अमृत ध्वनि छंद-संतोष कुमार साहू
(1)
मानव के ये हो करम,पर के हित के काम।
जनम सफल तब हो जथे,चलथे बढ़िया नाम।
चलथे बढ़िया,नाम सदा ही,इही सार हे।
अइसन जिनगी,जिये जेन हा,समझदार हे।
गजब ज्ञान ये,साधु संत के,एला जानव।
तभे कहाहू,ये धरती मा,सुग्घर मानव।।
(2)
घर के सुख अउ शाँति बर,सदा रहे संतोष।
इही हरे सुख के सबो,सबले बड़का कोष।।
सबले बड़का,कोष हरे ये,सदा मान लव।
उन्नति के सब,शिखर इही ये,उदिम जान लव।
जीना चाही,इही ज्ञान ला,हरदम धर के।
खास मंत्र ये,सब भगाय दुख,दारिद घर के।।
(3)
पहला ईश्वर तँय सदा,मात पिता ला मान।
देहे तोला ये जनम,होना चाही ज्ञान।।
होना चाही,ज्ञान सही हे,गाँठ बाँध धर।
नइते पानी,चुल्लू भर मे,बुड़ जा अउ मर।
नेक काम कर,अउ तँय हा झन,पापी कहला।
सबो काम मे,गजब काम ये,कर तँय पहला।।
छंदकार-संतोष कुमार साहू
ग्राम-रसेला,ब्लाक-छुरा
जिला-गरियाबंद, (छत्तीसगढ़)
बढ़िया अमृत ध्वनि छंद,साहू जी
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव
Deleteबहुत सुग्घर छंद रचे हव साहू जी
ReplyDeleteसादर आभार चन्द्राकर भाई
Deleteसुग्घर रचना
ReplyDeleteअति सुन्दर वाह
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव
Deleteगजब के मन ल भागे वाहह्ह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteसादर आभार कश्यप भाई
Deleteवाह्ह वाह्ह संतोष जी सुंदर अमृत ध्वनि छंद!!
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय
Deleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteसुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव
Deleteसुग्घर अमृतध्वनि छंद बधाई
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय
Deleteपरम पूज्य गुरुदेव संग आप सबो ला मोर सादर नमन हे
ReplyDeleteसुग्घर ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना हे भैया ।
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