//// होली के दोहा ////
ब्रज मा होरी हे चलत, गावत हे सब फाग।
कान्हा गावय झूम के,किसम-किसम के राग।।1।।
राधा डारय रंग ला,सखी सहेली संग।
कान्हा बाँचे नइ बचय, होगे हे सब दंग।।2।।
ढोल नगाड़ा हे बजत, पिचकारी में रंग।
राधा होरी में मगन, सखी सहेली संग।।3।।
गोकुल मा अब हे दिखत,चारो कोती लाल।
बरसत हावय रंग हा,भींगत हे सब ग्वाल।।4।।
लाल लाल परसा दिखय,आमा मउँरे डार।
पींयर सरसों हे खिले,सुग्घर खेती खार।।5।।
===000===
तन ला रंगे तैं हवस,मन ला नइ रंगाय।
पक्का लगही रंग हा, जभे रंग मन जाय।। 6।।
छोड़व झगरा ला तुमन,गावव मिलके फाग।
आपस में जुरमिल रहव,खूब लगावव राग।।7।।
आँसों होरी मा सबो,धरव शांति के भेष।
मेल जोल जब बाढही,मिट जाही सब द्वेष।।8।।
कबरा कबरा मुँह दिखय,किसम किसम के गोठ।
मगन हावय सब भाँग मा,दूबर पातर रोठ।।9।।
मिर्ची भजिया देख के,जी अड़बड़ ललचाय।
छान छान के तेल मा, नवा बहुरिया लाय।।10।।
रचनाकार -श्री अजय अमृतांशु
भाटापारा, छत्तीसगढ़
ब्रज मा होरी हे चलत, गावत हे सब फाग।
कान्हा गावय झूम के,किसम-किसम के राग।।1।।
राधा डारय रंग ला,सखी सहेली संग।
कान्हा बाँचे नइ बचय, होगे हे सब दंग।।2।।
ढोल नगाड़ा हे बजत, पिचकारी में रंग।
राधा होरी में मगन, सखी सहेली संग।।3।।
गोकुल मा अब हे दिखत,चारो कोती लाल।
बरसत हावय रंग हा,भींगत हे सब ग्वाल।।4।।
लाल लाल परसा दिखय,आमा मउँरे डार।
पींयर सरसों हे खिले,सुग्घर खेती खार।।5।।
===000===
तन ला रंगे तैं हवस,मन ला नइ रंगाय।
पक्का लगही रंग हा, जभे रंग मन जाय।। 6।।
छोड़व झगरा ला तुमन,गावव मिलके फाग।
आपस में जुरमिल रहव,खूब लगावव राग।।7।।
आँसों होरी मा सबो,धरव शांति के भेष।
मेल जोल जब बाढही,मिट जाही सब द्वेष।।8।।
कबरा कबरा मुँह दिखय,किसम किसम के गोठ।
मगन हावय सब भाँग मा,दूबर पातर रोठ।।9।।
मिर्ची भजिया देख के,जी अड़बड़ ललचाय।
छान छान के तेल मा, नवा बहुरिया लाय।।10।।
रचनाकार -श्री अजय अमृतांशु
भाटापारा, छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया दोहा मजा आगे ।
ReplyDeleteहोली तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई अऊ शुभकामना
आभार माटी जी
Deleteवाहःहः बहुते बढ़िया होली के दोहावली
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
सादर आभार दीदी
Deleteसादर आभार दीदी
Deleteवाह बहुत बढ़िया होली दोहा बधाई
ReplyDeleteआभार जोगी जी
Deleteआभार जोगी जी
Deleteवाह बहुत बढ़िया होली दोहा बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहा हे गुरूजी....
ReplyDeleteफागुन के सबो रंग ल दोहा म सँजो दे हव
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Deleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
Deleteरंगे होली के रंग मा, ले राधा के नाम।
ReplyDeleteघर लागे गोकुल सही,मन वृन्दावन धाम।।
रंगे होली के रंग मा, ले राधा के नाम।
ReplyDeleteघर लागे गोकुल सही,मन वृन्दावन धाम।।
धन्यवाद
Deleteधन्यवाद
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ReplyDeleteबढिया दोहा हे अजय, बगरे हे सब - रंग
ReplyDeleteतोर छंद ला देख के, दुनियाँ हावय - दंग।
दीदी प्रणाम
ReplyDeleteसादर आभार
दीदी प्रणाम
ReplyDeleteसादर आभार
वाह्ह्ह्ह् बहुँत सुग्घर दोहावली अजय जी। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सर जी
Deleteबहुत बहुत आभार सर जी
Deleteवाह अमृतांशु भाई बहुत सुन्दर दोहा
ReplyDeleteआभार मितान जी
ReplyDeleteआभार मितान जी
ReplyDeleteवाह्ह वाह अमृतांशु भइया अब्बड़ सुग्घर दोहा मा फागुन के मया भरे वर्णन भइया लाजावाब आनंद आगे
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह् गज़ब के दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह् गज़ब के दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह वाह्ह शानदार दोहावली "अमृतांशु"सर।
ReplyDeleteगजब सुग्घर दोहावली हे भैया। बधाई अउ शुभकामना।
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