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Saturday, January 22, 2022

*मन फिफियाथे* (पद पादाकुलक छंद)

 *मन फिफियाथे*

(पद पादाकुलक छंद)


बूता काम म मन फिफियाथे।

काहीं के काहीं हो जाथे।

हो जाथे काबर ते आने ।

एती ओती मति हा ताने।


पेरे लकर धकर के घानी।

आधा तेल म आधा पानी।

होथे अब्बड़ हड़बड़ हइया।

खलबल खइया गड़बड़ गइया।


माया हा जतका तिरियाथे।

काया मा झट असर बताथे।

 सुरता लाड़ू छिर्री दिर्री।

खेलत रहिथे चेत ह भिर्री।


एला ओला अमरत रहिथे।

 अँधवा कस मन तमड़त रहिथे।

पाथे कभू कभू तो खाली।

गिर जाथे वो हपटे नाली।


नइ मानय बड़ उधम मचाथे।

जेती बरज उही लँग जाथे।

जब किरपा करथे रघुराई।

तब सब रोग मिटाथे भाई।


गुरु बइगा के मंतर मारे।

घेरी बेरी कस के झारे।

हिरदे के तब जहर उतरथे।

सोना जइसे ज्ञान निखरथे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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