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Tuesday, February 6, 2018

सार छंद- श्री ज्ञानु'दास' मानिकपुरी

धन दौलत अउ माल खजाना,छोड़ एक दिन जाना।
कंचन काया माटी होही,काबर जी इतराना।।

ये दुनिया ला जानौ संगी,दू दिन अपन ठिकाना।
संग रहौ सब मिलजुल संगी,रिश्ता नता निभाना।।

बैर कपट ला दुश्मन जानौ,गीत मया के गाना।
मुट्ठी बाँधे आय जगत में,हाथ पसारे जाना।।

सुग्घर मनखे तन ला पा के,जिनगी सफल बनाना।
गुरतुर बोली बोल मया के,हिरदे अपन बसाना।।

दया मया अउ करम धरम हा,सबले बड़े खजाना।
सत्य प्रेम के पाठ पढ़ौ अउ,सबला हवै पढ़ाना।।

रचनाकार - श्री ज्ञानु'दास' मानिकपुरी
चंदैनी (कवर्धा)
जिला-कबीरधाम, छत्तीसगढ़

34 comments:

  1. बहुत बढ़िया ज्ञानु भाई
    सार छंद मा मनखे मन के लिए बहुते सुघ्घर सीख।

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    1. सादर धन्यवाद दीदी।प्रणाम

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    2. सादर धन्यवाद दीदी।प्रणाम

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  2. सार छंद म सार बात कहेव... ज्ञानु भाई जी बधाई

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  3. सार छंद म सार बात कहेव... ज्ञानु भाई जी बधाई

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  4. बहुत बढ़िया सार छंद मानिकपुरी जी
    जिनगी के बने सार बात ल कहेस भाई
    बहुत बहुत बधाई

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    1. बहुत बहुत आभार माटी सर

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    2. बहुत बहुत आभार माटी सर

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  5. बहुत बढ़िया आदरणीय ज्ञानू जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  6. सार सार ला धर ले भाई, काम सबो हर आही
    जनम जनम के पूँजी पाई, समय सदा समझाही।

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    1. सादर आभार दीदी।प्रणाम

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    2. सादर आभार दीदी।प्रणाम

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  7. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  8. बहुत बहुत आभार प्रणम्य गुरुदेव।सादर प्रणाम

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  9. बहुत बहुत आभार प्रणम्य गुरुदेव।सादर प्रणाम

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  10. बहुत सुघ्घर सार छंद भाईजी बधाई हो

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    1. सादर धन्यवाद दीदी।प्रणाम

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    2. सादर धन्यवाद दीदी।प्रणाम

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  11. शानदार सार सर जी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  12. बहुत बढ़िया ज्ञानू भाई

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  13. बहुत बढ़िया ज्ञानू भाई

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    1. धन्यवाद सर बहुत बहुत

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    2. धन्यवाद सर बहुत बहुत

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  14. बहुत सुग्घर अउ लाजवाब सार छंद लिखे हव भैया जी। बधाई। अउ शुभकामना।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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