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Saturday, October 26, 2019

छप्पय छन्द- उमाकान्त टैगोर

छप्पय छन्द- उमाकान्त टैगोर

(1)
पइसा होगे आज, नता गोता ले भारी।
नइ पहिचानय रोग, सेठ अउ कोन भिखारी।।
जाथे जेकर हाथ, उड़ाथे बिन डेना के।
जों धधकत गुँगुवाय, गोरसी बिन छेना के।।
बेटा मारय बाप ला,पइसा लेवय जान जी।
बिन पइसा के आज तो, फाँसी होय किसान जी।।

(2)
मन मा राखय बात, खात कौंरा उगलावय ।
धर-धर रोवय बाप, हदर के रोवय गावय।।
थक गे जाँगर आज, कोन एकर सुध लेवय।
बेटा मारय लात, बहुरिया गारी देवय।।
अइसन बेटा बाप के, बैरी होथे जान के।
अउ कछु के ना काम के, थू हे अइसन ज्ञान के।।

(3)
जारे बेटा आज, पउल के गर्दन  लाबे।
कहलाबे तँय वीर, मारबे या मर जाबे।।
दाई आवँव तोर, कहत हँव हाँसत तोला।
रक्षा करबे देश , गरब होही बड़ मोला।।
बैरी के छाती चीर दे, अंतस मा हुंकार भर।
झंडा तँय धर ले हाथ मा, जोर लगा जयकार कर।।

(4)
भुगते परही पोठ, रही गा बड़ करलाई।
सुनलव मोरो गोठ, छोड़दव पेड़ कटाई।।
जोरत हाबँव हाथ, गोहरावत हँव संगी।
सुनव टेर के कान, बाद मा होही तंगी।।
पीढ़ी हमर बचाय बर, करलव अतका ध्यान जी।
पेड़ रही ता प्राण जी, कहिथे सबो सियान जी।।

(5)
मीठा बानी बोल, लगय ना पइसा कौड़ी।
जिनगी के दिन चार, हबय जी भागा दौड़ी।।
कर ले अइसे काम, नाम जग मा हो जावय।
सुग्घर लिख ले गीत, जेन हा मन ला भावय।।
जे दिन आँखी मूँदबे,ओ दिन सब झिन रोय जी।
सुरता करके रात दिन, ना जागय ना सोय जी ।।

(6)
पढ़बे लिखबे रोज, तभे तो अफसर बनबे।
नइतो मलबे हाथ, रात दिन ढ़ेला खनबे।।
लपर-झपर ला छोड़, समय हर निकलत जावय।
नइ आवय जी फेर, दिनों दिन रोज सिरावय।।
फेर कहत हँव मान जी, हो जा बने सुजान जी।
अमरिसियाही टार गा, भुर्री एकर बार गा।।

(7)
जादू  पोठ  चलाय,  तोर आँखी  के कजरा।
अइसे लागय देख, लजावय करिया बदरा।।
अउ नथनी हा तोर, मयारू अइसे चमकय।
जइसे होत बिहान, सुरुज रग रग ले दमकय।
अब ये हिरदे हा तोर वो, गाथे गाना रोज वो।
नइ दिखस थोरको तँय कभू, मन बइहाथे खोज ओ।।

(8)
तोर बिना हे कोन, आज मँय खोजव काला।
जपत हवँव मँय रोज, नाव के तोरे माला।।
बगरे जिनगी मोर, कोड़हा कनकी जइसे।
फँसे हवँव मझधार, पार मँय जावँव कइसे।।
कर दे बेड़ा पार आ, दुख ला मोरे टार दे।
हे प्रभु मँय विनती करँव,आ के  मोला तार दे।।


छन्दकार- उमाकान्त टैगोर
कन्हाईबन्द, जाँजगीर, छत्तीसगढ़

20 comments:

  1. वाह्ह वाह वाह्ह उमाकांत भइया लाजावाब छप्पय छंद मा अब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण रचना सिरजाय हव भइया बधाई

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  2. वाहहहहह सुग्घर

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  3. गजब सुग्घर भाईजी

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  4. ज्ञान अउ संदेशपरक छप्पय छंद,बधाई हो भाई उमाकांत जी

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  5. बहुत सुग्घर सर गाड़ा गाड़ा बधाई

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  6. बहुत बडीहा मोर भाई बधाई

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  7. बधाई हो भाई💐👌👍

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  8. हार्दिक बधाई टैगोर जी।सुग्घर छप्पय छंद

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  9. वाह वाह शानदार छप्पय बर हार्दिक शुभकामनाएं।

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