नवा बछर -सरसी छंद
नवा बछर के सब ला भइया,हवय बधाई आज।
पूरन होवय सपना सबके,होवय नेकी काज।।
सबके जिनगी सुग्घर गुजरे,गढ़े नवा इतिहास।
रात अमावस छू मंतर हो,जिनगी रहय उजास।।
बीते बछर ले सीख मिले हे,राखन शुद्ध विचार।
परहित सेवा मा जिनगी हो,इही हमर संस्कार।।
दया-भाव सब बर राखव जी,करव नहीं अभिमान।
धरम-करम मा जिनगी बीते,मनखे बनव सुजान।।
नवा बछर मा नवा सोच ले,चलते सब झन जान।
भाग गढ़े सब मनखे मन हा,बाँटन सुघर गियान।।
गाँव देश अउ राज काज के,बाँढ़य गा सम्मान।
नवा बछर मा इही कामना,सुमति देय भगवान।।
मेल जोल अउ खुशियाँ बरसे,सबके अँगना खोर।
लेवत राहव हीत मीत के,निशदिन सुग्घर शोर।।
संगीता वर्मा
भिलाई छत्तीसगढ़
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