Followers

Wednesday, June 1, 2022

कुकुभ छंद(गीत)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 कुकुभ छंद(गीत)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


तैं सपना मा जबजब आथस,झटले रतिहा कट जाथे।

तोर मया ला पाके मोरे,संसो फिकर ह हट जाथे।।


मुचमुच मुसकी मया बढ़ाथे,तोर रेंगना मन भाथे।

देखे बिना जिया नइ माने,सुरता रहिरहि के आथे।

मोर मया ला देख जलइया,रद्दा चलत अपट जाथे।

तोर मया ला पाके मोरे,संसो फिकर ह हट जाथे।।


बोल कोयली कस गुरतुर हे,भर देथे मन मा आसा।

आघू पाछू होवत रहिथौं,तोर मया जइसे लासा।।

लहरावय जब तोर केंस हा,कारी बदरी छँट जाथे।

तोर मया ला पाके मोरे,संसो फिकर ह हट जाथे।।


खोपा पारे पाटी बाँधे, पहिरे लुगरा लाली के।

कनिहा लचकावत जब चलथस,झरथे फुलवा डाली के।

हमर दुनो के नैन मिले ता, सुख छाथे दुख घट जाथे।

तोर मया ला पाके मोरे,संसो फिकर ह हट जाथे।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment