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Saturday, January 1, 2022

सार छंद- नवा बछर

 सार छंद- नवा बछर

नवा साल मा सुमता धरके,नवा बिहनिया लानौ।

सबो कोत खुशहाली बगरै, मन मा अइसे ठानौ।।


स्वस्थ रहय सब मस्त रहय अउ, सुखमय हो जिनगानी।

मया बढ़े रिश्ता नाता मा,खुश राहय सब प्रानी।।


धन जश बाढ़य मनखे मनके,बाढ़य भाईचारा।

मया रंग मा सने रहय सब,बहय गंग के धारा।।


रहे कोय ना लाँघन भूखन,सब बर दाना पानी।

नवा बछर मा नवा काम हो,गढ़के नवा कहानी।।


बछर निकलगे जुन्ना देखत,नवा बछर हा आये।

होय कामना पूरा सबके,भूल चूक बिसराये।।


सुख दुख मा सब साथी बनके,खुशियाँ सुघर मनावौ।

नवा बछर के हवय बधाई,इरखा तुमन भुलावौ।।


सपना सबके पूरा होवय,झुके इहाँ अभिमानी।

धरम करम हा फले सुघर अउ,मनखे बने सुजानी।।


सुख के बादर हा नित छावय,भागय कुलुप अँधियारी।

गाँव-गली निरमल गंगा हो,सत के बने पुजारी।।

विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

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