नवटप्पा के मार (मनहरण घनाक्षरी)
ताते तात झाँझ झोला , लेसावत हावै चोला,
जेठ लगे नवटप्पा ,भारी इँतरात हे।
सुक्खा कुआँ तरिया हे, मरे मरे झिरिया हे,
बोरिंग हा ठाढ़े ठाढ़े , रोज्जे दुबरात हे।
रोवत हें रुखराई, नदिया के मुँह झाँई,
धरती के देख देख, जीवरा कल्लात हे।
ईंटा भट्ठी आवा कस, भँभकत जग हावै,
भात बासी नइ भावै ,धूँकनी सुहात हे ।1।
बूँद बूँद पानी बर, लोगन बेहाल हावैं,
तरस तरस पशु , तजत परान हें ।
भाँय भाँय खेत खार, सुन्ना लागे घर द्वार ,
धरे रोग माँदी दाबे, सब हलकान हें।
धमका धमक आगे, हवा देख उठ भागे,
भोंभरा मा पाँव जरे, जरे मुँह कान हें।
वो असाड़ कब आही, जेन जीव ला बँचाही,
लागथे अबड़ संगी, रुठे भगवान हें ।2।
ममहाबे (जलहरण घनाक्षरी)
ममहाबे चारों खूँट, होही भाई तोरो पूछ,
जिनगी सँवर जाही, उदबत्ती कस खप ।
पक्का बन जबान के, संग चल ईमान के,
काबर कच्चा कान के, छोंड़ देना लपझप ।
मिहनत कर संगी, नइ राहै कभू तंगी,
उदाबादी झन कर, इही आय बड़े तप।
भुईयाँ ल सिंगार के, पसीना ल ओगार के,
भाईचारा बाँट लेना , प्रेम मंत्र माला जप ।
चंदा देख लजाय ( रूप घनाक्षरी )
खन खन खन खन, चूरी निक खनकय ,
माथा बिंदी चमकय , चंदा देखत लजाय ।
मेंहदी हँथेरी रचे, गर हार बने फभे,
कनिहा मा करधन, हावै गहना लदाय ।
होंठ लगे मुँहरंगी , कोरे गाँथे करे कंघी , n
फूँदरा झूलय बेनी, पाँव माँहुर रचाय ।
गोरी मोटियारी हावै, मुचमुच मुसकावै,
रहि रहि शर्मावय, रेंगै नयन झुकाय ।
छन्दकार - श्री चोवा राम "बादल"
ग्राम - हथबन्द, जिला - भाटापारा-बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़
वाह!वाह!बहुत बढ़िया घनाक्षरी सिरजन करे हव आदरणीय बादल भैया जी।।
ReplyDeleteवाह!वाह!बहुत बढ़िया घनाक्षरी सिरजन करे हव आदरणीय बादल भैया जी।।
ReplyDeleteवाहःहः अनुपम सृजन हे भैया जी
ReplyDeleteसादर नमन
सादर आभार आशा बहिनी जी।
Deleteअति सुंदर। तीनों छंदक ललाजवाब हे। ममहाबे चारों खुँट.. तातेतात झाँझ झोला .. गोरी मोटियारी हावय.... क्या बात हे। छत्तीसगढ़ी मा सुघर सिरजन ।शर्मावय हा..
ReplyDeleteधन्यवाद चन्द्राकर भाई जी।
Deleteवाह्ह वाह बादल भइया बहुते सुग्घर भावपूर्ण रचना सिरजाय भइया बधाई हो सादर प्रणाम
ReplyDeleteवाह्ह्ह् भइया, गजब सुग्घर रचना, बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् भइया, गजब सुग्घर रचना, बधाई
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर घनाक्षरी आदरणीय गुरूदेव
ReplyDeleteवाह आदरणीय बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteवाहह वाहह लाजवाब घनाक्षरी आदरणीय बादल भैया।
ReplyDeleteधन्यवाद अहिलेश्वर भाई।
Deleteगजब भईया जी.... बहुत बढ़िया बधाई हो
ReplyDeleteशानदार बादल भैया ...👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद भाई।
Deleteशानदार बादल भैया ...👌👌👌
ReplyDeleteलाजवाब आदरणीय।
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteआपमन के लेखनी ला सादर नमन हे सर जी👌💐
ReplyDeleteसादर आभार आशा जी।
Deleteबहुत सुग्घर अउ लाजवाब घनाक्षरी लिखे हव,गुरुदेव। सादर प्रणाम अउ बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई।
Deleteआपके कलम मा साक्षात सरस्वती विराजमान हे।लाजवाब रचना गुरुदेव।
ReplyDeleteधन्यवाद नीलम जी।
Deleteभाव भरे चारों छंद, सुंदर करे प्रबंध
ReplyDeleteचोवा भैया साधक साहित्य के कमाल के।
सोचँव काय टिपियाँवव, तारीफ करँव मैं
कइसे,अनमोल अइसन खजाना बेमिसाल के।।
कर तँहू मेहनत चेत ल लगा के "सूर्या"
रद्दा झन देख बइठे बइठे तँय काल के।
दूनो हाथ जोरे गुरुदेव ला प्रणाम करँव,
पावँव असीस लिखँव समय निकाल के।।
चोवा भैया ल सादर प्रणाम सहित जतका तारीफ़
करिहँव कमे परही....सादर बधाई भैया
सादर नमन सूर्या भैया जी।
Deleteगजब सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteबड़ सुग्घर घनाक्षरी गुरुदेव जी
ReplyDeleteसादर आभार।
Deleteधन्यवाद हीरा भाई जी।
Deleteबड़ सुग्घर घनाक्षरी गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद हीरा भाई।
Deleteधन्यवाद ज्ञानु भाई।
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