छप्पय छंद- मीता अग्रवाल
(1)नशा
नशा करय दिन रात, देह के नास करावय ।
जेघर अइसन जान ,वंस के नाव डुबावय ।
नसा जीव के काल,जीव ला घुन कस खाथे।
करथे मति के नास,बात संसार बताथे।
ध्यान देय के सुनव जी,नसा मौत के द्वार हे।
कतको पीरा होय जी, झन परबे बड काल हे ।
(2)योग
योग करें भिनसार, निरोगी रहिथे काया।
पोठ बनय जी देह, रहव जी ऐकर छाया।।
जिनगी के दिन चार, सोच के चलहू बढ़िया ।
खुडुवा खो खो खेल ,खेलथे छत्तीसगढ़िया।
खेल खेल मा सीखथे,मनखे कतको काम जी।
योग भगाथे रोग ला,देह मिलय आराम जी।
(3) खेती किसानी
हरियर हरियर साग,उलै खेत किसानी मा ।
रखिया तूमा नार, फरय फूलय छानी मा।
मेथी पालक लाल,चेच चौलाई भाजी।
भोग धरय भगवान, खाय हो जावय राजी।
किसम किसम के जी हवय,मोटा पतला धान हा।
मिहनत मजदूरी करय,जाँगर टोर
किसान हा।।
(4)बानी
बानी हे अनमोल ,घोर मदरस कस बोलव।
सबके मन ला मोह,भेद अंतस के खोलव।
फेंकव इरखा द्वेष ,देह मा रोग घुनावय ।
दया मया के रीत, सबो के मान बढावय।
दया मया के गुण धरव, बढथे ऐमा मान जी।
सद्गुण अउ सद्भाव के,बगरावव सब ज्ञान जी।।
(5)गुण
आदर अउ सम्मान, मिलय बिन मांगे भैया ।
बादर बिन बरसात , होय नइ बदली छैया।
श्रद्धा देवय ग्यान, करम हा फल सिरजाथे।
जइसे बोए धान,फसल मिहनत ले पाथे।
जिनगी मा गुन ला धरव,करलव करम विचार जी।
धरम करम अइसन करव,कभू नहो लाचार जी।
(6)पर्यावरण
हवा होय बेकार ,कारखाना बड़ हावय।
काटव झन जी पेड़ ,इही मन प्राण बचावय।
पड़े प्रदूषण मार ,रोग काया मा बाढ़य।
साँसा बर बड़ भार ,हवा जिनगी ला तारय।
स्वच्छ रखव पर्यावरण ,स्वस्थ रहय संसार जी।
सुघर रहय वातावरण ,सुखी रहय परिवार जी।।
(7)जस
अंतस राखे चाह ,सदा बड़ जस ला पावन।
काज करन जी खास,दुखी बर
हाथ बढ़ावन।
फोकट गाल बजाय,जनम हा बिरथा जाथे।
जग मा करय विशेष,तेन हा जस ला पाथे।
दीन दुखी सेवा करन,अंतस राखे ध्यान जी।
नेक करम करते करत, जग मा पावन मान जी।
(8) बेटी
बेटा बेटी भेद, देख लागे दुख भारी ।
अंतस करथे छेद, अतिक हावय लाचारी।
दो दो कुल के शान,बरय दीया कस जिनगी ।
लछमी के अवतार,हवव बेटी मन संगी।
अँगना किलकारी झरे, परगे लछमी पाँव जी ।
जिनगी मा मुस्कान हे,जेघर बिटिया छाँव जी।
छंदकार-डाॅ मीता अग्रवाल
पुरानी बस्ती लोहार चौंक रायपुर छत्तीसगढ़
(1)नशा
नशा करय दिन रात, देह के नास करावय ।
जेघर अइसन जान ,वंस के नाव डुबावय ।
नसा जीव के काल,जीव ला घुन कस खाथे।
करथे मति के नास,बात संसार बताथे।
ध्यान देय के सुनव जी,नसा मौत के द्वार हे।
कतको पीरा होय जी, झन परबे बड काल हे ।
(2)योग
योग करें भिनसार, निरोगी रहिथे काया।
पोठ बनय जी देह, रहव जी ऐकर छाया।।
जिनगी के दिन चार, सोच के चलहू बढ़िया ।
