*गुरतुर बोली हे मैना कस - सार छंद*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गुरतुर बोली हे मैना कस,भाखा छत्तीसगढ़ी।
बने गोठियालौ सब संगी,एखर ले मन बढ़ही।।
हो हो हो........
सुआ ददरिया गीत राग मा,ये मिठास गुरतुर हे।
बोल कोयली मैना कस अउ,पड़की करे गुटुर हे।।
बने जरन दे जरवइया ला,ओखर छाती जरही।
गुरतुर बोली हे मैना कस.......हो हो हो....
करमा मा झूमय सब संगी,बने ताल हा माढ़े।
पागा मा कलगी खोंचे अउ,थिरकत कउनो ठाढ़े।।
बने झमाझम माँदर बाजत,नवा साज ला गढ़ही।
गुरतुर बोली हे मैना कस.......हो हो हो....
छत्तीसगढ़ी भाई बहिनी,अउ किसान भुइयाँ के ।
संगी हितवा बनके पूजय,पाँव इही मइयाँ के।।
जाँगर के पेरइया सँग मा,कोन इहाँ जी लड़ही।
गुरतुर बोली हे मैना कस......हो हो हो....
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार :--
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,कबीरधाम (छ.ग.)
No comments:
Post a Comment