36 गढ़ के 36 भाजी-
रहिथे गाँव कड़ार मा, लिखे हवय जगदीश।
छत्तीसगढ़ के मैं कहँव, ये भाजी छत्तीस।।
भाजी *तिवरा* *गोंदली*, *मुनगा* अउ *बोहार*।
*चुनचुनिया* अउ *चौलई*,मिलय *चरोटा* खार।।
*कुरमा पटवा खेंडहा*, *पुतका* भाजी *लाल*।
*भथवा मेथी लहसुवा*, *सरसों* करे कमाल।।
*गोभी कुसुम मछेरिया,बर्रे मखना* लाय।
*चना अमारी* राँध ले, *कजरा* गजब सुहाय।।
*गुडरू उरला चिरचिरा, चेंच चनौरी* सार।
*तिनपनिया* अउ *करमता*, *कांदा* बगरे नार।।
*मुरई मुसकेनी* *गुमी*, *पालक* भाजी शान।
खावव येला मन लगा, हो जावव बलवान।।
*जगदीश "हीरा" साहू*
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