*शंकर तान्डव*
शंकर तान्डव झुमरत नाचे,धरती दाई देख !
पटक-पटक के गोड़ दबाथे,छाती अपन सरेख !!1!!
चालै तिरछुल घेरी बेरी,डमरु ठोंक बजाय !
कामदेव तो रोवै दाई,कइसे जान बचाय !!2!!
मोह तीर के कारन जाते,संकर जोग रमाँय !
तीर मार के काबर भागे,अतनू आज डराय !!3!!
रती तको तो थरथर काँपे,सुनके संकर भाख !
तीसर आँखी उगले आगी,अतनू होगै राख !!4!!
तान्डव करके नटराज बने,महादेव भगवान !
येकर सेवा जेन करे जी,होवत हे गुनवान !!5!!
*गोदी*
गोदी खनथे हँकरत रामा,रोजी मजुरी ताय !
पानी डोंकत पोछे माथा,जाँगर भूँख मिटाय !!1!!
गैंती झउहाँ राँपा कुदरी,लाने घर ले रोज !
बड़का ढ़ेला कोड़त फेंके,मारे धरहा सोज !!2!!
बेंठ रोंठ हे अजिरन लागै,थथर-मथर हे हाल !
नापै गोदी फीता डारै,फेर खनै रे पाल !!3!!
माई पिल्ला जम्मे खनथें,पेट-पीठ ला देख !
बनी-भुती तो जिनगी बनगे,मेंट लिखे जी लेख !!4!!
राहत आये राहत नइहे,जाँगर टोरैं रोजे !
गरीबहा हा गरीबहा हे,दुनिया सुख के खोजे !!5!!
*रोटी*
रोटी राँधे बड़का दाई,खाबो दूध मँ बोर !
परसा पाना कसके तोपे,आगी बढ़िया जोर !!1!!
रोठ-मोठ तो रोटी हावै,अँगरा सेंकत नेत !
बबा बने हे देखत गोई,मन तो लाहो लेत !!2!!
नवा-नवा हे पत्तो लाने,पैरी बाजे लोर !
बेटा बइठे जोहत हावे,लाही रोटी टोर !!3!!
चटनी पीसत हावे दाई,माली मा धर लाय !
घर भर बइठें आसा बाँधे,चाँट-चाँट के खाँय !!4!!
सबके पेट भरे जी रोटी,लेत अँगाकर नाव !
कइथैं रोटी राजा जेला,बढ़िया नेक बनाव !!5!!
*बलात्कार*
बलात्कार ले होवत पीरा,सिहरत हंसा रोज !
माथा पटकत रोवै नारी,सतजुग खोजा खोज !!1!!
लाज हार तो टोरत हावै,कइसे पापी होत !
दारू-मंद के खेला खेले,मुँह में कालिख पोत !!2!!
कइसन भाग पाय रे नारी,रोथच चिहरत आज !
जाग तहूँ तो धरले लाठी,बनके गिरते गाज !!3!!
पापी आँखी घुरथे तोला,अली-गली मा देख !
फोरत जाते अइसन आँखी,काया अपन सरेख !!4!!
बलात्कार के दागी दागे,रोवत हिरदे मोर !
संविधान के धारा टोरें,साँठ-गाँठ ला जोर !!5!!
हमर आदिवासी के माटी,होगे बिरबिट लाल !
बस्तर बिगड़े कारन कोने,देखव संगी हाल !!6!!
जाति बलात्कारी के बेर्रा,मान-धरम हे नास !
जिनगी ओकर महुरा होथे,जरथे बनके लास !!7!!
छत्तीसगढ़ तको तो कोसे,अपन भाग के रात !
देख राजधानी सो होथे,बलात्कार के घात !!8!!
*जीमी काँदा*
जीमी काँदा राँधे हावै,चलव चलीं जी खाय !
बबा डोकरा तोला हमला,सबला लेहे आय !!1!!
दही-महीं के अम्मठ भारी,पत्तो रोज सधाय !
सोसन भर तो खाही संगी,कतको सुँघत अघाय !!2!!
बढ़िया डबका डबके हावै,करछुल मात मँताय !
मिरचा हरदी धनिया मेथी,नून रगबग डराय !!3!!
गली-खोर तो कहरत हावै,उड़त बने हे सोर !
काकर घर में राँधे संगी,सुँघे नाक ला जोर !!4!!
रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी
ग्राम-डोंड़की,तह.+पोस्ट-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.antaskegoth.blogspot.com
शंकर तान्डव झुमरत नाचे,धरती दाई देख !
पटक-पटक के गोड़ दबाथे,छाती अपन सरेख !!1!!
चालै तिरछुल घेरी बेरी,डमरु ठोंक बजाय !
कामदेव तो रोवै दाई,कइसे जान बचाय !!2!!
मोह तीर के कारन जाते,संकर जोग रमाँय !
तीर मार के काबर भागे,अतनू आज डराय !!3!!
रती तको तो थरथर काँपे,सुनके संकर भाख !
तीसर आँखी उगले आगी,अतनू होगै राख !!4!!
तान्डव करके नटराज बने,महादेव भगवान !
