अमृतध्वनि छंद - गुमान प्रसाद साहू
1।।सावन।।
सावन आये झूम के,बरसा करै अपार।
भरगे डबरा खोंचका, भरगे खेती खार।।
भरगे खेती, खार घलो हा, चलै बियासी,
मेड़ पार मा, खेत खार मा, फूलै काँसी।
झूला बाँधय, मन हा नाचय, लगे सुहावन।
शिव भोला हा,आस पुराथे,महिना सावन।।1
2।।ईद।।
ईद मनाबो मिल सबो, आये हे रमजान।
भले धरम हावय अलग, मनखे एके तान।।
मनखे एके, तान सबो झन, मिलके रहिबो,
कतको आवय, बिपत सबो ला, मिलके सहिबो।
पढ़ नमाज अउ, सँग मा गीता, सार सुनाबो,
जम्मो मिलके, चाँद देखबो, ईद मनाबो।।2
4।।बाँटा।।
भाई भाई ले लड़य, बाँटे खेती खार।
बाँट डरिन माँ बाप ला, टूटत हे घर बार।।
टूटत हे घर, बार सबो हर, बाँटा होगे,
अलग अलग कर, दाई-ददा ल, दुख ला भोगे।
संगे राखव, बँटवारा के, खनव न खाई,
अलग करव झन, दाई-ददा ल, कोनो भाई।।3
।।आषाढ़ महिना।।
महिना लगे असाढ़ के, करिया बदरी छाय।
चमकय बिजरी हा घलो, संगे पानी लाय।।
संगे पानी, लाय भिगोवय, खेती बारी,
काँटा खूंटी, बिन खेती के,कर तैयारी।
झिँगुरा गावय,राग सुनावय, अउ का कहिना,
डबरा भरथे, मन ला हरथे, बरसा महिना ।। 4
।।भेद छोड़व।।
झन कर कोनो बर कपट, भेद सबो तँय छोड़।
सब ला लेके साथ चल, मन ले मन ला जोड़।।
मन ले मन ला, जोड़ तभे तँय, आघू बढ़बे,
साथ कमाबे, हाथ बटाबे, रसता गढ़बे।
जस बगराले, नाम कमाले, आज परन कर,
दीन दुखी बर, दया मया कर, इरखा झन कर।।5
छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू, ग्राम- समोदा (महानदी),जिला- रायपुर छत्तीसगढ़
1।।सावन।।
सावन आये झूम के,बरसा करै अपार।
भरगे डबरा खोंचका, भरगे खेती खार।।
भरगे खेती, खार घलो हा, चलै बियासी,
मेड़ पार मा, खेत खार मा, फूलै काँसी।
झूला बाँधय, मन हा नाचय, लगे सुहावन।
शिव भोला हा,आस पुराथे,महिना सावन।।1
2।।ईद।।
ईद मनाबो मिल सबो, आये हे रमजान।
भले धरम हावय अलग, मनखे एके तान।।
मनखे एके, तान सबो झन, मिलके रहिबो,
कतको आवय, बिपत सबो ला, मिलके सहिबो।
पढ़ नमाज अउ, सँग मा गीता, सार सुनाबो,
जम्मो मिलके, चाँद देखबो, ईद मनाबो।।2
4।।बाँटा।।
भाई भाई ले लड़य, बाँटे खेती खार।
बाँट डरिन माँ बाप ला, टूटत हे घर बार।।
टूटत हे घर, बार सबो हर, बाँटा होगे,
अलग अलग कर, दाई-ददा ल, दुख ला भोगे।
संगे राखव, बँटवारा के, खनव न खाई,
अलग करव झन, दाई-ददा ल, कोनो भाई।।3
।।आषाढ़ महिना।।
महिना लगे असाढ़ के, करिया बदरी छाय।
चमकय बिजरी हा घलो, संगे पानी लाय।।
संगे पानी, लाय भिगोवय, खेती बारी,
काँटा खूंटी, बिन खेती के,कर तैयारी।
झिँगुरा गावय,राग सुनावय, अउ का कहिना,
डबरा भरथे, मन ला हरथे, बरसा महिना ।। 4
।।भेद छोड़व।।
झन कर कोनो बर कपट, भेद सबो तँय छोड़।
सब ला लेके साथ चल, मन ले मन ला जोड़।।
मन ले मन ला, जोड़ तभे तँय, आघू बढ़बे,
साथ कमाबे, हाथ बटाबे, रसता गढ़बे।
जस बगराले, नाम कमाले, आज परन कर,
दीन दुखी बर, दया मया कर, इरखा झन कर।।5
छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू, ग्राम- समोदा (महानदी),जिला- रायपुर छत्तीसगढ़
अति सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन
ReplyDeleteमोर रचना छन्द खजाना मा जगा देहे बर प्रणम्य गुरुदेव ला सादर चरण वंदन 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteसुग्घर छंद भाई जी
ReplyDeleteसुग्घर छंद भाई
ReplyDeleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteवाह्ह वाह वाह्ह भइया अब्बड़ सुग्घर मनभावन रचना सिरजाय हव बधाई भइया
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रचना भाई जी
ReplyDeleteआप जम्मो के कमेंट बर सादर धन्यवाद,आप मन के आशीष अइसने मिलत रहै।
ReplyDeleteगजब सुग्घर सृजन ।हार्दिक बधाई ।
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