सरसी छन्द गीत
*मँय भारत हँव*
मँय भारत हँव मँय भारत हँव,करौ सदा जयकार।
भाग्य बिधाता मँय हँव सबके,करथौ जी उद्धार।
उत्तर मा ए खड़े हिमालय,मोरे उन्नत भाल।
तीन दिशा सागर ले घिरके,करथौं माला-माल।।
पाँव पखारे गंगा निशिदिन,बहथे पावन धार।
मँय भारत हँव मँय भारत हँव,करौ सदा जयकार।।
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,सब झन मोरे लाल।
इँखर एकता भाई-चारा,हे पूजा के थाल।।
देशभक्ति सबके रगरग मा,करथें अब्बड़ प्यार।।
विश्व गुरू मँय कहिलाथौं जी,देथँव सब ला ज्ञान।
इहें तिरंगा झंडा फहरे,जे मोरे पहिचान।।
जम्मू ले कश्मीर सबो हा,हे मोरे परिवार।
मँय भारत हँव मँय भारत हँव,करौ सदा जयकार।।
द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"
कवर्धा छत्तीसगढ़
No comments:
Post a Comment