1 आगू बढ़बे
झनकर अतियाचार जी, भरे जवानी जोस ।
खइता जिनगी तोर गा, खोथस काबर होस ।
खोथस काबर, होस राखले, मीठ बोल ले।
मया बाँट ले, सुमत आँट ले, गाँठ खोल ले।
दू मन आगर, मिहनत तैं कर, सुरता छिन भर ।
पढ़बे लिखबे , आगू बढ़बे , आलस झन कर ।
2 पद पइसा
पद पइसा के खेल मा, नाचत हाबय न्याय ।
निरपराध फाँसी चढ़य, अपराधी बँच जाय।
अपराधी बँच ,जाय घूस के, नोट धराके ।
धौंस जमाके, गुंडा लाके, मार खवाके ।
पहुँच बताथे , रउँदत जाथे , नेता के कद ।
बड़ इँतराथे, जोर लगाथे , सब पाके पद ।
3 भारत भुइँयाँ
जेकर चारों खूँट हे, पावन चारों धाम।
धरम धजा फहरत रथे, देवभूमि हे नाम ।
देवभूमि हे ,नाम सोन के , सुघर चिरइया ।
भारत भुइँया , लागवँ पँइया, अलख जगइया ।
लाल जवाहर , हवय घरो घर , बेटा शेखर ।
सागर परबत , पहरा देथे , निसदिन जेखर ।
4 जिम्मेदारी
जिम्मेंदारी छोंड़ के , आलस ला झन थाम ।
अइसन मनखे के सदा , बिगड़त रहिथे काम ।
बिगड़त रहिथे , काम सबो जी , नइ समझै जी ।
मन मुरझाथे , मान गँवाथे , दुख अरझै जी ।
परे लचारी , घर के नारी , सहिथे भारी।
खुशी मनाथे , जेन उठाथे , जिम्मेंदारी ।
रचनाकार -- श्री चोवा राम " बादल"
हथबंद , छत्तीसगढ़
झनकर अतियाचार जी, भरे जवानी जोस ।
खइता जिनगी तोर गा, खोथस काबर होस ।
खोथस काबर, होस राखले, मीठ बोल ले।
मया बाँट ले, सुमत आँट ले, गाँठ खोल ले।
दू मन आगर, मिहनत तैं कर, सुरता छिन भर ।
पढ़बे लिखबे , आगू बढ़बे , आलस झन कर ।
2 पद पइसा
पद पइसा के खेल मा, नाचत हाबय न्याय ।
निरपराध फाँसी चढ़य, अपराधी बँच जाय।
अपराधी बँच ,जाय घूस के, नोट धराके ।
धौंस जमाके, गुंडा लाके, मार खवाके ।
पहुँच बताथे , रउँदत जाथे , नेता के कद ।
बड़ इँतराथे, जोर लगाथे , सब पाके पद ।
3 भारत भुइँयाँ
जेकर चारों खूँट हे, पावन चारों धाम।
धरम धजा फहरत रथे, देवभूमि हे नाम ।
देवभूमि हे ,नाम सोन के , सुघर चिरइया ।
भारत भुइँया , लागवँ पँइया, अलख जगइया ।
लाल जवाहर , हवय घरो घर , बेटा शेखर ।
सागर परबत , पहरा देथे , निसदिन जेखर ।
4 जिम्मेदारी
जिम्मेंदारी छोंड़ के , आलस ला झन थाम ।
अइसन मनखे के सदा , बिगड़त रहिथे काम ।
बिगड़त रहिथे , काम सबो जी , नइ समझै जी ।
मन मुरझाथे , मान गँवाथे , दुख अरझै जी ।
परे लचारी , घर के नारी , सहिथे भारी।
खुशी मनाथे , जेन उठाथे , जिम्मेंदारी ।
रचनाकार -- श्री चोवा राम " बादल"
हथबंद , छत्तीसगढ़
चोवा के सब - छंद हर, देथे - शुभ संदेश
ReplyDeleteनीति नेम के बात ले, मिटय सबो के क्लेश।
धन्यवाद।प्रणाम दीदी जी।
ReplyDeleteधन्यवाद।प्रणाम दीदी जी।
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर सन्देश देवत अमृतध्वनि छंद बादल भइया प्रणाम
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई जी।
Deleteग़जब सुघ्घऱ सर
ReplyDeleteप्रोत्साहन बर सादर आभार जितेंद्र वर्मा भाई जी।
Deleteबहुत सुघ्घर अमृतध्वनि छंद चोवाराम भाई आपके रचना मा जीवन दर्शन छुपे रहिथे बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीया ।
Deleteबहुत सुग्घर अउ लाजवाब अमृत ध्वनि छंद हे,गुरुदेव बादल जी। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन लाल वर्मा भाई।
Deleteवाह्ह वाह्ह "बादल" भैया एक ले एक अमृत ध्वनि छंद आनंद आगे।
ReplyDeleteधन्यवाद अहिलेश्वर भाई।
Deleteबहुत सुघ्घर अमृत ध्वनि भईया जी, बधाई हो
ReplyDeleteसादर आभार जोगी जी।
Deleteबहुत सुघ्घर अमृत ध्वनि भईया जी, बधाई हो
ReplyDeleteबादल भइया जबरदस्त रचना बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद वर्मा जी।
Deleteधन्यवाद दिलीप वर्मा जी।
Deleteबादल भैया बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteआप तो छंद परिवार के ताज हरव।
सादर नमन।
सादर आभार आशा देशमुख बहिनी जी।
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भाई ।
Deleteबहुत सुघ्घर रचना बधाई हो भैया जी
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