला गाड़ा गाड़ा बधाई👌👏👏💐💐
संविधान दिवस के अवसर मा छंद खजाना के संकलन संविधान दिवस विशेषांक अनुपम अउ अद्वितीय हे।जम्मो छंदकार मन ला सादर बधाई संगे संग संविधान दिवस के हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे
ReplyDeleteसबो रचनाकार ला संविधान दिवस के अब्बड़ बधाई। बड़ सुग्घर सुग्घर रचना के माध्यम ले संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी श्रद्धा सुमन अर्पित करे हव...ओकर कोई जवाब नहीं। उत्तम लेखन बर सबला बहुत बधाई।
ReplyDeleteसबो छंद साधक भाई बहिनी मन ला संविधान दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई
ReplyDeleteसबो झन के उत्तम सृजन से छंद खजाना म बढ़ोतरी होवत हे।
जम्मो आदरणीय मन के संविधान दिवस के ऊपर सार अउ पोठ रचना पढ़े ल मिलिस बहुत अच्छा लगिसे।
ReplyDeleteआप जम्मो झिन ल उत्कृष्ट सृजन करे बर अंतस ले बधाई संविधान दिवस के शुभकामना।।
बहुत-बहुत बधाई
छंद खजाना मा सुग्घर संकलन , जम्मो छंदकार मन ला बधाई
ReplyDeleteजय छत्तीसगढ़।
ReplyDeleteआप सब ला बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसंविधान दिवस के आप सब मन ला शुभकामनाएं
ReplyDeleteसंविधान दिवस बर अविस्मरणीय रचना आप सब ला बधाई
ReplyDeleteअति सुन्दर संकलन। आप जम्मो झन ला हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसंविधान के महिमा सुग्घर, हवय समेटे छंद।
ReplyDeleteकरत पान मकरंद सबोके, मिलिस हवय आनंद।।
कर्णधार बनके बइठे उन, मानँय नहीं विधान।
काबर उन नइ मानँय भाई, समय बड़ा बलवान।।
देखन हम घटना तुरते के, लेवन काहीं सीख।
चलन सदा सत के रसदा प्रभु,झन मँगवावय भीख।।
धन दौलत भर सब कुछ नोहै, मरजादा झन त्याग।
रहिन चूर मद मा कइसे उन, फूटिस उंखर भाग।।
हमर जम्मो साधक साधिका भाई बहिनी मन ल हिरदे ले गाड़ा गाड़ा बधाई जी...🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
बहुत सुग्घर लिखे हव भैया
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