अमृत ध्वनि छंद - राजेश कुमार निषाद
सेवा दाई के करव, मिलही अँचरा छाँव।
करथे सबले जे मया, जेकर कोरा ठाँव।।
जेकर कोरा,ठाँव बनाबे,मया ल पाबे।
भाग जगाबे,नाम कमाबे,मान बढ़ाबे।
संगे जाबे, हरिगुण गाबे,मानव माई।
सरग ल पाबे,करबे जब बड़,सेवा दाई।। (1)
लागय भारी जाड़ जी,महिना अगहन आय।
खोजत आगी आँच ला,तापे बर सब जाय।। तापे बर सब, जाय दौड़ के,,लकड़ी लावत।
आग जलावत,जाड़ भगावत,बइठे तापत।
रात म जागत,मजा उड़ावत, सबझन भागय।
घर सब जावत, मिलके काहत,जाड़ ह लागय।।(2)
मटका फोड़न गाँव मा,करके अड़बड़ शोर।
चढ़के संगी कांध मा,बाँधन मटका डोर।।
बाँधन मटका,डोर धरे सब, रंग बिरंगी।
आमा पाना,नरियर केरा, बाँधन संगी।
खाके माखन,मारन सबझन,भारी चटका।
हँसी खुशी ले ,फोड़न संगी,सबझन मटका।। (3)
रचनाकार - राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद पोस्ट समोदा तहसील आरंग जिला रायपुर ( छ.ग. )
अति सुन्दर भाई जी। बधाई हो
ReplyDeleteशुग्घर हे भाई
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर भइया
ReplyDeleteअब्बड़ सुग्घर भइया
ReplyDeleteबहुत सुग्घर छंद लिखे हव भाई बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे भैया ।
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