*छत्तीसगढ़ के भाजी* -अश्वनी कोसरे
*लावणी छंद*
लाने दूध बताशा माढ़े, मुन्ना राजा हे राजी|
काहत हावय आनी बानी, मनभर के खाहूँ भाजी||
*पोंई भथुवा* रांधे दाई, चाउँर आलन हे डारे||
बाबू भैया खावत हावँय, गप - गप खाले मुँह फारे||
*चौलाई चेंच चनउरी* के, दाई राँधें हे भाजी||
चटनी चिरपोटी के घोरे ,खावत हें काका का जी|
*पालक* पुष्टइ ले भर देथे, *भाजी लाल* बने लागे|
*मुसकेनी* मुसकाके खाले, तीन परोसा अउ माँगे||
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*कुसुम करमता कुरमा* के रस, *मेथी* भूँज बघारे हे|*
*बोहार बर्रे भाजी* मा, चिटिक मही ला डारे हे||
*तिनपनिया* तर के खाले , नइ होवय तन हा बादी|
बाँधे ओली खोंट *खोंटनी,* दादा बर लाये दादी|
हुरहुरिया के फोरन डारे, *मुनगा भाजी* राँधे हे|
रहिस कलोरी कारी गइया, बछरू पीला नाँदे हे||
देख *गुमी गोभी* नाना जी, मुँह मा आवत हे पानी|
*तिंवरा सरसों भाजी* चुरगे, मन ललचावत हें नानी |
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*पटवा खेड़हा अमारी के, आगे हावय* अब पारी|*
*सेमी कलींज भाजी* के, आज बने हे तरकारी||
*चना चरोंटा सुकसा* राँधे, बोइर मा *काँदा भाजी|*
राहय कहूँ भुखाये कोनो, दू कौंरा उपरा खा जी||
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*मुरई भाजी* पताल झोझो, नेंग* नता ला निपटाथें|
सरपट तीरँय जीभ लमा के, अंग लगत ले सब खाथें||
*उरला भाजी* राहेर दार मा, सबके मन ला ओ भाथे|
*कजरा मिंझरा भाजी* गउकी, सोंध सोंध बड़ ममहाथे||
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*कोचइ पाना* के इड़हर हा, बेसन लपटे* ओ चुरगे |
*जीमी काँदा के अनसइया, खोईला* होके पुरगे||
बारी बखरी मा लगथे जी, किसिम किसिम भाजी पाला|
*ढोंटो बेला के* चटनी जी, रोजे बनथे रसवाला||
**अश्वनी कोसरे रहँगिया "प्रेरक"*
**कवर्धा कबीरधाम*
बहुतसुन्दर, बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर
ReplyDeleteसुघर छंद रचना
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