छप्पय छंद- मोहन लाल वर्मा
(1)मेहनत के फल
मन मा रख विश्वास, मेहनत जे करथे जी।
जग मा वो इतिहास, अमरता के गढ़थे जी।।
पाथे बड़ सम्मान, करम के पाछू भइया ।
जस के गाथे गीत, गगन-धरती पुरवइया ।।
परमारथ के काज ला,करथे करतब जान के ।
पाथे जी आशीष ला,सउँहे वो भगवान के ।।
( 2)पानी के मोल
सुक्खा परगे फेर, देख तो तरिया - नदिया ।
कइसन हाहाकार, मचे हे सारी दुनिया ।।
बिन पानी संसार, फेर गा चलही कइसे ।
तड़पत रइहीं जीव,सबो गा मछरी जइसे ।।
होही पानी के बिना, सुन्ना ये संसार गा।
जानव एकर मोल ला,पानी जग आधार गा।।
(3) नारी के रूप
जेन बढ़ाथे मान ,ददा के वो बेटी ये ।
पबरित मया खदान, ज्ञान धन के पेटी ये ।।
माता-बहिनी रूप, धरे ये जग मा आथे ।
अमरित गोरस पान,करा ममता छलकाथे ।।
दुर्गा-लक्ष्मी-शारदा, बेटी के अवतार हे ।
झन मारव जी कोंख मा,बेटी ले संसार हे ।।
(4)रक्षाबंधन
सावन पुन्नी खास,मनाथें रक्षाबंधन ।
बहिनी राखी बाँध, लगाथे रोली चंदन।।
भाई दे उपहार, मया बहिनी के पाथे।
रक्षा के जब डोर, कलाई मा बँध जाथे।।
भाई-बहिनी के मया, हे अटूट संसार मा।
रक्षाबंधन के परब, दिखथे जे परिवार मा।।
(5)मया के रंग-होली
चुपर मया के रंग ,मना लव सुग्घर होली ।
झन बिगड़य व्यवहार, बोल लव गुरतुर बोली।।
जिनगानी के काय,भरोसा हाबय भइया ।
ये तो हे जस बीच, धार मा डोलत नइया।।
लीला ला भगवान के, देखव तो संसार मा।
रंग मया के दे हवे,मनखे ला उपहार मा।।
(6)करना हे मतदान
करना हे मतदान,सजग बनके मतदाता ।
लोकतंत्र के मान,बढ़ावव मिलके भ्राता ।।
सब ला हे अधिकार,जागरुकता ये लावव ।
जाके घर-परिवार, सबो ला ये समझावव ।।
संविधान ले हे मिले,जनता ला अधिकार गा।
चुनथें भारत देश मा,अपने बर सरकार गा।।
(7)शीत लहर के मार
काँपत हाबय जीव, जाड़ मा अबड़े भइया ।
सर-सर सर-सर रोज,चलत हे जुड़ पुरवइया।।
कतको स्वेटर शाॅल, ओढ़ना कमती लागय ।
कहिथे मोहन लाल, जाड़ हा कब गा भागय ।।
कोन बुताही जाड़ ला,जुड़हा होगे घाम जी।
शीत लहर के मार मा,काँपय हाड़ा-चाम जी।।
(8)आगे हे नवरात
आगे हे नवरात, बरत हे दियना बाती।
जगमग-जगमग जोत, करय उजियारी राती ।।
माता के दरबार, भगत मन आथें जाथें ।
करके पूजा-पाठ, शक्ति ला माथ नवाथें ।।
माता के नवरूप के,करलव दरशन आज गा।
श्रद्धा ले सब पूज लव,बनही बिगड़े काज गा।।
छंदकार- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम- अल्दा,पो.आ.-तुलसी (मानपुर)
व्हाया-हिरमी,वि.खं.-तिल्दा,जिला-रायपुर
(छत्तीसगढ़), पिन 493195.
(1)मेहनत के फल
मन मा रख विश्वास, मेहनत जे करथे जी।
जग मा वो इतिहास, अमरता के गढ़थे जी।।
पाथे बड़ सम्मान, करम के पाछू भइया ।
जस के गाथे गीत, गगन-धरती पुरवइया ।।
परमारथ के काज ला,करथे करतब जान के ।
पाथे जी आशीष ला,सउँहे वो भगवान के ।।
( 2)पानी के मोल
सुक्खा परगे फेर, देख तो तरिया - नदिया ।
कइसन हाहाकार, मचे हे सारी दुनिया ।।
बिन पानी संसार, फेर गा चलही कइसे ।
तड़पत रइहीं जीव,सबो गा मछरी जइसे ।।
होही पानी के बिना, सुन्ना ये संसार गा।
जानव एकर मोल ला,पानी जग आधार गा।।
(3) नारी के रूप
जेन बढ़ाथे मान ,ददा के वो बेटी ये ।
पबरित मया खदान, ज्ञान धन के पेटी ये ।।
माता-बहिनी रूप, धरे ये जग मा आथे ।
अमरित गोरस पान,करा ममता छलकाथे ।।
दुर्गा-लक्ष्मी-शारदा, बेटी के अवतार हे ।
झन मारव जी कोंख मा,बेटी ले संसार हे ।।
(4)रक्षाबंधन
सावन पुन्नी खास,मनाथें रक्षाबंधन ।
बहिनी राखी बाँध, लगाथे रोली चंदन।।
भाई दे उपहार, मया बहिनी के पाथे।
रक्षा के जब डोर, कलाई मा बँध जाथे।।
भाई-बहिनी के मया, हे अटूट संसार मा।
रक्षाबंधन के परब, दिखथे जे परिवार मा।।
(5)मया के रंग-होली
चुपर मया के रंग ,मना लव सुग्घर होली ।
झन बिगड़य व्यवहार, बोल लव गुरतुर बोली।।
जिनगानी के काय,भरोसा हाबय भइया ।
ये तो हे जस बीच, धार मा डोलत नइया।।
लीला ला भगवान के, देखव तो संसार मा।
रंग मया के दे हवे,मनखे ला उपहार मा।।
(6)करना हे मतदान
करना हे मतदान,सजग बनके मतदाता ।
लोकतंत्र के मान,बढ़ावव मिलके भ्राता ।।
सब ला हे अधिकार,जागरुकता ये लावव ।
जाके घर-परिवार, सबो ला ये समझावव ।।
संविधान ले हे मिले,जनता ला अधिकार गा।
