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Thursday, December 10, 2020

शहीद वीर नारायण सिंह जी ल, छंद परिवार के काव्यांजलि

 



 









 कमलेश्वर वर्मा "सोनाखान के वीर"

    वीर छन्द


सत्रह सौ पंचनबे सन मा,झूम उठिस बड़ सोनाखान।

रामराय घर जनम धरिन जी,हमर राज के बड़का शान।1।


मातु पिता मन खुशी मनावत,नारायण सिंह धर लिन नाम।

निडर साहसी बचपन ले वो,पूजय देवता बिहना शाम।2।


आघू वो हा जमींदार बन,बिकट करिस जी जनकल्यान।

पूरा कोशिश सदा करय वो,झन राहय कोनो परशान ।3।


जब अकाल अउ सूखा पड़ गिस,सन छप्पन के घटना जान।

तब जनता मा  बँटवा दिस वो,अपन सबो कोठी के धान।4।


तभो बहुत झन भूख-प्यास ले, करत रिहिन हे चीख-पुकार।

 लोगन संगे नारायण तब,

 गिस व्यापारी माखन- द्वार।5।

 

फेर सेठ के दिल नइ पिघलिस,नइ दिस वोहर धान उधार।

तब नारायण सिंह हा बोलिस,सबो लूट ले जव भंडार।6।


घटना पाछू माखन पहुँचिस, अंगरेज इलियट के तीर।

मोर लूट लिन कोठी साहब,

मनखें अउ नारायण वीर।7।


फेर पकड़ के नारायण ला, अंगरेज मन भेजिन जेल।

तोड़ जेल ला वोहर निकलिस,

करके बड़का सुग्घर खेल।8।


वापिस सोनाखान पहुँच के,कर लिस वो सेना तैयार।

अंगरेज मन संग युद्ध मा, सेना भारी करिस प्रहार।9।


चलयँ दनादन बाण धनुष ले, अउ होवय भाला ले वार।

कैप्टन स्मिथ के दल कोती जी, मच जय बिक्कट हाहाकार।10।


फेर अंत मा घमासान के, बंदी बनगे वीर महान।

चलिस मुकदमा झूठ-कपट ले, देशद्रोह ला कारण मान।11।


नारायण ला सजा सुना दिस, फाँसी देके लेबर जान।

रइपुर के जय स्तंभ चौक मा, दे दिस योद्धा हा बलिदान।12।


अपन प्रान ला देके वोहर,रख लिस बड़ माटी के मान।

जुग-जुग बर अम्मर होगे जी, लाँघन-भूखन के भगवान।13।


सन संतावन के ये घटना, छागे पूरा हिन्दुस्तान।

जनता मन हा जागिन भारी, आजादी बर दिन सब ध्यान।14।


नारायण सिंह के भुइँया ला, सरग सँही देवव सम्मान।

बार-बार मैं मूड़ नवावँव,पावन माटी सोनाखान।15।



कमलेश कुमार वर्मा

साधक सत्र-09

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 ठेठवार: कुण्डलीयाँ छंद 


बघवा सोना खान के, वीर नरायण नाम ।

बैरी बर आगी बने, करे नेक तै काम ।।

करे नेक तै काम, रहे भारी उपकारी ।

दीन हीन के संग, बिता दे जिनगी सारी ।।

लड़े लड़ाई जोर, सबो दिन होके अघवा ।

भरे जोर हुंकार, बने बैरी बर बघवा ।।


पुरूषोत्तम ठेठवार 

छंदकार 

ग्राम - भेलवाँटिकरा 

जिला - रायगढ 

छत्तीसगढ

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आल्हा छंद - वीर नारायण सिंह - विरेन्द्र कुमार साहू


नारायण सिंह धाकड़ चेलिक, बइरी बर सँउहे यमदूत।

लड़िस लड़ाई स्वतंत्रता के, माटी हितवा वीर सपूत।1।


करिन हवँय बइरी मन आके, जब-जब नंगत के अतलंग।

पानी पसिया देके भिड़गे, रन मा वोहर बइरी संग।2।


रामसाय के बघवा बेटा, लइका रहय घात के ऊँच।

पोटा काँपय बइरी मनके, रेंगय बीस हाथ ले घूँच।3।


बाँधे पागा लाली फेटा, सादा धोती उनकर शान।

हाथ म पहिरे चाँदी चूरा, सोना-बारी सोहे कान।4।


रहय रोठ बंदूक पीठ मा, कनिहा मा धरहा तलवार।

बउरे इनला सदा वीर हा, केवल खातिर पर उपकार।5।


छंदकार : विरेन्द्र कुमार साहू, ग्राम - बोड़राबाँधा (राजिम), जिला - गरियाबंद (छ.ग.) 9993690899

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*आल्हा छंद - बोधन राम निषादराज*

(सोनाखान के जमीदार)


