(1)
परके दुख ला नइ तैं समझे ,अउ रोज करे अपने मनमानी।
गरजे अबड़े बल के मद मा,बनके जस रावण गा अभिमानी।
ककरो नइ बात सुने भइया, मद मा तँय चूर करे ग सियानी।
बइरी बड़ पोंस डरे जग मा,सिरतो करके खइता जिनगानी।।
(2)
भइया हमरे समझाय कहे,चल फाँद तहूँ बइला अउ गाड़ी।
बड़की भउजी खिसियाय कहे, नइ टारस तैं पथरा अउ काड़ी।
उपजे अबड़े बन खेत हवे, सब मेंड़ दिखे जस जंगल झाड़ी।
बइठे-बइठे कइसे चलही, जब बोर खनाय रखे घर बाड़ी।।
(3)
लइका हमरे गुणवान बने,चल कारज ला अइसे करबो जी।
पढ़के लिखके जुग योग्य बने,सत मारग ला अइसे गढ़बो जी।
सुरता करबो पुरखा मन के,अउ ध्यान सदा उँकरे धरबो जी।
सँहरावय गा इतिहास घलो,रचना अपने अइसे रचबो जी।।
(4)
बइठे- बइठे गुनथौं मन मा ,कइसे अब आय हवे ग जमाना।
झगरा सुलझाँय नहीं मनखें,तज गाँव गुड़ी झट रेंगँय थाना।
करथें बरबाद सबो धन ला ,बिरथा गिनथें अबड़े तलवाना।
नइ हासिल गा कुछु होय उहाँ,तब मूँड़ धरे परथे पछताना।।
(5)
बरसै जब थोरिक बादर हा,उथली नरवा नदिया उफनाथें।
अध ज्ञान धरे मनखें अबड़े ,खुद के मुख मा गुणगान सुनाथें।
कमती मति के बस कारण मा,धनवान सहीं नुकसान गिनाथें।
छलके जल आध भरे गगरी,जइसे अपने सब हाल बनाथें।।
रचनाकार:- मोहन लाल वर्मा
पता:- ग्राम- अल्दा,पोस्ट आफिस- तुलसी(मानपुर),व्हाया-हिरमी,विकास खंड-तिल्दा,जिला-रायपुर (छत्तीसगढ़)
छंद के छ परिवार के ये साधक के रचना- सुंदरी सवैया हा छंद खजाना मा गुरुदेव के आशीष पाके सार्थक होगे।सादर नमन,गुरुदेव।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सुंदरी सवैया भाई मोहन...
ReplyDeleteतहे दिल से बधाई आपला...
हार्दिक आभार,प्रणाम गुरुजी
Deleteबढिया रचना लिखे हस मोहन भाई
Deleteबहुत सुघ्घर सुंदरी सवैया मोहन भैया जी।।
ReplyDeleteआभार भैया जी
Deleteवाह मोहन भाई सुग्घर सुन्दरी सवैया
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी
Deleteसुंदरी सवैया के रचयिता मोहन भैया।
ReplyDeleteसादर आभार भैया जी
Deleteसही केहेव भैया,,,बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर आभार भैया जी
Deleteबहुतेच सुग्घर सुंदरी सवैया आदरणीय आप ल बहुतेच बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुन्दर सुन्दरी सवैया सिरजाय हव मोहन भैया वाहहहहह।
ReplyDeleteधन्यवाद अहिलेश्वर भैया
Deleteबहुतेच सुग्घर सुन्दरी सवैया। मोहन भाई ला सिरजन खातिर गाड़ा गाड़ा बधाई
ReplyDeleteअलग अलग विषय मा बड़ सुग्घर सुंदरी सवैया भइया जी
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी
Deleteशानदार भावपूर्ण सुंदरी सवैया।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteगुरु कृपा अउ आशीष सदा मिलत रहय ।सादर प्रणाम
Deleteअलग अलग विषय मा बड़ सुग्घर सुंदरी सवैया भइया जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteअनुपम कृति , बहुत - बहुत बधाई सर
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर भाई साहब।
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteसुंदरी सवैया के अनुपम सिरजन करे हव भैया। बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteआभार भैया जी
Deleteबड़ सुघ्घर सृजन आदरणीय ।बहुत बहुत बधाई हो।
ReplyDeleteसाधुवाद,आभार
Deleteबहुत बढ़िया रचना वर्मा जी
ReplyDeleteगाड़ा गाड़ा बधाई हो
धन्यवाद माटी जी
Deleteसादर आभार भैया जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत सुंदर सर
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी
Deleteसुग्घर सवैया रचे हव सरजी।बधाई।
ReplyDeleteआभार गुरुदेव
Deleteवाहःहः मोहन भाई
ReplyDeleteउत्कृष्ट सृजन
बहुत बहुत बधाई
आभार दीदी
Deleteवाहःहः मोहन भाई
ReplyDeleteउत्कृष्ट सृजन
बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद दीदी
Delete👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर सुंदरी सवैया भइया जी बधाई हो
ReplyDeleteKya bth bhaiya nice lines keep it up . My good wiahes always with you.pranam.
ReplyDeleteधन्यवाद भैया
Deleteउत्कृष्ट रचना सर। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भैया
Deleteउत्कृष्ट रचना सर। बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर आभार भैया जी
Deleteबहुत बढ़िया आदरणीय।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना हे। पढ़ के सीखे बर मिलथे।
ReplyDeleteआभार परगनिहा जी।
Deleteआभार परगनिहा जी
Deleteबहुत सुघ्घर सुंदरी सवैया मोहन भैया जी।।
ReplyDeleteसादर आभार भैया जी
DeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteशानदार मोहन भाई
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteअति सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteआभार भैया
Deleteअब्बड़ सुग्घर
ReplyDeleteअति सुघ्घर भैया
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