चुनथें भारत देश मा,अपने बर सरकार गा।।
(7)शीत लहर के मार
काँपत हाबय जीव, जाड़ मा अबड़े भइया ।
सर-सर सर-सर रोज,चलत हे जुड़ पुरवइया।।
कतको स्वेटर शाॅल, ओढ़ना कमती लागय ।
कहिथे मोहन लाल, जाड़ हा कब गा भागय ।।
कोन बुताही जाड़ ला,जुड़हा होगे घाम जी।
शीत लहर के मार मा,काँपय हाड़ा-चाम जी।।
(8)आगे हे नवरात
आगे हे नवरात, बरत हे दियना बाती।
जगमग-जगमग जोत, करय उजियारी राती ।।
माता के दरबार, भगत मन आथें जाथें ।
करके पूजा-पाठ, शक्ति ला माथ नवाथें ।।
माता के नवरूप के,करलव दरशन आज गा।
श्रद्धा ले सब पूज लव,बनही बिगड़े काज गा।।
छंदकार- मोहन लाल वर्मा
पता- ग्राम- अल्दा,पो.आ.-तुलसी (मानपुर)
व्हाया-हिरमी,वि.खं.-तिल्दा,जिला-रायपुर
(छत्तीसगढ़), पिन 493195.
बहुते सुग्घर सुग्घर छप्पय गुरुदेव हार्दिक बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी ।
Deleteअब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण छप्पय छंद सिरजाय हव भइया बधाई हो
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteबड़ सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय सर जी ।
Deleteबड़ सुग्घर रचना सर
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteअनंत बधाई मोहन भाई,👍👌💐
ReplyDeleteसाधुवाद आदरणीया।
Deleteवाह वाह गुरुवर अत्युत्तम छप्पय छंद रचे हव आपमन बहुत बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteशानदार छप्पय छंद सर जी। बधाई
ReplyDeleteआप सबो ला सादर प्रणाम सहित साधुवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत सुग्घर बधाई हो
ReplyDeleteआभार आदरणीय ।
Deleteबहुते सुघ्घर छप्पय छंद गुरू जी। एक ले बड़ के एक।
ReplyDeleteगंजअकन ले बधाई।
सादर साधुवाद आदरणीया
Deleteबड सुग्घर भाव परक रचना भैया जी बधाई
ReplyDeleteआगे हे मतदान , शीत लहर , करना हे मतदान ,सुग्घर संदेश देवत छन्द रचना गुरुदेव।।
ReplyDeleteप्रोत्साहन बर सादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteवाहहहह वाह मोहन गुरू! बढ़िया बढ़िया विषय चुन के छप्पय छंद के सुंदर सिरजन करे हव ।बिलकुल निरापद । मेहनत मतदान बेटी नवरात जाड़ होरी रक्षाबंधन अउ पानी के मोल बतावत सटीक भाव के साथ छप्पय छंद।
ReplyDeleteमया प्रोत्साहन बर हार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteवाह बहुत सुन्दर गुरु जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ।
Deleteगुरुदेव जी सादर प्रणाम बहुत बढिया विषय मा सार बात लाले के छप्पय छंद लिखे हव दुर्लभ हवय एक एक रचना
ReplyDeleteभाव अउ अर्थ मा संदेश लिये हवय
सादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत बढ़िया रचना बधाई हो
ReplyDeleteमाटी
बहुत बढ़िया रचना भइया जी
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ।
Deleteबहुतेच सुघ्घर संगवारी
ReplyDeleteमया प्रोत्साहन बर हार्दिक आभार आदरणीय ।
Deleteसुग्घर छप्पय छंद गुरुदेव
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर रचना गुरुदेव ।
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteबहुत सुघ्घर है भैया
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी ।
Deleteबेहतरीन रचना हेतु बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई मोहन
ReplyDeleteसादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteवाह वाह लाजवाब छप्पय।हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteआप सबो के मार्गदर्शन अउ आशीष के सद्परिणाम आय आदरणीय गुरुदेव ।सादर प्रणाम ।
Deleteबहुतेच सुग्घर छपय्य छंद के सिरजन
ReplyDeleteबधाई
सादर साधुवाद आदरणीय ।
Deleteबहुतेच सुग्घर छपय्य छंद के सिरजन
ReplyDeleteबधाई
बहुतेच सुग्घर सिरजन भैया जी
ReplyDeleteVery nice so sweet and dear smallest brother.
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय ।
ReplyDeleteगुरुदेव मन के आशीष -मार्गदर्शन अउ छंद के छ परिवार के मया प्रोत्साहन पाके लिखे छप्पय छंद छंद खजाना मा स्थान पाके सार्थक होगे।
ReplyDeleteआप सबो ला सादर प्रणाम सहित हार्दिक आभार ।