बलिदानी वो वीर नरायन,जमीदार वो सोनाखान।

अद्भुत साहस भर हिरदय मा,हँस के वो होगे बलिदान।।


छत्तीसगढ़ के सोना बेटा,गली-गली मा ओखर मान।

अंग्रेजन मन थर-थर काँपै,भागै सबो बचाके प्रान।।


दीन दुखी के हितवा बेटा,बन के आइस हे अवतार।

जेला देखत बइरी मन के,छलकय आँखी आँसू धार।।


अइसन बघवा जस अवतारी,गुर्रावय जब आँखी खोल।

गोरा मन के पोटा काँपै,ऊँखर शासन जावै डोल।।


एक समे के बात बतावँव,जब भुइयाँ मा परे अकाल।

सन् अठरा बच्छर छप्पन के,होय रहिस मनखे कंगाल।।


सुक्खा परगे खेत खार हा,दाना-दाना बर लुलवाय।

पर अंग्रेजन मन ला संगी,दया थोरको घलो न आय।।


बरछी भाला धरिस नरायन,अंग्रेजन बर हल्ला बोल।

लुटा दिए जम्मों जनता मा,फोर दिए कोठी ला खोल।।


देखत गोरा काँपन लागै,मचगे उन मा हाहाकार।

विद्रोही बनगे फिर देखौ,बइरी अंग्रेजन सरकार।।


घेरा बंदी चारो कोती,अंग्रेजी सेना चिल्लाय।

वीर नरायन कोन हरे वो,पकड़ौ पकड़ौ बड़ झल्लाय।।


रइपुर के जय स्तंभ चउँक मा,सरे आम फाँसी लटकाय।

झूल गइस हे हीरा बेटा,मातृ भूमि ला शीष नवाय।।


धन्य धन्य हे वीर नरायन,तोला पूजै सब संसार।

मात-पिता के मान बढ़ाए,ये भुइयाँ के कर्ज उतार।।


बन शहीद तँय पहिली हीरा,छत्तीसगढ़ी भाग जगाय।

वीर बने तँय वीर नरायन,तोर वीरता गुन सब गाय।।


छंद साधक:-

बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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: पुत्र सोनाखान के


गीतिका छंद


                - सुकमोती चौहान "रुचि"


जे अमर जग मा हवै जी , पुत्र सोनाखान के ।

छंद रचना मँय करँव जी , वीर के बलिदान के ।।

वीर नारायण बसे हे , देश हिरदे कोर मा ।

जे रहिस छत्तीसगढ़ के ,हर गली अउ खोर मा ।।


तँय अपन दाई ददा ले  , पाय निक संस्कार ला ।

देख लोगन  दुः ख पीरा , कम करस तँय भार ला ।।

शत्रु बर बघवा रहिस वो , देख के गुर्राय जी ।

कोनहो ला वो डरे नइ , शत्रु मन थर्राय जी ।।


नइ गिरिस पानी बछर भर , होय गिस सुक्खा धरा ।

धान चाँउर पटपटागे , जब मिलिस नइ आसरा ।।

फोर कोठी खोल दिस जी , अन सबो मा बाँट दिस ।

चार दिन मा पेट कीरा , अन सबो ला चाट दिस ।।


टोर तारा धान बाँटय , पुत्र सोनाखान के ।

छंद रचना मँय करँव जी , वीर के बलिदान के ।।

जे रहिन छत्तीसगढ़ के , वीर सेनानी प्रथम ।

झूल गे गल डार फाँसी , वीर बलिदानी प्रथम ।।


धन्य महतारी हवै जी , धन्य माटी गाँव के ।

धन्य हे परिवार ओकर , कोख पबरित छाँव के ।।

नाँव दुनिया लेत हावय , बात बड़ सम्मान के ।

छंद रचना मँय करँव जी ,वीर के बलिदान के ।।


सुकमोती चौहान "रुचि"

बिछिया , महासमुन्द , छ.ग.

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''बीर नरायण सोनाखनिहा''


सुरता आ गे तोर ग मोला,आँखी मा आ गे पानी।

बीर नरायण सोनाखनिहा,हीरा बेटा बलिदानी।


बछर सत्तरह सौ पन्चनवे,जनम भइस मुँधराहा के।

छत्तीसगढ़ भुँइया खुश होइस,हीरा बेटा ला पा के।


नारायण आँखी के तारा,रामकुँवर महतारी के।

रामसाय के राज दुलरुवा,दीया डीह दुवारी के।


सत रद्दा मा रेंगस धर के,संत गुरू मनके बानी।

बीर नरायण सोनाखनिहा,हीरा बेटा बलिदानी।


सन अठ्ठारह सौ छप्पन मा,घोर अकाल परे राहय।

जनता के दुख भूख प्यास ला,तोर प्रयास हरे राहय।


विनत निवेदन नइ समझिस ता,बँटवा देये राशन ला।

अपरिद्धा माखन ब्यापारी,लिगरी करदिस शासन ला।


झूठा केस चलावन लागिस,ओ अँगरेजी अहमानी।

बीर नरायण सोनाखनिहा,हीरा बेटा बलिदानी।


माह दिसम्बर तारिक दस के,अठ्ठारह सौ सन्तावन।

फाँसी दे दिन तोला हीरा,गला भरत हे का गावन?


छत्तीसगढ़ के गाँव गली मा,तुरत पसरगे सन्नाटा।

जनता के हिस्सा मा जइसे,अँधियारी आ गे बाँटा।


तोर शहादत आँखी देखिस,रोइस रयपुर रजधानी।

बीर नरायण सोनाखनिहा,हीरा बेटा बलिदानी।


रचना-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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आल्हा छंद- विजेन्द्र वर्मा


जनम धरिन हे बघवा बनके,रामकुँवर देवी के कोख।

बड़े बाढ के करत रिहिन वो,सबके दुख पीरा ला शोख।।


बीच डोंगरी जंगल पहाड़,गाँव बसे हे सोनाखान।

जमींदार नारायण के तो,करम भूमि तँय वोला जान।।


धरम करम के अलख जगइया,माटी जेकर रिहिस मितान।

परहित बर जे सूली चढ़गे,लाइस वो हा नवा बिहान।।


पीरा परजा मन के सहिके,नइ मानिस गोरा से हार।

रहिस जोश तब बिकटे मन मा,बइरी ला देवय ललकार।।


जब तक सूरज चंदा रइही,अम्मर रइही ओकर नाँव।

माथ नवावन उँकर चरन मा,गुण गावन सब सोना गाँव।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

जिला-रायपुर


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