छप्पय छंद---चोवा राम 'बादल'
1 जिनगानी
करबे झन अभिमान , चार दिन के जिनगानी।
चारे दिन के आय , चकाचक रूप जवानी।
धन दौलत पद मान, तोर ए कुटुम कबीला।
माया बँधना आय , पाँव मा गड़थे खीला ।
नइ उतरत लागय देर जी, नदिया के पूरा चढ़े।
फट ले जाथे गा फूट ए, माटी के काया गढ़े ।
2 पुन्नी रात
सुग्घर पुन्नी रात, चँदैनी हावय छटके।
चातक के मन आज, हवय चंदा मा अटके।
टपकत अमरित बूंद, शीत मा जगत नहाये।
बरसा गे हे भाग ,शरद जब ले हे आये।
सुरता आथे बात वो ,द्वापर युग के रास के।
राधा मोहन के मिलन, जमुना निधिवन खास के।
3 दसेरा
मन के रावण मार, दसेरा चलौ मनाबो।
दस ठन भरे विकार, सबो ला जोर जलाबो ।
अहंकार अउ क्रोध ,हवय गा बड़का बैरी।
इरखा माया मोह , मताथें रोज्जे गैरी।
परब हमर ए दशहरा, होही तब फुरमान जी।
परमपिता प्रभु राम हा, देही बड़ वरदान जी ।
4 प्लास्टिक छोड़
घातक प्लास्टिक छोड़, धरौ कपड़ा के झोला ।
झिल्ली भरे समान, रोग ले आथे चोला।
पशु जब एला खाय ,पेट फूले मर जाथे ।
बंजर होथे खेत, जाम नाली बस्साथे।
बउरे मा नुकसान हे, झिल्ली बड़ शैतान हे ।
अबड़ कीमती जान हे , धोखा मा इंसान हे ।
5 सीमेंट बन जा
बन जा तैं सीमेंट ,जोड़ दे ईंटा पखरा।
बन के भारी बीर, चाल झन फोकट अखरा ।
सब ले नाता टोर, परे अलगे रइ जाबे ।
देख मया ला बाँट, मया उपराहा पाबे।
नव के रुखुवा केंवची, सहि जाथे तूफान ला।
होना चाही गा नरम , ओइसने इंसान ला ।
6 उपदेश
झाड़े बर उपदेश, काम काला नइ आही।
खुद अपना के देख ,फायदा तभे बताही ।
दिखही सूरत आन, मुखौटा कहूँ लगाये।
ढोंगी बन के संत,अबड देथे भरमाये।
धरम करम के बात जे, करत रथे दिन रात जी।
पढ़ के वेद पुरान ला, हवय सिरिफ समझात जी।
चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़
1 जिनगानी
करबे झन अभिमान , चार दिन के जिनगानी।
चारे दिन के आय , चकाचक रूप जवानी।
धन दौलत पद मान, तोर ए कुटुम कबीला।
माया बँधना आय , पाँव मा गड़थे खीला ।
नइ उतरत लागय देर जी, नदिया के पूरा चढ़े।
फट ले जाथे गा फूट ए, माटी के काया गढ़े ।
2 पुन्नी रात
सुग्घर पुन्नी रात, चँदैनी हावय छटके।
चातक के मन आज, हवय चंदा मा अटके।
टपकत अमरित बूंद, शीत मा जगत नहाये।
बरसा गे हे भाग ,शरद जब ले हे आये।
सुरता आथे बात वो ,द्वापर युग के रास के।
राधा मोहन के मिलन, जमुना निधिवन खास के।
3 दसेरा
मन के रावण मार, दसेरा चलौ मनाबो।
दस ठन भरे विकार, सबो ला जोर जलाबो ।
अहंकार अउ क्रोध ,हवय गा बड़का बैरी।
इरखा माया मोह , मताथें रोज्जे गैरी।
परब हमर ए दशहरा, होही तब फुरमान जी।
परमपिता प्रभु राम हा, देही बड़ वरदान जी ।
4 प्लास्टिक छोड़
घातक प्लास्टिक छोड़, धरौ कपड़ा के झोला ।
झिल्ली भरे समान, रोग ले आथे चोला।
पशु जब एला खाय ,पेट फूले मर जाथे ।
बंजर होथे खेत, जाम नाली बस्साथे।
बउरे मा नुकसान हे, झिल्ली बड़ शैतान हे ।
अबड़ कीमती जान हे , धोखा मा इंसान हे ।
5 सीमेंट बन जा
बन जा तैं सीमेंट ,जोड़ दे ईंटा पखरा।
बन के भारी बीर, चाल झन फोकट अखरा ।
सब ले नाता टोर, परे अलगे रइ जाबे ।
देख मया ला बाँट, मया उपराहा पाबे।
नव के रुखुवा केंवची, सहि जाथे तूफान ला।
होना चाही गा नरम , ओइसने इंसान ला ।
6 उपदेश
झाड़े बर उपदेश, काम काला नइ आही।
खुद अपना के देख ,फायदा तभे बताही ।
दिखही सूरत आन, मुखौटा कहूँ लगाये।
ढोंगी बन के संत,अबड देथे भरमाये।
धरम करम के बात जे, करत रथे दिन रात जी।
पढ़ के वेद पुरान ला, हवय सिरिफ समझात जी।
चोवा राम 'बादल '
हथबन्द, छत्तीसगढ़
बहुत सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक धन्ययवाद आपका।
Deleteसुग्घर सृजन गुरुजी प्रणाम
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया ।
Deleteबहुत सुंदर रचना गुरुजी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
धन्यवाद माटी जी।
Deleteउत्कृष्ट अउ उँचाई लिऐ सभ्फो छप्पय ह हवे गुरुदेव सादर प्रणाम ।।
ReplyDeleteधन्यवाद लहरे भाई जी।
Deleteबहुत ही शानदार अउ उत्कृष्ट सृजन गुरुदेव ।सादर प्रणाम सहित हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteधन्यवाद मोहन भाई।
Deleteअब्बड़ सुघ्घर रचना गुरुदेव,सादर प्रणाम
ReplyDeleteधन्यवाद सांगली भाई।
Deleteवाह गुरुदेव... बहुत सुग्घर, संदेशपरक छंद रचे हव...बहुत बधाई आप ला
ReplyDeleteधन्यवाद चन्द्राकर जी।
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteलाज़वाब छप्पय छंद भैया...
