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Thursday, December 17, 2020

छत्तीसगढ़ के भाजी* -अश्वनी कोसरे

 *छत्तीसगढ़ के भाजी* -अश्वनी कोसरे

 *लावणी छंद* 


लाने दूध बताशा माढ़े, मुन्ना राजा हे राजी|

काहत हावय आनी बानी, मनभर के खाहूँ भाजी||


 *पोंई भथुवा* रांधे दाई, चाउँर आलन हे डारे||

बाबू भैया खावत हावँय, गप - गप खाले मुँह फारे|| 


 *चौलाई चेंच चनउरी* के, दाई राँधें हे भाजी||

चटनी चिरपोटी के घोरे ,खावत हें काका का जी|


 *पालक* पुष्टइ ले भर देथे, *भाजी लाल* बने लागे|

 *मुसकेनी* मुसकाके खाले, तीन परोसा अउ माँगे||

 *

 *कुसुम करमता कुरमा* के रस, *मेथी* भूँज बघारे हे|* 

 *बोहार बर्रे भाजी* मा, चिटिक मही ला डारे हे||


*तिनपनिया* तर के खाले , नइ होवय तन हा बादी|

बाँधे ओली खोंट *खोंटनी,* दादा बर लाये दादी|


हुरहुरिया के फोरन डारे, *मुनगा भाजी* राँधे हे|

रहिस कलोरी कारी गइया, बछरू पीला नाँदे हे||


देख *गुमी गोभी* नाना जी, मुँह मा आवत हे पानी|

 *तिंवरा सरसों भाजी* चुरगे, मन ललचावत हें नानी |

 *

 *पटवा खेड़हा अमारी  के, आगे हावय*  अब पारी|* 

 *सेमी कलींज भाजी* के, आज बने हे तरकारी||


 *चना चरोंटा सुकसा* राँधे, बोइर मा *काँदा भाजी|* 

राहय कहूँ भुखाये कोनो, दू कौंरा उपरा खा जी||

 *

 *मुरई भाजी* पताल झोझो, नेंग* नता ला निपटाथें|      

सरपट तीरँय जीभ लमा के, अंग लगत ले सब खाथें||


 *उरला भाजी* राहेर दार मा, सबके मन ला  ओ भाथे|

 *कजरा मिंझरा भाजी* गउकी, सोंध सोंध बड़ ममहाथे||

  *

 *कोचइ पाना* के इड़हर हा, बेसन लपटे* ओ चुरगे |

 *जीमी काँदा के अनसइया, खोईला* होके पुरगे||


बारी बखरी मा लगथे जी, किसिम किसिम भाजी पाला|

 *ढोंटो बेला के* चटनी जी, रोजे बनथे रसवाला||



 **अश्वनी कोसरे रहँगिया  "प्रेरक"* 

 **कवर्धा कबीरधाम*

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