1- मनखे
मनखे अतका चतुरा बनगे मन ही मन सोचत हे भगवान ।
सुख में सुमिरै तक नाम नही दुख मा सब बोलत हे भगवान ।
तन थोकिन जर्जर होवत हे कहिथे तब घोरत हे भगवान ।
खुद आलस में मनखे रहिथे अउ बोलय सोवत हे भगवान ।
2 - क्षमा याचना
जिभिया गलती कर डारिस हे पर अंतस पावन हे गुरुदेव ।
पथरा पटके कस लागत हे अँखिया बर सावन हे गुरुदेव ।
परछो गुरु लेवत हे कहिके मन मोद उछावन हे गुरुदेव ।
जड़ हे मति मोर क्षमा कर दौ मुड़ लाज लजावन हे गुरुदेव ।।
3 -पूस के रात
बिन कंबल के तरसे हलकू जब आइस पूस जनाइस जाड़ ।
अति ठंड लगे ठिठुरे तन हा अउ हाँथ जुड़ावय काँपय हाड़ ।
जबरा बइठे रतिया भर संग म पूँछ हिलावय पावय लाड़ ।
बिहने हलकू जब खेत ल देखय रोवय अब्बड़ गा बम फाड़ ।
4 - गुरु
मनखे मनखे सब एक हवे ,गुरु ज्ञान दिया सत जोत जलाय ।
सुमिरै गुरुनाम तरे भवसागर अंतस मा लहरा लहराय ।
दिन रात बरे सत जोत जिहाँ सुख के अँवरा सब ओर समाय ।
जिनगी सुधरे सब ताप मिटे सत के रसता गुरु ज्ञान बताय ।
5-तिवरा बटरा
तिंवरा बटरा गहदे अति सुघ्घर देखत ये मन हा हरसाय ।
अति कोंवर कोंवर पान उलोहय अब्बड़ इंखर साग मिठाय ।
धरके जब हाट म लाय मरारिन भाव बढ़ाय तभो बिक जाय ।
अतका मन भावत हे तिंवरा बटरा सबके मन ला ललचाय ।
छन्दकार - आशा देशमुख, कोरबा, छत्तीसगढ़
कोटि कोटि आभार गुरुदेव
ReplyDeleteआपके कृपा वरदान से मोर जीवन धन्य होगे गुरुदेव।
सादर नमन
वाहहह वाहहह लाजवाब हे दीदी सबे सवैया हा।
ReplyDeleteसादर आभार भाई
Deleteबहुतेच सुग्घर अलग अलग विषय म सवैया सिरजन दीदी
ReplyDeleteवाहहहहह
सादर आभार भाई
Deleteवाह वाह आशा बहिनी जी। पावन भाव धारा ले सराबोर सुग्घर छंद सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार नमन भैया जी
Deleteउत्कृष्ट अरविंद सवैया के सृजन करे हव,दीदी। सादर बधाई अउ शुभकामना हे।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अरविंद सवैया सिरजाय हवव दीदी!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अरविंद सवैया सिरजाय हवव दीदी!!
ReplyDeleteबहुते बढ़िया अरविंद सवैया सिरजन दीदी।
ReplyDeleteसुग्घर सवैया रचे हव दीदी।बधाई
ReplyDeleteसुघ्घर सिरजन हे दीदी।
ReplyDeleteसबो भाई बहिनी मन ला सादर आभार
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर दीदी जी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी जी बहुत सुग्घर
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