ReplyDeleteवाहहहहहह....
👏👏👏👏🌹🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹
हार्दिक आभार।सादर नमन।
Deleteगजब के छप्पय छंद गुरूजी वाहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteहार्दिक आभार ज्वाला जी।
Deleteबिकट सुग्घर छप्पय छंद गुरुदेव,
ReplyDeleteसादर प्रणाम
हार्दिक आभार आपका।
Deleteसंदेशपरक छप्पय छंद बादल भैया जी।बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई।
Deleteगजब सुघ्घर सर जी
ReplyDeleteधन्यवाद जितेंद्र भाई जी।
Deleteअंतस मा पोह गय गुरुदेव अनुपम रचना, अलग अलग उदाहरण जीवन बर सीख हमन ला देवथे ।सादर प्नणाम ,बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद कोसरे भाई जी।
Deleteसर जी प्रणाम बहुत ही प्रेरणादायक संदेश परक रचना बहुत बहुत बधाई हो सर जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteसर जी प्रणाम बहुत ही प्रेरणादायक संदेश परक रचना बहुत बहुत बधाई हो सर जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteबहुत सुघ्घर छप्पय सृजन भैया जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteबहुत-बहुत सुन्दर रचना के लिये गुरूदेव को हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteअजय उपाध्याय प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ शिक्षा कर्मी संघ छत्तीसगढ़
हार्दिक आभार आदरणीय उपाध्याय जी।
Deleteगजब सुग्घर गुरुदेव। सादर प्रणाम
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय ज्ञानु भाई जी।
Deleteगजब सुग्घर गुरुदेव। सादर प्रणाम
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद भाई।
Deleteआप अउ आपके रचना ला नमन गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर नमन।
Deleteआप अउ आपके रचना ला नमन गुरुदेव
ReplyDeleteआप अउ आपके रचना ला नमन गुरुदेव
ReplyDeleteBahut hi sunder rachana sir ji bahut bahut badhai ho
ReplyDeleteप्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार आपका।
Deleteबहुते बढ़िया सिरजाय हौ सर, प्रणाम हे आपल
ReplyDeleteबहुत ही सुग्घर, आदरणीय गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteउत्कृष्ट सिरजन छप्पय छंद मा सर जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Deleteशानदार रचना गुरुजी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आदरणीय।
ReplyDeleteअनंत बधाई गुरुदेव,आपमन के लेखन शैली देश.बर अनमोल धरोहर हे💐💐👌👍
ReplyDeleteसराहना बर हार्दिक आभार आजाद जी।
Deleteहार्दिक आभार आपका।
DeleteBahot badhiya sr
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
Deleteसुग्घर रचना आदरणीय
ReplyDeleteआपके हर छन्द के शिक्षाप्रद गोठ मोला बड़ निक लागथे
ReplyDeleteआपमन अइसे गोठ लिखता जेन बब्बर लागू होथे
कोनो अतिसैयोक्ति नई रहय आदरणीय
बिक्कट अकन बधाई
प्रणाम
सराहना के शब्द बर बहुतेच धन्यवाद भाई।
Deleteअनुपम सृजन।पढ़ के आनंद आ गे गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अहिलेश्वर भाई।
DeleteVery nice Verma sir, you are a versatile genius person carry on we are with you
ReplyDeleteसराहना बर आप ला बहुतेच धन्ययवाद।
ReplyDeleteThank you sir.
आपमन ला अनंत नमन गुरुदेव,उत्कृष्ट सिरजन आपमन के रहिथे👌👌👍💐💐💐
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बढ़िया छप्पय छंद के रचना होय हे गुरू ।जिनगानी पुन्नी रात दशहरा प्लास्टिक के नुकसान सिमेंट सही बने के प्रेरक प्रसंग सहित सबो विषय मा सुंदर सिरजन। छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के पुजारी होय के प्रमाण हरे छंद साधना अपन भाखा मा। भावपूर्ण ।उत्तम बधाई गुरु।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय चन्द्राकर जी।
Deleteयथार्थ के धरातल ले उपजे आपके सबो छप्पय छंद समाज ला दिशा देवत हे, बहुत बहुत बधाई गुरुदेव
ReplyDeleteहार्दिक आभार बघेल जी।
Deleteबहुतेच सुग्घर सिरजन भैया जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका।
Delete👌👌👌👌👌💐💐🌷🌷🌹Wah
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