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Friday, December 18, 2020

छत्तीसगढ़ के बियंजन- छत्तीसा (चौपाई)*

 *छत्तीसगढ़  के बियंजन- छत्तीसा  (चौपाई)* 


बर-बिहाव के माड़िस मड़वा | रोज छनत हे पपची लड़वा || 

बाँट तसमई के परसादी | गदगद होवत हे पड़-दादी || 


आठ ठेठरी सरलग खावै | तभो तिहारू नहीं अघावै ||    

सैघो एक अँगाकर खावै | तब बंठू बूता बर जावै || 


जुडवाँ जुगरू-जगन जुगाड़ू | खावैं खूब करी के लाड़ू ||

नरियर अउर चिरौंजी लावै |तब खेदू खुरमी बनवावै || 

 

होटल के झन खाव कचौरी | लाव मसूर बनाव बफौरी ||  ,

मुठिया ला चटनी सँग खावौ  | अउ सुस्ती ला दूर भगावौ ||  


हाट सनिच्चर के जब जावौ | रइपुरहिन के अरसा लावौ ||

घेरी-बेरी खा झन किरिया | आज बरातू खा ले बिरिया || 


फिरतू कहै फरा मँय  खाहूँ | तब्भे काम करे बर जाहूँ ||  

आलू-गोभी के तरकारी | खूब सपेटत हे सोंहारी ||


दही बरा के ले चटखारा | तब जावै भइया के सारा ||

सारा के हे नाम भखाड़ू , तूकत हावै मुर्रा लाड़ू || 


पितर-पाख मा पुरखा आवैं | उरिद बरा खा के हरसावैं  ||  

चनाबूट भूँजै मनटोरा | हाट-बजार म बेंचै होरा ||


इडहर बर कोचइ के पाना | लाने हे नन्दू के नाना ||

बिन कुसली के होरी कइसे | बिना रंग पिचकारी जइसे ||        


तिखुर सिंघाड़ा कतरा खावौ | कमजोरी ला दूर भगावौ ||

डबकत तेल म बबरा छानैं | नवा बहुरिया मन नइ जानैं ||  


आम-पना पी घाम म भागै | कहै  सियनहा लू नइ लागै ||

तिलिया रांधे बर तिल हेरै | फेर तिहारू घानी फेरै ||           


पिठिया नुनछुर नुनछुर लागै | खाये मा ये कुरकुर लागै  || 

रसगुल्ला जइसे दहरौरी | राँधे बर जानै बस गौरी ||           


बिनसा के अब नाम नँदागे | जउन पनीर सहीं हे लागे ||        

कोन केवचनिया ला जाने | ये हर ताकत दे मनमाने ||          


नान्हेंपन के सुरता गुरतुर | अमली-लाटा चुरपुर चुरपुर ||

बोइर कूट सबो ला भावै | टूरा टूरी दुन्नों खावै  ||


अमरस के पपड़ी खट-मिट्ठा | ओकर आघू सबकुछ सिट्ठा ||

हम्मन खावन गुड़ के पपड़ी | मरवाड़ी मन झड़कैं रबड़ी ||  


गुरतुर-गुरतुर गुलगुल भजिया | फगनू हर खावै फुरसतिया ||

खावैं जुरमिल माई-पीला | सादा नुनहा गुरहा चीला ||


भाई बहिनी पेलमपेला | खावन छीन-झपट चौसेला || 

बर-बिहाव के जोरन खाजा | खायँ बरतिया दुलहा राजा || 


*अरुण कुमार निगम*

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