अमृत ध्वनि छंद- अशोक धीवर "जलक्षत्री"
१. - बड़के माता ले कहाँ, दुनिया मा भगवान।
ओकर करजा छूट दै, कोन हवय धनवान।।
कोन धनी हे, सोच बतादँय, कोनो मोला।
सेवा कर लँय, पुन ला भर लँय, तरही चोला।।
दुख झन देवँय, दुआ ल लेवँय, पाँव ल पड़के।
मातु पिता ले, कोनो नइये, जग मा बड़के।।
२. - जाये बर तँय चल दिये, माता जग ला छोड़।
अंतस बइठे तँय सदा, तोर धरे हँव गोड़।।
तोर धरे हँव, गोड़ छोड़ झन, जाबे मोला।
जिनगी मोरे, तोर दया मा, माँगँव वोला।।
बड़ दुख पाके, मोला कइसे, पाले तँयहर।
दे अशीष ला,तँय जल्दी झन, कर जाये बर।।
छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
ग्राम - तुलसी (तिल्दा - नेवरा)
जिला - रायपुर ( छत्तीसगढ़)
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अमृतध्वनि छन्द- रक्तदान
छंदकार- अजय "अमृतांशु"
रक्तदान कर लव सबो,आय पुण्य के काम।
जीवन ककरो बाँचही,मिल जाही जी राम।
मिल जाही जी,राम इहू हा,प्रभु के सेवा।
रक्तदान हा,काम धरम के,पाहू देवा।
दान लहू के,करके ककरो,दुख ला तँय हर।
बन जाथे जी,फेर खून हा,रक्तदान कर।
छंदकार- अजय "अमृतांशु"
भाटापारा,जिला-भाटापारा (छ. ग.)
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अमृतध्वनि छन्द-राम कुमार चन्द्रवंशी
राखव सुम्मत बाँध
द्वेष-कपट छल छोड़ के,राखव सुम्मत बाँध।
बनही जम्मो काम हर,चलव जोड़ के खाँध।
चलव जोड़ के,खाँध जगत मा,प्रेम बढ़ावौ।
जस तुम पाहू,नाँव कमाहू,जग ल सिखावौ।
एक बनव जी,नेक करव जी,मया जोड़ के।
देश बचावौ, धरम निभावौ,कपट छोड़ के।।
राखव सुम्मत बाँध के,जस डोंगा पतवार।
सुम्मत आघू हारथे,नदिया के जलधार।।
नदिया के जल,धार हारथे,सन्तन कहिथे।
सुनता मा बल,मुश्किल के हल,हरदम रहिथे।
सुख नित मिलथे,हिरदे खिलथे,त्यागव बिम्मत।
घर हर बनथे,देश सँवरथे,राखव सुम्मत।।
छंदकार-राम कुमार चन्द्रवंशी
ग्राम+पोष्ट-बेलरगोंदी
जिला-राजनांदगाँव
छत्तीसगढ़
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अमृतध्वनि छंद : पोखन लाल जायसवाल
1
घर सब सुनता ले चलै,गीत मया के गाव।
मया बरोबर सब मिलौ, राखव मन के भाव।
राखव मन के,भाव एक अउ,मिलजुल राहव।
गोठ गोठिया,दया मया के,सबझन हाँसव।
बाँट बाँट के,रोटी खावव,देवव आदर।
पेड़ लगै अउ,सुनता के फर,होवय सब घर।।
2
करथे जउन घमंड सब,चिटिक समझ नइ आय।
रहिके दूर घमंड ले,जिनगी सब सुख पाय।
जिनगी सब सुख,पाय कहाँ जब,खोय मितानी।
बात बात मा,मिलै जान तैं,तोर निशानी।
सुनके गुरतुर,बोली सबके,मन हा भरथे।
का घमंड हे,इहाँ जउन ला,मनखे करथे।।
रचना-पोखन लाल जायसवाल
पठारीडीह पलारी
जिला बलौदाबाजार भाटापारा छग
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बहुत बहुत बधाईयाँ।सुन्दर सुन्दर अमृतध्वनि छंद
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ReplyDeleteआपमन बहुत सुग्घर अमृतध्वनि छंद लिखे हव बहुत बधाई आपमन ला
ReplyDeleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteबड़ सुग्घर अमृत ध्वनि छन्द आदरणीय जन
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाईयाँ।सुन्दर सुन्दर अमृतध्वनि छंद
ReplyDeleteशानदार संकलन ।हार्दिक नमन।
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