सही कहत हे फागुन पुन्नी
कर्म कलम हर भाग बनाथे, मोर बात ला सब पतियाव
मनखे जन्म मिले हे बढिया, सोच समझ के पाँव बढाव।
हाथ गोड हर कर्म करत हे, पाप पुण्य के मालिक भाव
भाव प्रमुख ए हर प्राणी मा, भाव मुताबिक सुख दुख पाव।
देख होलिका खुद जर जाथे, बाँचिस हे बपुरा प्रहलाद
साँच आँच ले नइ घबरावै, कतको बड होवय जल्लाद।
होरी मा झन रंग लगावव, हरदी के बस टीका टीक
पानी ला झन खूब बहावव, मनखे मुँहरन रहव सटीक।
अरसा कुशली खाव खवावौ, नाचौ गावौ सब परिवार
दया मया धर के बतियावव, करव समस्या के निरवार।
हरियर रुख ला झन काटव रे, एहर पाप कर्म ए जान
कचरा के होरी बारव रे, सही बुता के कर पहिचान।
भाँग धतूरा झन पीहौ जी, सब झन ला जावव समझाव
बहिनी मन के हाथ बँटावौ, वोहू मन ला भलुक बचाव।
देश धर्म सबले आघू हे, तेकर पाछू सबो तिहार
सही कहत हे फागुन पुन्नी, होरी के कर जय जयकार।
रचनाकार -शकुन्तला शर्मा,
भिलाई, छत्तीसगढ़
कर्म कलम हर भाग बनाथे, मोर बात ला सब पतियाव
मनखे जन्म मिले हे बढिया, सोच समझ के पाँव बढाव।
हाथ गोड हर कर्म करत हे, पाप पुण्य के मालिक भाव
भाव प्रमुख ए हर प्राणी मा, भाव मुताबिक सुख दुख पाव।
देख होलिका खुद जर जाथे, बाँचिस हे बपुरा प्रहलाद
साँच आँच ले नइ घबरावै, कतको बड होवय जल्लाद।
होरी मा झन रंग लगावव, हरदी के बस टीका टीक
पानी ला झन खूब बहावव, मनखे मुँहरन रहव सटीक।
अरसा कुशली खाव खवावौ, नाचौ गावौ सब परिवार
दया मया धर के बतियावव, करव समस्या के निरवार।
हरियर रुख ला झन काटव रे, एहर पाप कर्म ए जान
कचरा के होरी बारव रे, सही बुता के कर पहिचान।
भाँग धतूरा झन पीहौ जी, सब झन ला जावव समझाव
बहिनी मन के हाथ बँटावौ, वोहू मन ला भलुक बचाव।
देश धर्म सबले आघू हे, तेकर पाछू सबो तिहार
सही कहत हे फागुन पुन्नी, होरी के कर जय जयकार।
रचनाकार -शकुन्तला शर्मा,
भिलाई, छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteधन्यवाद, बलराम भाई।
Deleteवाह दीदी मजा आगे आल्हा फागुन
ReplyDeleteवाह दीदी मजा आगे आल्हा फागुन
ReplyDeleteदीदी आल्हा छंद मा ,होरी खेले आय।
ReplyDeleteसनसो के तोर बानी,सुघ्घर मोला भाय।।
बहुत बढ़ियाँ आल्हा छंद दीदी सादर पाय लागु
वाहःहः दीदी
ReplyDeleteहोली के कतिक सुघ्घर बखान करे हव।
सादर नमन दीदी।
अब्बड़ सुग्घर दीदी शिरतोंन बरनन करत आल्हा छंद दीदी पायलगी
ReplyDeleteवाह्ह्ह्,सुग्घर संदेश देत छंद दीदी
ReplyDeleteहोली हे....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया होली के वर्णन दीदी
सुग्घर संदेश आल्हा के माध्यम ले दीदी
ReplyDeleteसुग्घर संदेश आल्हा के माध्यम ले दीदी
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर रचना दीदी
ReplyDeleteपढ़ के मजा आगे
गाड़ा गाड़ा बधाई हो
बहुत सुग्घर आल्हा छंद मा संदेसप्रद रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर आल्हा छंद मा संदेसप्रद रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteअनुकरणीय अउ अनुपम आल्हा छंद हे ,दीदी। बधाई अउ शुभकामना।प्रणाम।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घऱ मनभावन आल्हा दीदी।बढ़िया बढ़िया सशक्त शब्द ले सुसज्जित लाजवाब आल्हा।
ReplyDeleteबहुँत सुग्घर आल्हा छंद के सिरजन करे हव दीदी।
ReplyDeleteबड़ सुन्दर आल्हा दीदी।सादर बधाई।
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