आधार छंद_____ " *चौपाई गीत* "
ले ले तयँ हा जनम दुबारा| परम पुरुष हे जगत दुलारा||
कहाँ हवस तयँ मोर कबीरा| आके हर ले जग के पीरा ||१
१.
मनखे पापी होवत हें | सत्य धरम ला सब खोवत हें||
पनपत दुर्योधन दुशासन| डोलत हवय धरम के आसन||
बढ़त हवय अधरम के पारा| मिटत हवय जी भाईचारा ||
ले ले तयँ हा जनम दुबारा| परम पुरुष हे जगत दुलारा||,,,,,,,,
२.
संसारी मन भटकत हावयँ | सच के रद्दा कोन बतावयँ||
कोन बतावयँ बीजक बानी|कतको गुरु करत बईमानी ||
बदलत कलियुग जीवनधारा| कोन बनय गुरु खेवनहारा||
ले ले तयँ हा जनम दुबारा| परम पुरुष हे जगत दुलारा||,,,,,,,,
३.
जीवन के ठाठ अमीरी मा| नइ हें जी भगत फकीरी मा ||
मइला होगे मन के दरपन| कइसे होही गुरु के दरसन ||
परगे माया जीव बिचारा| कोन लगाही भव पारा||
ले ले तयँ हा जनम दुबारा| परम पुरुष हे जगत दुलारा||,,,,,,,,
४.
सत्यनाम के ढोल बजादे| सोये मनखे आज जगादे||
कालपुरुष के फंदा भारी| जीव परे हे नरक दुवारी||
हे कबीर सुन हमर पुकारा| बन जा तयँ फेर कड़ीहारा ||
ले ले तयँ हा जनम दुबारा| परम पुरुष हे जगत दुलारा||,,,,,,,,
पद्मा साहू "पर्वणी" खैरागढ़
जिला _ खैरागढ़-छुईखदान-गंडई छत्तीसगढ़ राज्य
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