बेटी - बहू
देवव बेटी ला दुलार जी , बन्द करव ये हत्या ।
जीयन दव अब बेटी मन ला , राखव मनमा सत्या ।
बेटी होही आज तभे जी , बहू अपन बर पाहू ।
बेटा कस जी मान देय ले , जग मा नाम कमाहू ।
करव भेद झन इन दूनो मा , एक बरोबर जानव ।
बेटी जइसे लक्ष्मीरूपा , अपन बहू ला मानव ।
छोड़व अब लालच के रद्दा , झन दहेज ला लेवव ।
बन्द होय गा गलत रीति सब , शिक्षा अइसे देवव ।
मारव झन कोनो बेटी ला , जग मा जब वो आही ।
हाँसत खेलत घर अँगना मा , जिनगी अपन बिताही ।
होवय बंद भ्रूण के हत्या , परन सबे जी ठानव ।
बेटी बिन जिनगी हे सुन्ना , बेटा इन ला मानव ।।
रचनाकार - श्री मोहन कुमार निषाद
ग्राम - लमती, भाटापारा, छत्तीसगढ़
देवव बेटी ला दुलार जी , बन्द करव ये हत्या ।
जीयन दव अब बेटी मन ला , राखव मनमा सत्या ।
बेटी होही आज तभे जी , बहू अपन बर पाहू ।
बेटा कस जी मान देय ले , जग मा नाम कमाहू ।
करव भेद झन इन दूनो मा , एक बरोबर जानव ।
बेटी जइसे लक्ष्मीरूपा , अपन बहू ला मानव ।
छोड़व अब लालच के रद्दा , झन दहेज ला लेवव ।
बन्द होय गा गलत रीति सब , शिक्षा अइसे देवव ।
मारव झन कोनो बेटी ला , जग मा जब वो आही ।
हाँसत खेलत घर अँगना मा , जिनगी अपन बिताही ।
होवय बंद भ्रूण के हत्या , परन सबे जी ठानव ।
बेटी बिन जिनगी हे सुन्ना , बेटा इन ला मानव ।।
रचनाकार - श्री मोहन कुमार निषाद
ग्राम - लमती, भाटापारा, छत्तीसगढ़
सार छंद मा बढ़िया संदेश देवत रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार छंद भईया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार छंद भईया जी
ReplyDeleteछत्तीसगढिया - सब ले बढिया, नोनी के मरना ए
ReplyDeleteसज्जनता हर कमजोरी ए, शकुन भलुक गहना ए।
सुग्घर सार सिरजाय हव भाई।बधाई।
ReplyDeleteवाह्ह संदेश प्रधान सुन्दर सार।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुघ्घऱ सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सृजन सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सृजन सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत शानदार सार छंद के सृजन करे हव भाई। बधाई अउ शुभकामना।
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