कृष्णा -
बचाये हवे लाज जे दौपदी के।
उही हे जँचैया ग नेकी बदी के।
महायुद्ध में जेन गीता सुनाये।
सबो लोक मा ज्ञान गंगा बहाये।
अमीरी गरीबी दिए पाट खाई।
सुदामा सखा के निभाए मिताई।
धरा मा बढ़े हे जभे पाप भारी।
धरे हे तभे जन्म कृष्णा मुरारी।
भाव -
रिसाये हवे मोर तो लेखनी जी।
इँहा भाव आवै न एको कनी जी।
बिसे हा लुकाये गये कोन कोती।
चुपे चाप कॉपी नही शब्द मोती। 1
कहाँ मेर खोजौं कहाँ मेर जावौं।
रिसाये हवे भाव कैसे मनावौं।
लगे भावना के दिया हा बुतागे।
अँधेरा तरी मा जिया हा लुकागे। 2
गुरू मोर रोजे लुटाये खजाना।
सिखाये विधा छंद गावै तराना।
जिहाँ ज्ञान के रोज जोती जले हे।
तिहाँ एकता प्रेम मोती पले हे। 3
नवा सोच आवै पुराना मनावै।
इहाँ आज काली म जीना सिखावै।
लगे जिंदगी हा नवा रूप पावै।
दया प्रेम बैठे घृणा लोभ जावै।4
मया हे दया हे कहे एक नारा।
सबो ला गुरू छाँव लागै पियारा।
बड़े हे न छोटे सबो एक जैसे।
मिले मातु गोदी गुरू प्रेम वैसे। 5
जहाँ ज्ञान संस्कार दूनो पले हे।
उहाँ मान रिश्ता भरोसा मिले हे।
जिहाँ साधना छंद के हे पुजारी।
धरे प्रेम बंशी बजाए मुरारी। 6
देश के दुर्दशा -
बढ़े देश मा आज बेरोजगारी।
धरे घूमथे जान डिग्री ग धारी।
कहूँ मेर कोनो मिले काम बूता।
चले रोज देखौ घिसाये ग जूता। 1
सबो तो करे हे लिखाई पढ़ाई।
करे स्कूल कालेज भारी कमाई।
लगे आज विद्या ह व्यापार होगे।
छले और कोनो भले लोग भोगे। 2
बढ़े रोज देखौ ग चोरी चकारी।
बने आदमी हा बने हे भिखारी।
सबो भ्रष्ट हे आज नेता सिपाही।
दिखे बंद रस्ता कहाँ लोग जाही। 3
बड़े नाम वाले तिजोरी भरे हे।
कहूँ मेर हत्या डकैती करे हे।
धरे हे तराजू हवे न्याय अंधा।
चुपे साँच बैठे करे झूठ धंधा। 4
करे कोन उद्धार ये देश रोवै।
रखैया हवे मोर वो जान खोवै।
बता देश के कोन पीरा सुनैया।
जहाँ मेर देखौ वहाँ हे लुटैया। 5
छन्दकार - आशा देशमुख
बचाये हवे लाज जे दौपदी के।
उही हे जँचैया ग नेकी बदी के।
महायुद्ध में जेन गीता सुनाये।
सबो लोक मा ज्ञान गंगा बहाये।
अमीरी गरीबी दिए पाट खाई।
सुदामा सखा के निभाए मिताई।
धरा मा बढ़े हे जभे पाप भारी।
धरे हे तभे जन्म कृष्णा मुरारी।
भाव -
रिसाये हवे मोर तो लेखनी जी।
इँहा भाव आवै न एको कनी जी।
बिसे हा लुकाये गये कोन कोती।
चुपे चाप कॉपी नही शब्द मोती। 1
कहाँ मेर खोजौं कहाँ मेर जावौं।
रिसाये हवे भाव कैसे मनावौं।
लगे भावना के दिया हा बुतागे।
अँधेरा तरी मा जिया हा लुकागे। 2
गुरू मोर रोजे लुटाये खजाना।
सिखाये विधा छंद गावै तराना।
जिहाँ ज्ञान के रोज जोती जले हे।
तिहाँ एकता प्रेम मोती पले हे। 3
नवा सोच आवै पुराना मनावै।
इहाँ आज काली म जीना सिखावै।
लगे जिंदगी हा नवा रूप पावै।
दया प्रेम बैठे घृणा लोभ जावै।4
मया हे दया हे कहे एक नारा।
सबो ला गुरू छाँव लागै पियारा।
