अमृत ध्वनि छंद-मीता अग्रवाल
(1)मात शारदे
मन मा मोर बिराजबे,ज्ञान दान के खान।
बाढ़य मति अउ लालसा ,बाढ़य बानी मान।।
बाढ़य बानी, मान दान तैं,देदे दाई।
किरपा करदे ,मात शारदे,माँ महमाई।
देबे दाई,विद्या मोला,करथँव बंदन।
रोजे तोरे,पूजा करथौं,अर्पित कर मन।।
(2)होली
होली परब तिहार ला ,मिलजुल के लौ मान।
माघ महीना खोंच लव,अंडा डारा पान।।
अंडा डारा,पान गाड़ के,झूमव नाचव।
पेड़ कटे झन, ये होली मा ,सुरता राखव।
दया मया के,मँदरस घोलय,गुरतुर बोली ।
भेद भाव अउ,द्वेष दंश के, बारव होली ।।
(3)बने करम
भाग जागही जी बने,करव नवा नित काम।
मनुख जनम होवय सफल, होथे जग मा नाम ।
होथे जग मा, नाम बड़े नइ,काम करव गा।
काम दाम के, मिलथे बढ़िया,बात धरव गा।
चिन्तन करके,काम करे ले,बिघन भागथें।
बने सोच अउ,बने करम ले,भाग जागथें।
छंदकार -डाॅ मीता अग्रवाल
पुरानी बस्ती लोहार चौंक
रायपुर छत्तीसगढ़ 492001
बहुत सुन्दर गुरुदेव जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुत सुग्घर दीदी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुग्घर दीदी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबढ़िया रचना अमृतध्वनि छंद म
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत बढ़िया छंद लिखे हव आपमन बहुत बधाई आप ला
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteछंद खजाना मे स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव जी🙏
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ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत-बहुत बधाई हो मैडम जी
ReplyDeleteथैंक्स बेटा
Deleteबहुते सुध्धर छंद बनीसे,माँ के महिमा के बहुत सुंदर वर्णन,होली के परब मा पर्यावरण के चिंता ला बहुत ही बढ़िया लिखे हव,बने करम मा प्रेरणा ला बहुत सुंदर बखाने हव,बहुत बहुत बधाई सुंदर छंद बर।
ReplyDeleteआभार बहिनी
Deleteबहुत बढ़िया छंद मीता
Deleteबधाई हो दीदी👍👌💐
ReplyDeleteधन्यवाद आशा बहिनी
ReplyDeleteवाहःह बहुत बढ़िया सृजन हे बहिनी
ReplyDeleteसशक्त लेखनी
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुघ्घर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर छंद रचनाएँ बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर मीता
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाव दीदी
ReplyDeleteबहुत सुंदर मीता बहिनी
ReplyDeleteWonderful...!!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteBahut acche...!!!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन,अमृतध्वनि छंद, बहुत बहुत बधाई!!
ReplyDeleteश्रवण चोरनेले 'श्रवण' रायपुर(छ.ग.)
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