Followers

Thursday, August 9, 2018

रूप घनाक्षरी- श्री मनीराम साहू 'मितान'




रहव जी साव चेत
(1)
गिरथे असाड़ पानी, आथे कीरा आनी-बानी, होय चाहे कोनो बेरा, रहव जी सावचेत।
ठँव-ठँव बिच्छू-आरु, रेंगथे गा साँप-डेरु, खोर गली रद्दा बाट,परिया जी खार खेत।
बिला तरी दँद पाथें, उप्पर मा झट आथें, एती-ओती बइठे जी, रइथें वो हवा लेत।
होथें उँन बिखहर,जाथें घर मा खुसर, गिर जाथें खाना पानी, कर देथें अनहेत।
(2)
आल-जाल टार रखौ, रात दीया बार रखौ, कोंटा-कान्टा रहि जाथें, दिखै नही अँधियार।
रहै झन घर बिला, खोज सब माई-पिला, मुँद दव छाब ओला, माटी पखरा ला डार।
बाट चलौ देख-ताक, कर लौठी ठुक-ठाक, पहिरव पनही गा, जाव जब खेत खार।
दिखै साँप कोनो मेर, चौज झन करौ घेर, खेलौली मड़ावा झन, करौ झन मार-धार।
(3)
होय कभू अलहन, देरी तुम करौ झन, लेगव गा अस्पताल, झटपट दे धियान ।
गँवखरा गा दवई, दय कोनो हँथवई, खवावा ना बिना जाने, कर देही नसकान।
करावा ना फूँक झार, बइगा के उपचार, परव ना चक्कर मा, होथें उन अनजान।
जीव हे त जग हाबै, खुशी पग-पग हाबै, सावधानी हे जरूरी, हे कहत गा 'मितान'।

रचनाकार- मनीराम साहू 'मितान' कचलोन ( सिमगा) छत्तीसगढ़

17 comments:

  1. गुरुदेव सादर प्रणाम। आप बहुत सुग्घर ढंग ले रचना ला
    ब्लाग मा ठउर दे हव सँगे संग फोटू ला घलो ठउर दे हव। आप ला बहुत-बहुत धन्यवाद, आभार।

    ReplyDelete
  2. बहुत बढ़िया आदरणीय।

    ReplyDelete
  3. वाह सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  4. वाह्ह्ह् निचट सुग्घर भइया जी

    ReplyDelete
  5. वाहःहः भाई बहुते सुघ्घर सृजन

    ReplyDelete
  6. शानदार रचना भैया आपला बहुत बधाई

    ReplyDelete
  7. वाह मितान भैया। घनाक्षरी छंद मा बेहतरीन रचना। सादर प्रणाम अउ बधाई।

    ReplyDelete
  8. सुघ्घर संदेश देवत सुघ्घर रचना बड़े भइया

    ReplyDelete
  9. बड़े भैयाजी बड़ सुग्घर सिरजन।

    ReplyDelete
  10. वाहहह बड़ सुन्दर रचना सर जी

    ReplyDelete
  11. आप सब ला बहुत बहुत धन्यवाद आभार

    ReplyDelete