सामाजिक बुराई
(1)
बनथे हमर समाज, जोर परिवार सबो के
हित ला राखैं ध्यान, नफा नुकसान समोखे
समझैं नही सियान, बनाथें रीत कहाँ ले
मरनी अऊ बिहाव, हेरथे प्रान तँहा ले।।
(2)
जरथें नोनी आज, घलो दाईज हवन मा
नइ आँवय गा बाज, रहइया कुटी भवन मा
आना जाना जान, आय जिनगी के हिस्सा
रहिथे बनके मान, एक दिन कहनी किस्सा।।
(3)
वाह तेरही भोज, चलत हे आजो कसके
चटकारत हें जीभ, देख लौ खा के खसके
टूटे रथे पहाड़, दुःख के जेकर घर मा
आवै इही समाज, लादथे बोझा सर मा।।
(4)
जात पात के जाल, देख लौ हावै पसरे
सब जी के जंजाल, हेराही कइसे कस रे
आवौ करन प्रयास, हटावन सबो बुराई
बनही हमर समाज, तभे खुशहाल ग भाई।।
रचनाकार - श्री सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर, दुर्ग , छत्तीसगढ़
(1)
बनथे हमर समाज, जोर परिवार सबो के
हित ला राखैं ध्यान, नफा नुकसान समोखे
समझैं नही सियान, बनाथें रीत कहाँ ले
मरनी अऊ बिहाव, हेरथे प्रान तँहा ले।।
(2)
जरथें नोनी आज, घलो दाईज हवन मा
नइ आँवय गा बाज, रहइया कुटी भवन मा
आना जाना जान, आय जिनगी के हिस्सा
रहिथे बनके मान, एक दिन कहनी किस्सा।।
(3)
वाह तेरही भोज, चलत हे आजो कसके
चटकारत हें जीभ, देख लौ खा के खसके
टूटे रथे पहाड़, दुःख के जेकर घर मा
आवै इही समाज, लादथे बोझा सर मा।।
(4)
जात पात के जाल, देख लौ हावै पसरे
सब जी के जंजाल, हेराही कइसे कस रे
आवौ करन प्रयास, हटावन सबो बुराई
बनही हमर समाज, तभे खुशहाल ग भाई।।
रचनाकार - श्री सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर, दुर्ग , छत्तीसगढ़
हमर आशुकवि भाई जी के अनुपम रोला छंद
ReplyDeleteपढ़के अति आनन्द आवत हे,जन जागरण सृजन बर हार्दिक बधाई भाई जी।
बहिनी!!!हमर गुरुदेव अउ भैया के आशीर्वाद अउ तुँहर जम्मो झन के प्रेम के परिणाम आय....
Deleteसादर पैलगी अउ असीस...
नफा नुकसान समो के, भी लिख सकत हस सूर ।
ReplyDeleteसुग्हर भाव , सुग्हर छंद।
दीदी सादर प्रणाम... ठीक केहेव दीदी। अब एमा मँय नई सुधार सकँव...ओइसे मोर अभिप्राय नफा अउ नुकसान ल सोच के रीत रिवाज बनाना चाही से रहिस दीदी...जानत हँव एमा तुक नई मिलत हे....सादर
Deleteअति सुंदर रोला भैया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाईईईई...
Deleteअति सुंदर रोला भैया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रोला भईया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाईईईई...
Deleteसामाजिक बुराई विषय मा शानदार रोला छंद ,गुरुदेव गुप्ता जी। बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाईईईई...
Deleteबहुत खूब गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाईईईई...
Deleteवर्तमान परिस्थिति ला देखावत बहुत बढ़िया रोला छंद
ReplyDeleteवर्तमान परिस्थिति ला देखावत बहुत बढ़िया रोला छंद
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रोला छंद मा सृजन भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रोला छंद मा सृजन भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteक्रुरूति मन उपर आपके कलम के जोरदार प्रहार।
ReplyDeleteआपके लेखनी ल सत सत नमन हे भइया