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Thursday, February 15, 2018

रोला छन्द - श्री सूर्यकान्त गुप्ता

सामाजिक बुराई

(1)
बनथे हमर समाज, जोर परिवार सबो के
हित ला राखैं ध्यान, नफा नुकसान समोखे
समझैं नही सियान, बनाथें रीत कहाँ ले
मरनी अऊ बिहाव, हेरथे प्रान तँहा ले।।

(2)
जरथें नोनी आज, घलो दाईज हवन मा
नइ आँवय गा बाज, रहइया कुटी भवन मा
आना जाना जान, आय जिनगी के हिस्सा
रहिथे बनके मान, एक दिन कहनी किस्सा।।

(3)
वाह तेरही भोज, चलत हे आजो कसके
चटकारत हें जीभ, देख लौ खा के खसके
टूटे रथे पहाड़, दुःख के जेकर घर मा
आवै इही समाज, लादथे बोझा सर मा।।

(4)
जात पात के जाल, देख लौ हावै पसरे
सब जी के जंजाल, हेराही कइसे कस रे
आवौ करन प्रयास, हटावन सबो बुराई
बनही हमर समाज, तभे खुशहाल ग भाई।।

रचनाकार - श्री सूर्यकांत गुप्ता
सिंधिया नगर, दुर्ग , छत्तीसगढ़

18 comments:

  1. हमर आशुकवि भाई जी के अनुपम रोला छंद
    पढ़के अति आनन्द आवत हे,जन जागरण सृजन बर हार्दिक बधाई भाई जी।

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    1. बहिनी!!!हमर गुरुदेव अउ भैया के आशीर्वाद अउ तुँहर जम्मो झन के प्रेम के परिणाम आय....
      सादर पैलगी अउ असीस...

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  2. नफा नुकसान समो के, भी लिख सकत हस सूर ।
    सुग्हर भाव , सुग्हर छंद।

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    1. दीदी सादर प्रणाम... ठीक केहेव दीदी। अब एमा मँय नई सुधार सकँव...ओइसे मोर अभिप्राय नफा अउ नुकसान ल सोच के रीत रिवाज बनाना चाही से रहिस दीदी...जानत हँव एमा तुक नई मिलत हे....सादर

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  3. अति सुंदर रोला भैया

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  4. अति सुंदर रोला भैया

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  5. बहुत बढ़िया रोला भईया जी

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  6. सामाजिक बुराई विषय मा शानदार रोला छंद ,गुरुदेव गुप्ता जी। बधाई।

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  7. वर्तमान परिस्थिति ला देखावत बहुत बढ़िया रोला छंद

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  8. वर्तमान परिस्थिति ला देखावत बहुत बढ़िया रोला छंद

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  9. बहुत सुग्घर रोला छंद मा सृजन भैयाजी।सादर बधाई

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  10. बहुत सुग्घर रोला छंद मा सृजन भैयाजी।सादर बधाई

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  11. क्रुरूति मन उपर आपके कलम के जोरदार प्रहार।

    आपके लेखनी ल सत सत नमन हे भइया

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