Followers

Sunday, December 1, 2019

सार छन्द:- उमाकान्त टैगोर


सार छन्द:- उमाकान्त टैगोर

भारत माता के बेटा मँय, नोहँव कोनो आने।
देखत जल जाथे बैरी जब, चलथँंव छाती ताने।।

काम चोर होही ते होही, मँय नोहँव मनमौजी।
सब के चिंता मोला रहिथे, लोगन कहिथे फौजी।।

दाई के आँखी करुवावय, रद्दा देखत मोला।
बहिनी के राखी सोंचय कब, आही भैया भोला।।

छुट्टी नइ मिलय मोर बहिनी, कइसे मँय समझावँव।
सीमा रक्षा ला कइसे मँय, छोड़ छाड़ घर आवँव।।

अगर कहूँ मर जाहँव बहिनी, आँसू झिन बोहाबे।
रोबे गाबे झिन बहिनी तँय, दाई ला समझाबे।।

कठल कठल झिन बाबू रोही,अउ झिन रोही भाई।
कोन जनी कब कोरा ली ही, मोला धरती दाई।।

सब हितवा देखे बर आहीं, मँय झंडा मा आहँव।
अब तो कछु नइ मोला चाही, अतके मा तर जाहँव।।


छंदकार- उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबन्द, जाँजगीर छत्तीसगढ़

16 comments:

  1. बहुत-बहुत बधाई हो सर

    ReplyDelete
  2. सुग्घर छंद रचना

    ReplyDelete
  3. अति सुग्घर सर जी। हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  4. गजब सुग्घर भाईजी

    ReplyDelete
  5. गजब सुग्घर भाईजी

    ReplyDelete
  6. अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सार छंद उमाकांत भइया 🙏🙏

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद भाई जी1

      Delete
  7. सुघ्घर अउ प्रेरणाप्रद सार छंद

    ReplyDelete
  8. धन्यवाद भैया जी🙏🏻🙏🏻🙏🏻

    ReplyDelete
  9. बहुत सुग्घर सार छंद

    ReplyDelete
  10. वाहःह भाई
    जुग जुग जियो

    ReplyDelete
  11. गजब।देशभक्ति भावना ले ओतप्रोत सारछंद

    ReplyDelete