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Saturday, June 11, 2022

गीत-नकली(सार छंद)


 

गीत-नकली(सार छंद)


नवा जमाना नकली कोती, नवगे हे सँगवारी।

हँसी खुशी आँसू हे नकली, नकली रिस्तादारी।


नकली चाँद सुरुज बनगे हे, नकली घर फर बिरवा।

घुरगे मनखे के जिनगी मा,नकली जिनिस ह निरवा।

मनखे मनके नकली सँग मा, पटत हवै बड़ तारी।

नवा जमाना नकली कोती, नवगे हे सँगवारी।।


असली के असलियत उघारे, परखे सिर पग पाँखी।

नकली चीज बिसाये हँसके, बउरे मूंदें आँखी।।

सस्ती नकली चीज बिकत हे, असली महँगा भारी।

नवा जमाना नकली कोती, नवगे हे सँगवारी।।


बुढ़वा के हे बाल घमाघम, दाँत हवै खिसखिस ले।

देखे भर मा बढ़िया लागे, काम बुता बर फिसले।।

कोन कहे नकली ला नकली, सबझन हवै पुजारी।

नवा जमाना नकली कोती, नवगे हे सँगवारी।।


नकली ओढ़त नकली पहिरत, मनखे नकली होगे।

अन्तस् भीतर के सत सुम्मत, दया मया तक सोगे।

बैर बदी लत होवय नकली, होवय असली यारी।

नवा जमाना नकली कोती, नवगे हे सँगवारी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


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