खुडुवा खो खो खेल ,खेलथे छत्तीसगढ़िया।
खेल खेल मा सीखथे,मनखे कतको काम जी।
योग भगाथे रोग ला,देह मिलय आराम जी।
(3) खेती किसानी
हरियर हरियर साग,उलै खेत किसानी मा ।
रखिया तूमा नार, फरय फूलय छानी मा।
मेथी पालक लाल,चेच चौलाई भाजी।
भोग धरय भगवान, खाय हो जावय राजी।
किसम किसम के जी हवय,मोटा पतला धान हा।
मिहनत मजदूरी करय,जाँगर टोर
किसान हा।।
(4)बानी
बानी हे अनमोल ,घोर मदरस कस बोलव।
सबके मन ला मोह,भेद अंतस के खोलव।
फेंकव इरखा द्वेष ,देह मा रोग घुनावय ।
दया मया के रीत, सबो के मान बढावय।
दया मया के गुण धरव, बढथे ऐमा मान जी।
सद्गुण अउ सद्भाव के,बगरावव सब ज्ञान जी।।
(5)गुण
आदर अउ सम्मान, मिलय बिन मांगे भैया ।
बादर बिन बरसात , होय नइ बदली छैया।
श्रद्धा देवय ग्यान, करम हा फल सिरजाथे।
जइसे बोए धान,फसल मिहनत ले पाथे।
जिनगी मा गुन ला धरव,करलव करम विचार जी।
धरम करम अइसन करव,कभू नहो लाचार जी।
(6)पर्यावरण
हवा होय बेकार ,कारखाना बड़ हावय।
काटव झन जी पेड़ ,इही मन प्राण बचावय।
पड़े प्रदूषण मार ,रोग काया मा बाढ़य।
साँसा बर बड़ भार ,हवा जिनगी ला तारय।
स्वच्छ रखव पर्यावरण ,स्वस्थ रहय संसार जी।
सुघर रहय वातावरण ,सुखी रहय परिवार जी।।
(7)जस
अंतस राखे चाह ,सदा बड़ जस ला पावन।
काज करन जी खास,दुखी बर
हाथ बढ़ावन।
फोकट गाल बजाय,जनम हा बिरथा जाथे।
जग मा करय विशेष,तेन हा जस ला पाथे।
दीन दुखी सेवा करन,अंतस राखे ध्यान जी।
नेक करम करते करत, जग मा पावन मान जी।
(8) बेटी
बेटा बेटी भेद, देख लागे दुख भारी ।
अंतस करथे छेद, अतिक हावय लाचारी।
दो दो कुल के शान,बरय दीया कस जिनगी ।
लछमी के अवतार,हवव बेटी मन संगी।
अँगना किलकारी झरे, परगे लछमी पाँव जी ।
जिनगी मा मुस्कान हे,जेघर बिटिया छाँव जी।
छंदकार-डाॅ मीता अग्रवाल
पुरानी बस्ती लोहार चौंक रायपुर छत्तीसगढ़
बहुत सुग्घर दीदी जी। बधाई हो
ReplyDeleteवाह्ह वाह वाह्ह दीदी लाजावाब रचना बधाई दीदी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर छंद... बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुतेच सारगर्भित सृजन हे मीता जी। हार्दिक बधाई है।
ReplyDeleteहार्दिक बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया छप्पय छंद हे बहिनी
ReplyDeleteलाजावाब रचना बधाई दीदी
ReplyDeleteज्वलंत सामयिक विषय ला लेके छप्पय छंद मा बड़ सुग्घर संग्रह, बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी
ReplyDeleteआप सब ला बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
ReplyDeleteवाहहह!सुग्घर छप्पय छंद हार्दिक बधाई
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