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Saturday, January 1, 2022

नवा बछर (बरवै छन्द)*

 



*नवा बछर (बरवै छन्द)*


नवा बछर मा होही,नवा बिहान। 

टरही बिपदा सिरतो,तैंहा जान।


नवा बछर मा अइसन करव उपाय।

भूखे रहिके कोनो, झन सुत जाय।


बीमारी सब आँसों, जाही भाग।

मिलके गाबों सब झन,बढ़िया राग।


नवा बछर के बानी ,धर ले सार।

झगरा छोड़ सुमत के,दीया बार। 


ठेस लगय झन कोनो,सुनव मितान।

मनखे मनखे होथे, एक समान।


नवा बछर मा सुग्घर,अलख जगाव।

नशा पान ला आगी, सबो लगाव।


आपस मा अब होवय,झन टकराव।

मया पिरित ला सुग्घर,सब बगराव।


नवा बछर ला अइसन,सबो मनाव।

बिगड़े रिश्ता मिलके, सुग्घर बनाव।


नवा बछर मा होवय,सबके जीत।

दया मया के सुग्घर, होवय रीत।


*अजय अमृतांशु*

भाटापारा

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