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Monday, August 13, 2018

आल्हा छन्द - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


नँदागे......

कहाँ  नँदागे  ढेकी  जाँता, सूपा  सुपली  लोढ़ा  सील।
कहाँ नँदागे छितका कुरिया,राचर खपरा अउ कमचील।1।

कहाँ नँदागे खो खो फुगड़ी,लिब्बा डंडा अउ रेचूल।
कहाँ  नँदागे  भँवरा  बाटी,बाँधे  मया  झूलना झूल।2।

कहाँ नँदागे  तीरी  पासा,भटकउला  अउ नदी पहाड़।
कहाँ नँदागे सगली भतली,छइँहा पीपर अमली झाड़।3।

कहाँ  नँदागे घाट घठौंदा,कुँवा बावली टेड़ा ताल।
कहाँ नँदागे गुड़ी गाँव ले,पारा पइठा के चउँपाल।4।

कहाँ नँदागे दौरी बेलन,बरदी  परिया अउ दइहान।
कहाँ नँदागे अमरइया मन,बेजा कब्जा हे शमशान।5।

कहाँ नँदागे गरुवा कोठा,चुरय कसेली भर भर दूध।
कहाँ नँदागे देख गोरसी,जाड़ भगा तन राखय शुद्ध।6।

कहाँ नँदागे पड़की मैना,सुवा कोयली मीठा बोल।
कहाँ  नँदागे झाँझ मँजीरा,बंसी नाल तमूरा  ढोल।7।

कहाँ  नँदागे  नाचा  गम्मत,चौंका  पूजा  के  कड़िहार।
कहाँ नँदागे जोक्कड़ ग परी,लोरिक चंदा के दिन चार।8।

कहाँ नँदागे खाट मचोली,बइला आँखी रहय गथान।
कहाँ  नँदागे पोरा  करसी, माटी  मरकी  धरे अथान।9।

कहाँ नँदागे पागा  खुमरी,चीला  संग अँगाकर रोठ।
कहाँ नँदागे बात सियानी,अब हे राजनीति के गोठ।10।

छन्दकार - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
छत्तीसगढ़

29 comments:

  1. वाग्ह्ह्ह् पात्रे भइया, गज़ब के विषय ल ले के छंद रचना

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  2. कहाँ नंदागे.....
    बहुत बढ़िया विषय उठाय हव पात्रे सर जी।
    बधाई झोंकव।

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  3. धन्यवाद भैया जी।

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  4. अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण आल्हा छंद भइया बधाई हो

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  5. वाह वाह भैया,शानदार

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  6. बहुत बढ़िया आदरणीय हमर प्राचीन संस्कृति ला बढ़िया आल्हा छंद मा समोखे हव।

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  7. Bahut sundae Patre sir
    Narendra Khande

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  8. अंतस ले बधाई भाई जी!@

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  9. अंतस ले बधाई भाई जी!@

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  10. बड़ सुग्घर आल्हा छंद हे भैया जी ।सादर बधाई।

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  11. बहुत शानदार रचना सर

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  12. बहुत शानदार रचना सर

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  13. बधाई पात्रे जी।सुग्घर आल्हा रचे हव।

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  14. बहुत बढ़िया रचना भइया जी बधाई हो

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  15. बहुत सुन्दर रचना गुरुदेव जी बहुत बहुत बधाई

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  16. बहुत सुन्दर रचना गुरुदेव जी बहुत बहुत बधाई

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  17. सुन्दर विषय मे प्रभावी रचना गुरुजी बधाई हो आपला

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