लाल बहादुर शास्त्री जी जयंती विशेष
: मनहरण घनाक्षरी
जन-जन के दुलारे,भुइयाँ के रखवारे,
लाल बहादुर शास्त्री,रिहिन सुजान जी।
सत्य अहिंसा पुजारी,काम करै हितकारी,
शांति दूत बनके वो,करिन उत्थान जी।
अमर उँकर नाम,बाँजिस सुग्घर काम,
बढ़ाइस हवै इहाँ,भारत के शान जी।
राख देश के जी लाज,लाइस हवै सुराज,
न्याय मिलय सब ला,बाँटिस हे ज्ञान जी।।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
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/लाल बहादुर शास्त्री - आल्हा छंद//
भारत भुइयाँ के बेटा ये, जनम धरिन हे मुगलसराय।
उन्नईस सौ चार ईसवी, दू अक्टूबर महिना ताय।।
मृत्यु जवाहरलाल नेहरू, सन् चौसठ बच्छर के पार।
लाल बहादुर शास्त्री होइन, पद प्रधानमंत्री हकदार।
माह जून नौ सन् छैसठ ले, माह अठारह रहिन जवान।
पद प्रधानमन्त्री भारत के, लाल बहादुर शास्त्री जान।।
मंत्री रहिन दूसरा ये हा, अद्भुत साहस मन के धीर।
कार्यकाल सुग्घर इँखरे जी, लाल बहादुर शास्त्री वीर।।
इँखरे पत्नी ललिता शास्त्री, पतिवरता मा रहिन महान।
अनिल सुनील सुमिन लइका जी, राखिन हे इँखरे ईमान।।
मिलिस उपाधि बने शास्त्री ला, सुग्घर काशी विद्यापीठ।
स्वतंत्रता बर लड़िन लड़ाई, निर्भिक होइन बनके ढीठ।।
भारत पाक-युद्ध सन् पैंसठ, होइन इँखरे शासनकाल।
बने करारी ये जवाब दिन, करिन पाक ला देश निकाल।।
झटका मिलिस पाक ला अइसन, कभू नहीं सोंचे वो पाय।
रहिन बहादुर शास्त्री जी हा, बइरी मन रहि रहि घबराय।।
तिथि ग्यारह जनवरी माह मा, सन् छैसठ के वो दिन आय।
लाल बहादुर शास्त्री जी के, तन ले ओखर जीव उड़ाय।।
शत् शत् नमन करँव शास्त्री ला, भारत माँ के बेटा खास।
चाँद सुरुज कस चमकत रइही, नाँव इँखर नीला आगास।।
छंदकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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दोहा छंद
अनुशासन अउ एकता, भारत रहय अखण्ड।
शास्त्री जी के हे कथन, देशद्रोह हे दंड।।
जय जवान रक्षा करे, जय किसान के मान।
लालबहादुर शास्त्री , नेता रहिन महान।।
जीवन सादा हे जिये, राखिन उच्च विचार।
एक सहीं छोटे बड़े, सब बर सम व्यवहार।।
देश धर्म सबले बड़े, शास्त्री जी के मंत्र।
सब विकास मिलके करव, हाथ करय या यन्त्र।।
लालबहादुर शास्त्री , धरती के हे लाल।
हीरा कस दमकत हवय , भारत माँ के भाल।।
आशा देशमुख
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कारज जेकर बड़े महान, करथे सब वोकर गुणगान।
करनी जग मा हावै सार, कल्प वृक्ष कस बड़ फलदार।।
सुग्घर येकर जे पर्याय, लालबहादुर शास्त्री ताय।
भारत माॅं के वीर सपूत, अउ ईमान धरम के दूत।।
सहज सरलता पबरित भाव, रहे दूर कुर्सी के ताव।
जननायक के सच्चा रूप, बैरी काॅंपे हो जय चूप।।
कद काठी मा भलकू छोट, नइ छू सके कभू जी खोट।।
जय जवान जय कहे किसान, दूनो ला दे बड़ सम्मान।।
करॅंव नमन मॅंय तोला आज, हवय देश ला भारी नाज।
कहॉं तोर कस अब किरदार, छाये बहुते भ्रष्टाचार।।
अमर रहे तोरे पहिचान, जुग जुग चमके दीप समान।।
कारज जेकर बड़े महान, करथे सब वोकर गुणगान।
करनी जग मा हावै सार, कल्प वृक्ष कस बड़ फलदार।।
मनोज कुमार वर्मा
बरदा लवन बलौदा बाजार
सादर धन्यवाद भाई
ReplyDeleteसंकलन में स्थान दे बर
बहुत सुग्घर संकलन
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