येकर सेवा जेन करे जी,होवत हे गुनवान !!5!!
*गोदी*
गोदी खनथे हँकरत रामा,रोजी मजुरी ताय !
पानी डोंकत पोछे माथा,जाँगर भूँख मिटाय !!1!!
गैंती झउहाँ राँपा कुदरी,लाने घर ले रोज !
बड़का ढ़ेला कोड़त फेंके,मारे धरहा सोज !!2!!
बेंठ रोंठ हे अजिरन लागै,थथर-मथर हे हाल !
नापै गोदी फीता डारै,फेर खनै रे पाल !!3!!
माई पिल्ला जम्मे खनथें,पेट-पीठ ला देख !
बनी-भुती तो जिनगी बनगे,मेंट लिखे जी लेख !!4!!
राहत आये राहत नइहे,जाँगर टोरैं रोजे !
गरीबहा हा गरीबहा हे,दुनिया सुख के खोजे !!5!!
*रोटी*
रोटी राँधे बड़का दाई,खाबो दूध मँ बोर !
परसा पाना कसके तोपे,आगी बढ़िया जोर !!1!!
रोठ-मोठ तो रोटी हावै,अँगरा सेंकत नेत !
बबा बने हे देखत गोई,मन तो लाहो लेत !!2!!
नवा-नवा हे पत्तो लाने,पैरी बाजे लोर !
बेटा बइठे जोहत हावे,लाही रोटी टोर !!3!!
चटनी पीसत हावे दाई,माली मा धर लाय !
घर भर बइठें आसा बाँधे,चाँट-चाँट के खाँय !!4!!
सबके पेट भरे जी रोटी,लेत अँगाकर नाव !
कइथैं रोटी राजा जेला,बढ़िया नेक बनाव !!5!!
*बलात्कार*
बलात्कार ले होवत पीरा,सिहरत हंसा रोज !
माथा पटकत रोवै नारी,सतजुग खोजा खोज !!1!!
लाज हार तो टोरत हावै,कइसे पापी होत !
दारू-मंद के खेला खेले,मुँह में कालिख पोत !!2!!
कइसन भाग पाय रे नारी,रोथच चिहरत आज !
जाग तहूँ तो धरले लाठी,बनके गिरते गाज !!3!!
पापी आँखी घुरथे तोला,अली-गली मा देख !
फोरत जाते अइसन आँखी,काया अपन सरेख !!4!!
बलात्कार के दागी दागे,रोवत हिरदे मोर !
संविधान के धारा टोरें,साँठ-गाँठ ला जोर !!5!!
हमर आदिवासी के माटी,होगे बिरबिट लाल !
बस्तर बिगड़े कारन कोने,देखव संगी हाल !!6!!
जाति बलात्कारी के बेर्रा,मान-धरम हे नास !
जिनगी ओकर महुरा होथे,जरथे बनके लास !!7!!
छत्तीसगढ़ तको तो कोसे,अपन भाग के रात !
देख राजधानी सो होथे,बलात्कार के घात !!8!!
*जीमी काँदा*
जीमी काँदा राँधे हावै,चलव चलीं जी खाय !
बबा डोकरा तोला हमला,सबला लेहे आय !!1!!
दही-महीं के अम्मठ भारी,पत्तो रोज सधाय !
सोसन भर तो खाही संगी,कतको सुँघत अघाय !!2!!
बढ़िया डबका डबके हावै,करछुल मात मँताय !
मिरचा हरदी धनिया मेथी,नून रगबग डराय !!3!!
गली-खोर तो कहरत हावै,उड़त बने हे सोर !
काकर घर में राँधे संगी,सुँघे नाक ला जोर !!4!!
रचनाकार : श्री असकरन दास जोगी
ग्राम-डोंड़की,तह.+पोस्ट-बिल्हा,जिला-बिलासपुर(छ.ग.)
www.antaskegoth.blogspot.com
वाह जोगी जी अलग अलग विषय मा शानदार सरसी छ्न्द। क्या बात हे.....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भईया जी
Deleteवाह जोगी जी अलग अलग विषय मा शानदार सरसी छ्न्द। क्या बात हे.....
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखे हस, असकरण। सुग्हर रचना।
ReplyDeleteआपमन के अइसने मया मिलत रहै दीदी जी
Deleteबहुत बढ़िया जोगी जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद सर जी
Deleteसुग्घर सरसी छंद बर आशकरन जोगी जी ला बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भईया जी
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद भईया जी
Deleteवाह वाह। शानदार सरसी छन्द भैया जी। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भईया जी
Deleteगुरुदेव ल नमन 🌸🌼🌹🙏
ReplyDeleteगुरुदेव ल नमन 🌸🌼🌹🙏
ReplyDeleteवाह्ह्ह् असकरन भाई, सरसी छंद म बहुत सुग्घर रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़ियासृजन हे आसकरण भाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर विविध विषय मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर विविध विषय मा रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह् सर जी शानदार सरसी बर बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ सरसी छंद भाई जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ सरसी छंद भाई जी बधाई हो
ReplyDeleteवाह! वाह! बहुत सुग्घर हे
ReplyDeleteआपके विचार सरसी छन्द सोहत हे।