छंद के महिमा -
आवव जानव छंद विधान ,
ये हावय साहित के जान |
दोहा रहे धीर गंभीर ,
छोट बात भी मारे तीर |
रोला के होवय पद चार ,
जेखर महिमा हवे अपार |
आठ चरण के खांचा खास
भाव विषय सब रहिथे पास |
उल्लाला के तीन प्रकार
दोहा के हावय ये यार |
कभू ऐठथे एहर मूँछ
कभू हिलावत रहिथे पूँछ |
कुण्डलिया ला का बतलांव
नाम सुनत ही आथे झाँव |
जइसे मेर्री मारे साँप |
देखत पोटा जाथे काँप |
वाह वाह रे आल्हा वाह ,
सबके मन मा भरे उछाह |
राई ला ये करे पहाड़
सुई देत हे पेड़ उखाड़ |
सरसी सरस बनावय गीत
आल्हा दोहा के हे मीत |
पढ़ लिख के राखव संस्कार
साहित हावय सबले सार |
जइसे सुघ्घर लगे मयंक
वइसे ही लागय ताटंक |
नाम भले ही लगय कठोर
पर बोली हा करय विभोर |
शंकर विष्णु छंद जे गाय
साहित सागर में तर जाय |
लीला इंखर अपरम्पार
नाम करम गुन सब हे सार |
रोला उल्लाला के हे साथ
छप्पय गढ़व नवावव माथ |
कुण्डलिया के भाई लाग
जइसे पाय बराबर भाग |
लागय अपन नाम कस बोल
अमृतध्वनि हवय अनमोल |
एखर रचना नइहे खेल
निकले बड़े बड़े के तेल |
शोभन मदन अबड़ भरमाय
लागय जइसे जुड़वा आय |
दूनो के एक्के हे चाल
जइसे पवन चले मतवाल |
रचनाकार - श्रीमती आशा देशमुख
एन टी पी सी , जमनीपाली, कोरबा
छत्तीसगढ़
छ्न्द के अति सुंदर वर्णन दीदी
ReplyDeleteछ्न्द के अति सुंदर वर्णन दीदी
ReplyDeleteअद्भुत वर्णन दीदी,
ReplyDeleteअद्भुत अनुपम सृजन दीदी वाह्ह्ह्ह्ह्ह।
ReplyDeleteछंद राग के गरिमा जान, आशा बहिनी के सुर गान
ReplyDeleteमन मति के महिमा ला मान,मनखे बनथे तभे महान।
बहुत सुंदर चौपई दीदी
ReplyDeleteबहुत सुंदर चौपई दीदी
ReplyDeleteजम्मो छंद के बड़ सुग्घर दीदी
ReplyDeleteछंद के महिमा चौपई म करेहव आशा बहिनी बहुत सुघ्घर
ReplyDeleteलाजवाब सृजन हावय आशा बहिनी जी।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteउत्कृष्ठ रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteउत्कृष्ठ रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteछंद महिमा के बखान करत सुग्घर चौपई छंद दीदी। बधाई अउ शुभकामना।
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