अमृत ध्वनि छंद- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
(1) गुरु-
बानी गुरु के जान लौ,जस अमरित के धार।
जिनगी ला उजला करे,ज्ञान जोत ला बार।
ज्ञान जोत ला,बार भगाये,मन अँधियारी।
कहे घलो हें,सबो देव ले,गुरु बलिहारी।।
राह दिखाथे,नेक करम के,गुरु जिनगानी।
सीख दिये गुरु,बोल सदा ही,मीठा बानी।।
(2) मतलब-
होगे दुनिया मतलबी,मतलब के सब यार।
मतलब मा तो देख ले,बँटगे घर जग द्वार।।
बँटगे घर जग,द्वार गली अब,भाई भाई।
ददा घलो ला,बाँट डरिस जी,बँटगे दाई।।
लोभ मोह मा,परे सबो हें,नीयत खोगे।
मतलब साधे,लोग खड़े जग,अँधरा होगे।।
(3) ढोंगी-
ढोंगी थामे देख लौ,बड़े बड़े जी ढोंग।
जाप करे भगवान के,माथा बंदन ओंग।।
माथा बंदन,ओंग बने हें,खुद व्यापारी।
पाप पुण्य के,लोभ बता के,लूटे भारी।।
नशा पान मा,मते रहय पी,बीड़ी चोंगी।
तभो परे हें,लोगन कइसन,चक्कर ढोंगी।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर,जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
(1) गुरु-
बानी गुरु के जान लौ,जस अमरित के धार।
जिनगी ला उजला करे,ज्ञान जोत ला बार।
ज्ञान जोत ला,बार भगाये,मन अँधियारी।
कहे घलो हें,सबो देव ले,गुरु बलिहारी।।
राह दिखाथे,नेक करम के,गुरु जिनगानी।
सीख दिये गुरु,बोल सदा ही,मीठा बानी।।
(2) मतलब-
होगे दुनिया मतलबी,मतलब के सब यार।
मतलब मा तो देख ले,बँटगे घर जग द्वार।।
बँटगे घर जग,द्वार गली अब,भाई भाई।
ददा घलो ला,बाँट डरिस जी,बँटगे दाई।।
लोभ मोह मा,परे सबो हें,नीयत खोगे।
मतलब साधे,लोग खड़े जग,अँधरा होगे।।
(3) ढोंगी-
ढोंगी थामे देख लौ,बड़े बड़े जी ढोंग।
जाप करे भगवान के,माथा बंदन ओंग।।
माथा बंदन,ओंग बने हें,खुद व्यापारी।
पाप पुण्य के,लोभ बता के,लूटे भारी।।
नशा पान मा,मते रहय पी,बीड़ी चोंगी।
तभो परे हें,लोगन कइसन,चक्कर ढोंगी।।
इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर,जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
बहुत बहुत बधाई सत्यबोध सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई सुखदेव अहिलेश्वर जी
Deleteछंद खजाना म मोर रचना ल जगह दिए बर सादर धन्यवाद आदरणीय जितेंद्र वर्मा जी।
ReplyDeleteवाह गुरुदेव तीनों छंद सुग्घर हे...बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुंदर पात्रे जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय
Deleteअब्बड़ सुग्घर रचना के अब्बड़ अकन बधाई हे गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद लहरे जी
Deleteसादर प्रणाम गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी।
ReplyDeleteसुग्घर पात्रे सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी।
Deleteबड़ सुग्घर सृजन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो ।
राज कुमार बघेल
सुग्घर छंद रचना सर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी
Deleteशानदार छंद लेखन आदरणीय ।सादर बधाई ।
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