Followers

Monday, February 21, 2022

हमर भाखा-मनहरण घनाक्षरी

 हमर भाखा-मनहरण घनाक्षरी


हमर भाखा हे खास, हवय बड़ मिठास,

अमृत घोरे जिभिया,कोयली के राग हे।

फूलँय बाढ़ँय भाखा,निकले कतको शाखा,

राग रंग के जाल मा,लगै झन दाग हे।।

सिरजाबो सरलग,पड़य झन अलग,

करै सब गुणगान,लपटाय पाग हे।

बोले बर मत डरौ,लाज झन तुम मरौ,

मान देवव भाषा ला,चमकही भाग हे।।


छत्तीसगढ़ी मा बोल,दया मया रस घोल,

अपन बोली बोले मा,मरव झन लाज जी।

तभे बड़ मान बड़ही,भाखा नवा रद्दा गढ़ही,

महतारी भाखा मा,करिहहू काज जी।।

मीठ मँदरस झरही,नोनी बाबू ह पढ़ही,

आघू आघू जाही फेर,हमरो ग राज जी।

खेत खार अउ डोली,मीठ मया भाखा बोली,

भाखा हा बनही इहाँ,मूड़ के तो ताज जी।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

जिला-रायपुर

1 comment: