अमृत ध्वनि छंद-द्वारिका प्रसाद लहरे
सादर जय जोहार हे,गुरू चरण मा मोर।
देवव नित आशीष ला,बिनती हे कर जोर।
बिनती हे कर,जोर गुरू जी,माथ नवावँव।
चरण कमल के,दास बनालौ,गुन ला गावँव।
सेवा करहूँ, रोज गुरू के,करहूँ आदर।
चरण कमल मा,फूल चढ़ावत,
वंदन सादर।।1
आवँव बेटा वीर जी,महिनत हे बल मोर।
दया मया ला बाँट के,लेथँव सबके सोर।
लेथँव सबके,सोर देश के,गुन ला गावँव।
मया बाँध के,सुमता सब मा,मैं हाँ लावँव।
भारत भुँइयाँ,सोन चिरइया,हरदम पावँव।
जनम जनम बर,बेटा बनके,मैं हाँ आवँव।।2
धरती दाई मोर तैं,बेटा मैंहा तोर।
भरय कटोरा धान के,विनती हे करजोर।
बिनती हे करजोर माथ ला,मोर नवावँव।
निस दिन सब बर,जाँगर टोरत, अन उपजावँव।
खेत खार मा,धान उगाहूँ,रहय न परती।
तिहीं जीव के,पालनहारी,दाई धरती।।3
बोंवय धान किसान जी,निस दिन करके काम।
अन उपजावँय पेट बर,खेत खार हा धाम।
खेत खार हा,धाम आय जी,गुन ला गावँय।
गिरे पछीना,करँय मेहनत,अन उपजावँय।
माटी भुँइयाँ,अन उपजइया,नइ तो सोवय।
चना गहूँ अउ,धान खेत मा,सब बर बोंवय।।4
छंदकार-द्वारिका प्रसाद लहरे बायपास रोड़ कवर्धा (कबीरधाम) छत्तीसगढ़
सादर जय जोहार हे,गुरू चरण मा मोर।
देवव नित आशीष ला,बिनती हे कर जोर।
बिनती हे कर,जोर गुरू जी,माथ नवावँव।
चरण कमल के,दास बनालौ,गुन ला गावँव।
सेवा करहूँ, रोज गुरू के,करहूँ आदर।
चरण कमल मा,फूल चढ़ावत,
वंदन सादर।।1
आवँव बेटा वीर जी,महिनत हे बल मोर।
दया मया ला बाँट के,लेथँव सबके सोर।
लेथँव सबके,सोर देश के,गुन ला गावँव।
मया बाँध के,सुमता सब मा,मैं हाँ लावँव।
भारत भुँइयाँ,सोन चिरइया,हरदम पावँव।
जनम जनम बर,बेटा बनके,मैं हाँ आवँव।।2
धरती दाई मोर तैं,बेटा मैंहा तोर।
भरय कटोरा धान के,विनती हे करजोर।
बिनती हे करजोर माथ ला,मोर नवावँव।
निस दिन सब बर,जाँगर टोरत, अन उपजावँव।
खेत खार मा,धान उगाहूँ,रहय न परती।
तिहीं जीव के,पालनहारी,दाई धरती।।3
बोंवय धान किसान जी,निस दिन करके काम।
अन उपजावँय पेट बर,खेत खार हा धाम।
खेत खार हा,धाम आय जी,गुन ला गावँय।
गिरे पछीना,करँय मेहनत,अन उपजावँय।
माटी भुँइयाँ,अन उपजइया,नइ तो सोवय।
चना गहूँ अउ,धान खेत मा,सब बर बोंवय।।4
छंदकार-द्वारिका प्रसाद लहरे बायपास रोड़ कवर्धा (कबीरधाम) छत्तीसगढ़
बहुत सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन
ReplyDeleteगुरूदेव मन के आशीर्वाद ले महूँ कुछ लिख पावत हँव।
ReplyDeleteसादर प्रणाम गुरुदेव।।
अति सुन्दर रचना।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
DeleteBahut sundar sir ji
Deleteअति सुन्दर रचना।
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDAR RACHNA H
ReplyDeleteMERE GURUDEV ..
बहुत-बहुत धन्यवाद
DeleteGjb sir🙏🙏🙏💐💐💐
ReplyDeleteसादर आभार
ReplyDeleteGjb sir ji
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteगुरूदेव सादर प्रणाम ।।
Deleteवाह वाह लाजवाब प्रस्तुति हे गुरुवर आपके...बहुत बधाई आप ला
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद भाई श्लेष जी
Deleteबड़ सुग्घर अमृत ध्वनि छंद सृजन करे हव लहरे जी।बधाई
ReplyDeleteगुरुदेव सादर प्रणाम ।। आपके आशीर्वाद अनमोल हे
Deleteवाहःह बहुत सुघ्घर सृजन हे भाई
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteगुरूदेव सादर प्रणाम ।।
ReplyDeleteबहुते सुंदर रचना भाई डीपी के...
ReplyDeleteजबरदस्त...🌹🌹👍👍👏👏
बहुते बढ़िया भाई...
ReplyDeleteगुरुवंदन सँग महतारी महिमा हावै।
पढ़पढ़ ओला भाई हमरो जीव जुड़ावै।।
ध्वनि अमृत अमृत ए छँद बर एला जानन।
इहाँ हमर भाखा ला वो हर अमर बनावै।।
🌹🌹🌹🙏🙏🙏👏👏👏👌👍👍👌
बहुते बढ़िया भाई...
ReplyDeleteगुरुवंदन सँग महतारी के महिमा हावै।
पढ़पढ़ ओला भाई हमरो जीव जुड़ावै।।
ध्वनि अमृत अमृत ए छँद बर एला जानन।
इहाँ हमर भाखा ला वो हर अमर बनावै।।
🌹🌹🌹🙏🙏🙏👏👏👏👌👍👍👌
गुरूदेव सादर प्रणाम ।। बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteबहुतेच बढ़िहा अमृतध्वनि के सृजन करे हव लहरे सर बधाई हे
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर जी
Deleteबहुत सुंदर सर जी
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद भैया
Deleteअनंत बधाई भाई👌👍💐💐💐
ReplyDeleteदीदी जी चरण स्पर्श आप मन के आशीर्वाद आय
ReplyDeleteबहुत ही सुग्घर छन्द गुरू वंदन के संगें संग धरती मइया के सुग्घर वर्णन🙏🙏🙏
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
DeleteBahut Sunder
ReplyDeleteबहुत सुंदर चाचा जी
ReplyDeleteगजब सुग्घर सृजन ।हार्दिक बधाई ।
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