बड़े हे न छोटे सबो एक जैसे।
मिले मातु गोदी गुरू प्रेम वैसे। 5
जहाँ ज्ञान संस्कार दूनो पले हे।
उहाँ मान रिश्ता भरोसा मिले हे।
जिहाँ साधना छंद के हे पुजारी।
धरे प्रेम बंशी बजाए मुरारी। 6
देश के दुर्दशा -
बढ़े देश मा आज बेरोजगारी।
धरे घूमथे जान डिग्री ग धारी।
कहूँ मेर कोनो मिले काम बूता।
चले रोज देखौ घिसाये ग जूता। 1
सबो तो करे हे लिखाई पढ़ाई।
करे स्कूल कालेज भारी कमाई।
लगे आज विद्या ह व्यापार होगे।
छले और कोनो भले लोग भोगे। 2
बढ़े रोज देखौ ग चोरी चकारी।
बने आदमी हा बने हे भिखारी।
सबो भ्रष्ट हे आज नेता सिपाही।
दिखे बंद रस्ता कहाँ लोग जाही। 3
बड़े नाम वाले तिजोरी भरे हे।
कहूँ मेर हत्या डकैती करे हे।
धरे हे तराजू हवे न्याय अंधा।
चुपे साँच बैठे करे झूठ धंधा। 4
करे कोन उद्धार ये देश रोवै।
रखैया हवे मोर वो जान खोवै।
बता देश के कोन पीरा सुनैया।
जहाँ मेर देखौ वहाँ हे लुटैया। 5
छन्दकार - आशा देशमुख
कोटिशः आभार गुरुदेव
ReplyDeleteआपमन हमर छंद सृजन ला ये छंद खजाना मा स्थान देके रतन बनावत हव।
सादर नमन गुरुदेव
बहुत बढ़िया भाव वाला भुजंग प्रयात छंद हे दीदी जी, बहुत बहुत बधाई आपको।
ReplyDeleteहवै आपके तो खजाना भराये।
ReplyDeleteदिया ज्ञान के जी हमेशा जलाये।।
बने भाव मन के उकेरे इहाँ हौ।
गुरू के बिना सीख कोनो नि पाये।।
गुरुदेव ल सादर प्रणाम करत
बहिनी के सुंदर रचना बर उनला गंज
अकन बधाई....पैलगी सहित
बहुत बहुत बधाई दीदी!सुघ्घर भुजंग प्रयात छंद।।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई दीदी!सुघ्घर भुजंग प्रयात छंद।।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई दीदी आपमन ला
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना दीदी। सादर प्रणाम
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना दीदी। सादर प्रणाम
ReplyDeleteवाहहह वाहह दीदी एक ले एक लाजवाब भुजंग प्रयात छंद।
ReplyDeleteशानदार सिरजन दीदी
ReplyDeleteआशा बहिनी जी के लाजवाब छंद सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअनंत बधाई दीदी सादर नमन करत हौ आपमन लेखनी ला💐
ReplyDeleteसुग्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteसुग्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteआप सबो भाई बहिनी मन ला अंतस से आभार
ReplyDeleteEnter your comment... बहुत जोरदार रचना दीदी �� बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर बधाई
ReplyDeleteबेहतरीन दीदी
ReplyDeleteलाजवाब छंद के सृजन करे हव दीदी। सादर बधाई।
ReplyDeleteसुघ्घर सिरजन दीदी
ReplyDeleteबहुत जोरदार दीदी
ReplyDeleteनिच्चट सुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteनिच्चट सुग्घर रचना दीदी
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