मच्छर अपन जहर फैलावत। गाँव शहर के घर घर जावत।
डेंगू बीमारी बगरावत। कहर मौत के हे बरपावत।1।
देख राज मच्छर के आगे। तोर स्वच्छता कहाँ गवागे।
रोज एक झन ला मरना हे। मच्छर के तो ये कहना हे।2।
रहे गन्दगी गाँव शहर मा। रइहव सबके मयँ घर घर मा।
जिनगी मोर गंदगी अंदर। कहिथे मच्छर जंतर मंतर।3।
जात पात ला मँय नइ देखव। थोर थार सफई नइ घेपव।
गन्दा में हे रहना बसना। सबो डहर हे मोर बिछवना।4।
हवे गन्दगी दुनिया भर के। गाँव शहर मा देखव कसके।
कहाँ स्वच्छता तोर लुकागे। भुन भुन बोले मच्छर भागे।5।
फेंक गन्दगी घर के अँगना। जन कहिथे हमला का करना।
अब मच्छर के होंगे बढ़ना। हवे गन्दगी मा ओला रहना।6।
नेता मन ला का हे करना। उनला तो कोठी हे भरना।
रहिस स्वच्छता चारे दिन के। फेर बइठ गे पैसा बिन के।7।
बनिस हवे सब घर सौचालय। काम अधूरा ला करवावय।
रख रखाव ला नइ बनवावय। गली गन्दगी हा बोहावय।8।
हाल गाँव मन के अब देखव। स्वच्छ गन्दगी मा जी रेगव।
गाँव गली घर मच्छर बसगे। डेंगू के प्रकोप सब बनगे।9।
डेंगू ले पाबे तँय काबू। अपन स्वछता ला रख बाबू।
दूर भागथे जी बीमारी। राख स्वच्छ घर अँगना बारी।10।
छन्दकार - श्री हेमलाल साहू
डेंगू बीमारी बगरावत। कहर मौत के हे बरपावत।1।
देख राज मच्छर के आगे। तोर स्वच्छता कहाँ गवागे।
रोज एक झन ला मरना हे। मच्छर के तो ये कहना हे।2।
रहे गन्दगी गाँव शहर मा। रइहव सबके मयँ घर घर मा।
जिनगी मोर गंदगी अंदर। कहिथे मच्छर जंतर मंतर।3।
जात पात ला मँय नइ देखव। थोर थार सफई नइ घेपव।
गन्दा में हे रहना बसना। सबो डहर हे मोर बिछवना।4।
हवे गन्दगी दुनिया भर के। गाँव शहर मा देखव कसके।
कहाँ स्वच्छता तोर लुकागे। भुन भुन बोले मच्छर भागे।5।
फेंक गन्दगी घर के अँगना। जन कहिथे हमला का करना।
अब मच्छर के होंगे बढ़ना। हवे गन्दगी मा ओला रहना।6।
नेता मन ला का हे करना। उनला तो कोठी हे भरना।
रहिस स्वच्छता चारे दिन के। फेर बइठ गे पैसा बिन के।7।
बनिस हवे सब घर सौचालय। काम अधूरा ला करवावय।
रख रखाव ला नइ बनवावय। गली गन्दगी हा बोहावय।8।
हाल गाँव मन के अब देखव। स्वच्छ गन्दगी मा जी रेगव।
गाँव गली घर मच्छर बसगे। डेंगू के प्रकोप सब बनगे।9।
डेंगू ले पाबे तँय काबू। अपन स्वछता ला रख बाबू।
दूर भागथे जी बीमारी। राख स्वच्छ घर अँगना बारी।10।
छन्दकार - श्री हेमलाल साहू
सामयिक रचना,सुघ्घर कटाक्ष।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीदी जी
Deleteबहुत सुघ्घर भाव हे आदरणीय, बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुतेच सुग्घर चौपाई छंद आदरणीय
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुत बहुत बधाई साहू जी
ReplyDeleteस्वच्छता अउ बीमारी ऊपर बढ़िया चौपाई छंद
सादर धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुत बढ़िया हेम भाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुत बढ़िया रचना है भाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
बहुत बढ़िया बधाई हो हेम भईया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भइय जी
Deleteबहुत बढ़िया रचना करे हव भैया जी। सादर बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद बड़े भैया
Deleteवाह वाह ।शानदार सृजन हेम भाई के। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद बड़े भैया
Deleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ज्ञानु भाई जी
Deleteबहुत सुन्दर समसामयिक रचना हे हेम सर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गुरुदेव
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