1
करत बिकास देश,बदलत हावे भेष,
आनी बानी मिले क्लेश,देख ले सबो डहर।
बड़े बड़े कारखाना,धुवें धुँवा आनाजाना,
तभो सुख बतलाना,तन मा भरे जहर।
बड़े बड़े हे अटारी,कहाँ मिले कोलाबारी,
गाँव ह गंवागे संगी, चारो कोती हे शहर।
घर मा लुकाये रथे, जिनगी उही ल कथे,
गरमी सताये रथे, साँझ हो या दुपहर।
2
रुख राई कटा गे हे, नदी नाला पटा गे हे,
तरिया ह अँटा गे हे, मनखे के हे कहर।
पहाड़ी ल खाँच डारे,भाँठा सब बाँट डारे,
खेत खार चाँट डारे,जाके बस गे शहर।
करिहौं विकास कहे,जन जन आस रहे,
हवा जाने काय बहे, चारोकोति हे जहर।
अब तो मरन होगे,सुख सब के गा खोगे,
करनी अपन भोगे,दुख हे चारो डहर।
छन्दकार - श्री दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार, छत्तीसगढ़
करत बिकास देश,बदलत हावे भेष,
आनी बानी मिले क्लेश,देख ले सबो डहर।
बड़े बड़े कारखाना,धुवें धुँवा आनाजाना,
तभो सुख बतलाना,तन मा भरे जहर।
बड़े बड़े हे अटारी,कहाँ मिले कोलाबारी,
गाँव ह गंवागे संगी, चारो कोती हे शहर।
घर मा लुकाये रथे, जिनगी उही ल कथे,
गरमी सताये रथे, साँझ हो या दुपहर।
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रुख राई कटा गे हे, नदी नाला पटा गे हे,
तरिया ह अँटा गे हे, मनखे के हे कहर।
पहाड़ी ल खाँच डारे,भाँठा सब बाँट डारे,
खेत खार चाँट डारे,जाके बस गे शहर।
करिहौं विकास कहे,जन जन आस रहे,
हवा जाने काय बहे, चारोकोति हे जहर।
अब तो मरन होगे,सुख सब के गा खोगे,
करनी अपन भोगे,दुख हे चारो डहर।
छन्दकार - श्री दिलीप कुमार वर्मा
बलौदा बाज़ार, छत्तीसगढ़
बहुत सुग्घर रचना सर। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteआभार ग्यानु जी।
Deleteबहुत सुग्घर रचना गुरूजी बधाई
ReplyDeleteआभार चन्द्रवंशी जी।
Deleteबहुत बढ़िया भइया जी बधाई हो
ReplyDeleteआभार निषाद जी।
Deleteबढ़िया छंद लिखे हवय, भाई हमर दिलीप
ReplyDeleteमोती चमकत हे कहाँ, देखव खोजव सीप।
देखव खोजव सीप, पकड़ के ओला लानव।
Deleteदीदी के हर बात,सबोझन आशिष मानव।
भाग अपन सहराँव,भले हँव मँय हा अढ़िया।
दीदी करिन दुलार,कहिन जे मोला बढ़िया।
दीदी प्रणाम
बढ़िया छंद लिखे हवय, भाई हमर दिलीप
ReplyDeleteमोती चमकत हे कहाँ, देखव खोजव सीप।
प्रणाम
Deleteवाह बहुत सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद निषाद जी।
Deleteवाह वाह सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई दिलीप भाई जी।
ReplyDeleteधन्यवाद भइया जी।
Deleteशानदार सृजन गुरुदेव। सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर छंद सिरजे हावय भइया जी, बधाई
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जलहरण है घनाक्षरी गुरुजी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जलहरन घनाक्षरी हे आदरणीय।
ReplyDeleteवाहःहः भाई जी बहुत सुघ्घर सृजन
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गुरूजी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया गुरूजी
ReplyDeleteबहुत सुंदर भईया जी
ReplyDeleteवाह वाह सर जी,बेहतरीन
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