बइला गाड़ी (लावणी छंद)-दिलीप वर्मा
बइला गाड़ी हवय बनाना,ता पहिली लकड़ी लानव।
निंधा लकड़ी चीर फाड़ के,आरा पुट्ठा बर चानव।
गोल गोल फिर मुड़ी बनावव,छेद बनालव आरा बर।
खोल बनावव मुड़ी बीच मा,ओमा गुर्दा ला दव भर।
चक्का ऊपर पट्टा राखव,गरमा गरम चघावव जी।
ढिल्ला हे तब चीपा ठोकव, सुग्घर चक्का पावव जी।
दूनो चक्का ला जोड़े बर,लोहा के असकुड़ लानव।
खीला हर चक्का ला छेंके,आपा धापी मा जानव।
असकुड़ राखव पोल तरी मा, डार पोटिया ऊपर ले।
ओखर ऊपर रखव बैसकी, भार सबो के जे धर ले।
रखव बैसकी ऊपर डाँड़ी, जेमा पटनी छाना हे।
ओ पटनी मा खूँटा गाड़व,डाँड़ी पार लगाना हे।
लकड़ी मा फिर छेद करा के,डाँड़ी ला बुलकाना हे।
चक्का ले बइला हर बाँचय,धोखर बने बनाना हे।
डाँड़ी ला आगू ले जा के,आपस मा मिलवाना हे।
रहे धुरखिली जोंड़े खातिर, सँग मा सब ला लाना हे।
डाँड़ी ऊपर जूड़ा रख के,बरही ले सुग्घर बाँधव।
जूड़ा में फिर डार सुमेला,जोता ले बइला फाँदव।
तता तता भीतर के बइला,बाहिर के अर्रावव जी।
कोर्रा लाठी मार तुतारी,गाड़ी बने भगावव जी।
साँकड़ ले बइला ला थाम्हव,खेत डहर जब जाना हे।
तेल ओंग के तब गुर्दा मा,चक्का सुघर ढुलाना हे।
पैरा डोरी बोझा बाँधय,डोर लपेटा ताने बर।
उल्ला धुरहा देख देख के,भरती गाड़ी जाने बर।
रहे टेकनी सुसताये बर, काम बहुत वो आवत हे।
गाड़ी मा बोझा भरना हे,तेन बखत टेकावत हे।
काम बहुत ये आथे गाड़ी,रहे किसनहा ते जानय।
बिन गाड़ी के काम चले नइ,करे किसानी ते मानय।
दिलीप कुमार वर्मा
बलौदाबाजार 25-11-2019
बहुत सुग्घर संकलन गुरुदेव
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