रक्तदान -
रक्तदान करके संगी हो ककरो प्राण बचावव जी।
दान हवय ये सबले बढ़ के,सब ला बात बतावव जी।
रक्तदान ईश्वर के पूजा,बात सबो झन जानव गा।
येहू आय भक्ति के रद्दा,बात तुमन ये मानव गा।
पइसा मा जब खून मिलय ना,उही बेरा चेत आथे।
जिनगी अधर म लटके रहिथे,तब ये बात समझ पाथे।
लहू नइ बनय लेब म संगी, कीमत येकर जानव जी।
येहा केवल देह मा बनथे,येला सब झिन मानव जी।
रक्तदान कमजोरी लाथे,ये भरम भूत झन पालव।
खून साफ होथे येकर ले,मन मा येला बइठालव।
नइ परय कभू दिल के दौरा, रक्तदान के गुण भारी।
स्थिर रहिथे बी पी लेबल,गुनव थोरिक संगवारी।
वजन घलो नइ बाढ़य संगी, मोटापा होथे जी कम।
मंत्र हवय ये स्वस्थ रहे के,रक्तदान मा काबर गम।
रचनाकार - श्री अजय "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
रक्तदान करके संगी हो ककरो प्राण बचावव जी।
दान हवय ये सबले बढ़ के,सब ला बात बतावव जी।
रक्तदान ईश्वर के पूजा,बात सबो झन जानव गा।
येहू आय भक्ति के रद्दा,बात तुमन ये मानव गा।
पइसा मा जब खून मिलय ना,उही बेरा चेत आथे।
जिनगी अधर म लटके रहिथे,तब ये बात समझ पाथे।
लहू नइ बनय लेब म संगी, कीमत येकर जानव जी।
येहा केवल देह मा बनथे,येला सब झिन मानव जी।
रक्तदान कमजोरी लाथे,ये भरम भूत झन पालव।
खून साफ होथे येकर ले,मन मा येला बइठालव।
नइ परय कभू दिल के दौरा, रक्तदान के गुण भारी।
स्थिर रहिथे बी पी लेबल,गुनव थोरिक संगवारी।
वजन घलो नइ बाढ़य संगी, मोटापा होथे जी कम।
मंत्र हवय ये स्वस्थ रहे के,रक्तदान मा काबर गम।
रचनाकार - श्री अजय "अमृतांशु"
भाटापारा, छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया गुरूजी
ReplyDeleteधन्यवाद साहूजी
Deleteधन्यवाद साहूजी
Deleteबहुत बढिया, अजय ।
ReplyDeleteदीदी प्रणाम
Deleteदीदी प्रणाम
Deleteरक्तदान बर प्रेरित करत बहुत बढ़िया लावणी छंद के रचना अजय जी ।
ReplyDeleteआभार चंद्राकर जी
ReplyDeleteआभार चंद्राकर जी
ReplyDeleteरक्त दान के नफा बतावत सुन्दर लावणी छंद
ReplyDeleteधन्यवाद मितान जी
ReplyDeleteधन्यवाद मितान जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteआभार जोगी जी
ReplyDeleteआभार जोगी जी
ReplyDeleteवाह भईया जी बहुत सुग्घर
ReplyDeleteआभार वर्मा जी
ReplyDeleteआभार वर्मा जी
ReplyDeleteरक्तदान बर प्रेरित करत सुग्घर लावणी छंद ,भैया। बधाई अउ शुभकामनाएं।
ReplyDeleteवाहःहः अजय भाई बहुत सुघ्घर लावणी छंद
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
सादर आभार दीदी
Deleteसादर आभार दीदी
Deleteबहुत सुघ्घर रचना भैया जी
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
आभार माटी जी
Deleteआभार माटी जी
Deleteवाह वाह भैया खूब
ReplyDeleteआभार जितेंद्र भैया
Deleteआभार जितेंद्र भैया
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसादर आभार भाई
Deleteसादर आभार भाई
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार भाईजी
Deleteआभार भाईजी
Deleteवाह्ह वाह्ह "अमृतांशु" सर।
ReplyDeleteआभार भाई
Deleteसादर आभार सर जी
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
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