Followers

Saturday, October 5, 2019

अमृत ध्वनि छंद -- महेन्द्र देवांगन माटी



अमृत ध्वनि छंद  -- महेन्द्र देवांगन माटी

1 सावन

आइस सावन झूम के, दिखय घटा घनघोर ।
बिजुरी चमके जोर से, नाचय वन मा मोर ।।
नाचय वन मा, मोर पंख ला, अपन उठाके ।
देखय सबझन, आँखी फारे, हँसय लुकाके ।।
चिरई चिरगुन, ताली पीटे, दादुर गाइस ।
सबके मन मा, खुशी समागे, सावन आइस ।।

2  किसान

नाँगर बइला फाँद के,  जोंतत खेत किसान ।
खातू कचरा डार के,  बोंवत हावय धान ।।
बोंवत हावय, धान पान ला, एसो होही ।
पउर साल के, रोना अब तो, नइ तो रोही ।।
करथे सबझन,  काम बरोबर,  चलथे जाँगर ।
कोड़ा देवय, दवई डारय, फाँदय नाँगर ।।

3  बरसा

बरसत बादर जोर से,  भीगत लइका लोग ।
सबझन ला अब होत हे, आनी बानी रोग ।।
आनी बानी, रोग रोज के, होवत हावय ।
डाक्टर आवय, दवई देवय, सुजी लगावय ।।
खपरा फूटय, छानही चुहय, भीगत चादर ।
बच के राहव, झन भीगव जी,  बरसत बादर ।।

छंदकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कबीरधाम)
छत्तीसगढ़
8602407353

6 comments:

  1. बधाई हो माटी भैया💐💐👌👍
    सावन ,किसान,बरसा के सुग्घर अमृतध्वनि छंद

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन

    ReplyDelete
  3. बहुत बहुत बधाई सर

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर रचना बहुत बधाई

    ReplyDelete
  5. वाह वाह ।गजब सुग्घर ।हार्दिक बधाई ।

    ReplyDelete