Followers

Saturday, August 18, 2018

हरिगीतिका छंद-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर



जिनगी पहावत जात हे

दुख ला धरे सुख ला धरे,जिनगी पहावत जात हे।
कखरो अवइया साँझ हे,कखरो पहाती रात हे।
कोन्हो जगावैं जाग के,कोनो उँघावत हें इँहा।
आखिर मना थक हार के,चूल्हा जलावत हे इँहा।

कोनो कुलुप अँधियार मा,दीया जलावत जात हें।
भटकँय न कोनो राह मा,रस्ता दिखावत जात हें।
होवय कहूँ त्यौहार ता,कोन्हो मनावँय गम इँहा।
सुख मा हँसत हे आँख हा,दुख मा नयन हे नम इँहा।

कोनो परे परपंच मा,अंतस अपन भरमात हें।
कोनो शबद साबुन धरे,मन मइल ला उजरात हें।
अरजी हवै परमातमा,अँगुरी दसो ठन जोर के।
रस्ता धराहौ हे पिता,जिनगी ल सुग्घर भोर के।

                रचनाकार-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
                        गोरखपुर,कवर्धा छत्तीसगढ़

30 comments:

  1. बहुत बहुत आभार गुरुदेव।छंद खजाना म मोर रचना ल स्थान दिये हव।सादर प्रणाम...

    ReplyDelete
    Replies
    1. एमा आभार के का बात हे ? ये ब्लॉग आपेमन के आय। मँय संकलनकर्ता आँव। मोर खुद के रचना इहाँ नगण्य पोस्ट होथे।

      Delete
    2. प्रणाम गुरुदेव...

      Delete
  2. वाहःहः अद्वितीय अनुपम कालजयी
    सर्वप्रिय रचना।
    बहुत बहुत बधाई हो भाई

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार प्रणाम दीदी।

      Delete
  3. अनुपम कृति सर

    ReplyDelete
  4. अनुपम कृति सर

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया हरिगीतिका छंद सुखदेव भाई जी।बधाई!!

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया हरिगीतिका छंद सुखदेव भाई जी।बधाई!!

    ReplyDelete
  7. जबरदस्त रचना सरजी।बधाई।

    ReplyDelete
  8. जबरदस्त सिरजन भाई बधाई आप ला

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया रचना भइया जी।

    ReplyDelete
  10. अड़बड़ सुघ्घर रचना हे अहिलेश्वर भाई जी जबरदस्त

    ReplyDelete
  11. लाजवाब रचना सर

    ReplyDelete
  12. वाह वाह शानदार हरिगीतिका।हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  13. वाह वाह शानदार हरिगीतिका।हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  14. शानदार अउ जानदार दोनों हे आदरणीय।

    ReplyDelete
  15. बहुत सुग्घर बधाई हो

    ReplyDelete
  16. अनुकरणीय हरिगीतिका हे गुरुदेव
    बधाई हो

    ReplyDelete
  17. सुग्घर हरिगीतिका छंद गुरुदेव जी

    ReplyDelete