*अमृतध्वनि छन्द-महिनत के फल*
जीना हे जब शान से,जांगर थोरिक तोड़।
आलस ला सब छोड़ के,नता करम ले जोड़।।
नता करम ले,जोड़ गोठ ये,ज्ञानी कहिगे।
करम करे जे,धरम मान वो,जग मा लहिगे।
मुसकुल होवय,महिनत कतरो,कस ले सीना।।
शान मान से,ये दुनिया मा,जब हे जीना।।
महिनत कर लव शान से,आलस हे बेकार।
महिनत के पतवार ले,होवय बेड़ा पार।।
होवय बेड़ा,पार करे जे,रोज काम हे।
घाम जाड़ अउ,सावन मा जे,घसे चाम हे।।
सिरजन के ये,हवन कुंड मन,स्वाह देय दव।
नाम दाम ला,पाना हावय,महिनत कर लव।।
पावय जीवन नेक वो,रोज करे जे काम।
खटिया टोरे का मिले,झन कर बड़ आराम।।
झन कर जी आराम पड़े झन, भारी रोना।।
तन मन बर हे,काल असन ये,भारी सोना।।
काम धाम जे,रोज करे वो,सुख मा गावय।।
तन मन चंगा,सुग्घर मंगल,जीवन पावय।।
छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र✍️
हल्दी-गुंडरदेही,जिला-बालोद
मोबाइल न.8225912350
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