सार छन्द:- उमाकान्त टैगोर
भारत माता के बेटा मँय, नोहँव कोनो आने।
देखत जल जाथे बैरी जब, चलथँंव छाती ताने।।
काम चोर होही ते होही, मँय नोहँव मनमौजी।
सब के चिंता मोला रहिथे, लोगन कहिथे फौजी।।
दाई के आँखी करुवावय, रद्दा देखत मोला।
बहिनी के राखी सोंचय कब, आही भैया भोला।।
छुट्टी नइ मिलय मोर बहिनी, कइसे मँय समझावँव।
सीमा रक्षा ला कइसे मँय, छोड़ छाड़ घर आवँव।।
अगर कहूँ मर जाहँव बहिनी, आँसू झिन बोहाबे।
रोबे गाबे झिन बहिनी तँय, दाई ला समझाबे।।
कठल कठल झिन बाबू रोही,अउ झिन रोही भाई।
कोन जनी कब कोरा ली ही, मोला धरती दाई।।
सब हितवा देखे बर आहीं, मँय झंडा मा आहँव।
अब तो कछु नइ मोला चाही, अतके मा तर जाहँव।।
छंदकार- उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबन्द, जाँजगीर छत्तीसगढ़
बहुत-बहुत बधाई हो सर
ReplyDeleteसुग्घर छंद रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी
Deleteअति सुग्घर सर जी। हार्दिक बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुजी
Deleteगजब सुग्घर भाईजी
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुजी
Deleteगजब सुग्घर भाईजी
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सार छंद उमाकांत भइया 🙏🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई जी1
Deleteसुघ्घर अउ प्रेरणाप्रद सार छंद
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सार छंद
ReplyDeleteवाहःह भाई
ReplyDeleteजुग जुग जियो
सुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteगजब।देशभक्ति भावना ले ओतप्रोत सारछंद
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