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Friday, December 25, 2020

अमृतध्वनि छंद*-बोधनराम निषाद

 *अमृतध्वनि छंद*-बोधनराम निषाद


(1) रँधनी खोली 

रँधनी  दरहा   केटली, चूल्हा  आगी  बार।

डुवा कराही करछुली,बटकी ठठिया सार।।

बटकी ठठिया,सार चार जी,ठन-ठन बोले।

थारी लोटा,अउ गिलास ला, सुग्घर धोले।।

लोहा   तावा,   पोथे   रोटी,   दाई  भोली।

चटनी मरकी, हउँला बाँगा, रँधनी खोली।।


(2) बारी बखरी

बारी  बखरी  ढेखरा, तुमा तरोई   झूल।

धनिया मेथी  गोंदली, पाना गोभी फूल।।

पाना गोभी,फूल बने जी,पालक भाजी।

केरा लहसे,अरन पपाई,गाजर खा जी।।

करू करेला,मखना झुरगा,सब तरकारी।

फरथे सेमी,अउ पताल जी,बखरी बारी।।



बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम

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